प्रीमियम ट्रेनों की रफ्तार में बाधा बन रहीं कोच स्प्रिंग की दरारें
रेलवे बोर्ड द्वारा कराए गए एक अध्ययन में पता चला है कि प्रीमियम ट्रेनों के कोच की स्प्रिंग में दरारें और टूटने की घटनाएं यात्रियों की सुरक्षा को खतरा बना रही हैं। दक्षिण पूर्व रेलवे और उत्तर रेलवे में...

- रेलवे बोर्ड की ओर से कराए गए एक अध्ययन रिपोर्ट में इस बात का हुआ खुलासा - ट्रेनों को समय पर चलाने में बाधा बन रहीं ऐसी घटनाएं, रेल यात्रियों की सुरक्षा को भी खतरा
अरविंद सिंह
नई दिल्ली। राजधानी एक्सप्रेस, शताब्दी एवं दुरंतो जैसी प्रीमियम और मेल-एक्सप्रेस ट्रेनों की रफ्तार में कोच की स्प्रिंग में पड़ने वाली दरारें सबसे बड़ी बाधा बन रही हैं। रेलवे बोर्ड द्वारा कराए गए एक अध्ययन रिपोर्ट में इस बात खुलासा हुआ है। खतरे की बात यह है कि एक कोच में स्प्रिंग में दरार अथवा टूटने की घटनाएं तीन से नौ गुना तक बढ़ी है।
इसमें दक्षिण मध्य रेलवे (कोलकाता) पहले और उत्तर रेलवे (दिल्ली) दूसरे स्थान पर है। इससे सुरक्षित रेल सफर के दावे पर सवाल खड़ा हो गया है। रेलवे बोर्ड ने 17 रेल जोन में अत्याधुनिक तकनीक व सबसे सुरक्षित मानी जाने वाले जर्मनी की लिंके-हॉफमैन बुश (एलएचबी) कोच में स्प्रिंग में दरार-टूटने की घटनाओं का अध्ययन किया है। बोर्ड द्वारा जनवरी 2025 में जारी रिपोर्ट में अप्रैल-दिसंबर 2023 व अप्रैल-दिसंबर 2024 की समयावधि का अध्ययन किया गया है। रिपोर्ट की कॉपी ‘हिन्दुस्तान के पास है।
रिपोर्ट में उल्लेख है कि उक्त घटनाएं ट्रेनों को समय पर चलाने में बाधा बन रही हैं। इससे रेल यात्रियों की सुरक्षा को खतरा है।
दक्षिण पूर्व रेलवे में सर्वाधिक घटनाएं
रिपोर्ट के मुताबिक, दक्षिण पूर्व रेलवे (एसईआर) कोलकाता मुख्यालय की प्रीमियम ट्रेनों में सर्वाधिक 128 ऐसी घटनाएं हुई हैं, जहां एक ही एलएचबी कोच की स्प्रिंग में दरार-टूटने की घटनाएं तीन से सात बार हुई हैं। एसईआर में एक कोच में तीन बार दरार पड़ने की 72 घटनाएं हुई हैं। इस प्रकार 2023 की अपेक्षाकृत 2024 में स्प्रिंग में दरार की घटनाओं में 194 फीसदी का इजाफा हुआ है।
उत्तर रेलवे भी पीछे नहीं
उत्तर रेलवे (एनआर) दिल्ली मुख्यालय से चलने वाली ट्रेनों में एक कोच में तीन बार दरार पड़ने की 85 घटनाएं हुई हैं। एनआर में एक ही कोच में नौ बार स्प्रिंग में दरार की घटना हुई है। इसके अलावा, उत्तर मध्य रेलवे (एनसीआर) में प्रयागराज मुख्यालय की ट्रेनों में स्प्रिंग में दरार की घटनाओं में 142 प्रतिशत, उत्तर पश्चिम रेलवे (एनडब्ल्यूआर) जयुपर मुख्यालय में 133 फीसदी व दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे (एसईसीआर) बिलासपुर मुख्यालय की ट्रेनों की कोच में स्प्रिंग में दरार-टूटने की घटनाओं में 100 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है।
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रेलवे बोर्ड गंभीर
रेलवे बोर्ड ने अपनी अध्ययन रिपोर्ट में दक्षिण पूर्व रेलवे, उत्तर रेलवे, पश्चिम रेलवे, पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे, पूर्व मध्य रेलवे सहित अन्य जोन रेलवे को एक ही एलएचबी कोच में तीन, चार, पांच, छह, सात, आठ व नौ बार तक स्प्रिंग में दरार-टूटने की घटनाओं को गंभीरता से लेने का आदेश दिया है। बोर्ड ने समस्या की जड़ में जाकर इसका तय समय में समाधान करने को कहा है। साथ ही जोनल रेलवे की कार्रवाई संबंधी रिपोर्ट को रेलवे बोर्ड भेजने के निर्देश दिए हैं।
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खरखाव और मरम्मत में लापरवाही
रेलवे विशेषज्ञों का कहना है कि एक ही एलएचबी कोच में स्प्रिंग में दरार-टूटने की घटनाओं से यह साबित होता है कि जोनल रेलवे कोच के रखरखाव और मरम्मत में लापरवाही बरत रहे हैं। यदि ऐसा नहीं है तो यह घटनाएं कोच स्प्रिंग की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े कर रही हैं। यह विभिन्न जोनल रेलवे की रिपोर्ट आने के बाद पता चलेगा।
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रेलवे के चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी यात्रियों की सुरक्षा के प्रहरी की भूमिका निभा रहे हैं। ट्रेन जब प्लेटफॉर्म पर पहुंचती है तब यह कर्मचारी (मैकेनिकल विभाग) दिन-रात कोच की स्प्रिंग एवं अन्य उपकरणों पर नजर रखते हैं। इनकी रिपोर्ट के आधार पर ही ट्रेन से उक्त कोच को हटाकर वर्कशॉप भेजकर उसे दुरुस्त किया जाता है।
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