भारतीय पारिवारिक मूल्यों को पुनर्जीवित करने की जरूरत : भागवत
--अलीगढ़ में आरएसएस प्रमुख ने स्वयंसेवकों को किया संबोधित --समरसता के मूल्यों को विकसित करने

अलीगढ़, एजेंसी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने पारंपरिक भारतीय पारिवारिक मूल्यों को पुनर्जीवित करने और पुनर्निर्माण की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया। आरएसएस प्रमुख ने अलीगढ़ में अपने पांच दिवसीय दौरे का समापन संघ कार्यकर्ताओं से सामाजिक सद्भाव और राष्ट्रीय पुनरुत्थान के लिए महत्वपूर्ण सिद्धांतों को बनाए रखने का आह्वान करते हुए किया। बृज क्षेत्र के आरएसएस पदाधिकारियों के साथ बातचीत में भागवत ने पारंपरिक भारतीय पारिवारिक मूल्यों को भारतीय समाज की आधारशिला बताया। उन्होंने लोगों को उन बुनियादी प्रथाओं की याद दिलाई जो प्राचीन काल से पारिवारिक जीवन का हिस्सा रही हैं। उन्होंने परिवार में साझा भोजन पर जोर देते हुए कहा कि भोजन के समय पारिवारिक समारोहों का मूल्य समाज के नैतिक मानकों की धुरी बन जाता है।
जाति आधारित भेदभाव गलत
भागवत ने जाति आधारित भेदभाव को एक विभाजनकारी ताकत बताते हुए आरएसएस प्रचारकों से इसे खत्म करने की दिशा में सक्रिय रूप से काम करने का आग्रह किया। इस दौरान उन्होंने सामाजिक रूप से एकजुट और समतापूर्ण भारत की नींव रखने में अहम भूमिका निभाने वाले डॉ. भीमराव आंबेडकर को याद किया। उन्होंने कहा कि आधुनिक भारत में सुधार और न्याय की भावना का संचार करने के लिए राष्ट्र आंबेडकर का ऋणी है।
स्वदेशी उत्पादों का संरक्षण जरूरी
आर्थिक मामलों पर आरएसएस प्रमुख ने स्वदेशी की भावना को पुनर्जीवित करने के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने लोगों से स्वदेशी परंपराओं और कौशल पर आधारित उत्पादों को संरक्षण देने का आग्रह किया।
प्राकृतिक विरासत को सहेजें
भागवत ने पर्यावरण संरक्षण पर अधिक ध्यान देने का भी आह्वान किया। उन्होंने भारत की प्राकृतिक विरासत की रक्षा करने की आवश्यकता पर बल दिया, जिसमें इसके वन्यजीव और गांव के तालाबों और झीलों जैसी जल प्रबंधन की पारंपरिक प्रणालियां शामिल हैं।
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