कार्बन डाइऑक्साइड को सोखकर चार्ज होगी बैटरी
ब्रिटेन के सरे विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने एक अनोखी बैटरी विकसित की है, जो चार्ज होने पर कार्बन डाइऑक्साइड को सोखती है और उससे ऊर्जा बनाती है। इसे 'सांस लेने वाली बैटरी' कहा जाता है, जो पर्यावरण...

लंदन, एजेंसी। ब्रिटेन स्थित सरे विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने एक अनोखी बैटरी विकसित की है, जो चार्ज होते वक्त कार्बन डाइऑक्साइड (सीओ2) को अपने अंदर सोखती है और उसी से ऊर्जा बनाती है। इसे ‘सांस लेने वाली बैटरी भी कहा जा रहा है क्योंकि यह अपने अंदर वायुमंडल की सीओ2 को खींचती है और रासायनिक प्रक्रिया के जरिए बिजली पैदा करती है। विज्ञान पत्रिका एडवांस साइंस में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, इस बैटरी का नाम लिथियम-सीओ2 बैटरी है, जो महंगी और दुर्लभ धातुओं की जगह सीओ2 गैस का उपयोग कर ऊर्जा देती है। इससे पर्यावरण में ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा भी कम होती है।
रॉयल इंस्टिट्यूशन ऑफ नेवल आर्किटेक्ट्स के मुताबिक, यह बैटरी इलेक्ट्रिक गाड़ियों और छोटे विमानों के लिए उपयोगी साबित हो सकती है। आम बैटरियां जल्दी खराब हो जाती हैं, लेकिन इस बैटरी में नया कैटालिस्ट इसे लंबे समय तक टिकाऊ बनाता है। शोधकर्ता डैनियल कमांडेर के अनुसार, यह तकनीक सस्ते और आसानी से मिलने वाले पदार्थों से बनाई गई है, इसलिए महंगी दुर्लभ धातुओं की जरूरत नहीं पड़ती। इस नई तकनीक से न केवल ऊर्जा का बेहतर इस्तेमाल होगा, बल्कि कार्बन डाइऑक्साइड को भी कम करने में मदद मिलेगी, जिससे पर्यावरण की सुरक्षा होगी। अध्ययन के मुताबिक, बैटरी ने 100 से अधिक बार चार्ज-डिस्चार्ज चक्र अच्छे से पूरे किए हैं और उच्च ऊर्जा संग्रहण क्षमता दिखाई है। यह खासियत -बैटरी वायुमंडल से सीओ2 को खींचती है, जैसे फेफड़े हवा से ऑक्सीजन लेते हैं। -सोखी गई सीओ2 से रासायनिक प्रतिक्रिया होती है, जो बिजली में बदल जाती है। -चार्जिंग और डिस्चार्जिंग के दौरान यह प्रक्रिया लगातार चलती रहती है, इसलिए इसे ‘सांस लेने वाली कहा जाता है। -इस तरह यह बैटरी न केवल ऊर्जा देती है, बल्कि पर्यावरण में सीओ2 को कम करने में भी मदद करती है। इस तरह काम करती है यह बैटरी -बैटरी के अंदर खास इलेक्ट्रोड और इलेक्ट्रोलाइट होते हैं, जहां सीओ2 गैस आती है। -सीओ2, लिथियम के साथ मिलकर ऊर्जा देने वाले रासायनिक यौगिक बनाती है। -कैसियम फॉस्फोमोलिबडेट (सीपीएम) नामक कैटालिस्ट इस प्रक्रिया को तेज और आसान बनाता है। -सीओ2 बैटरी में स्थिर होकर बाहर नहीं निकलती, यानी कैप्चर हो जाती है। -इससे निकली ऊर्जा बैटरी को चलाने में काम आती है। -रिचार्जिंग के दौरान थोड़ा सीओ2 वापस निकल सकता है, लेकिन यह पूरी तरह नियंत्रित होता है।
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