हमारी जान खतरे में; दिल्ली पुलिस को करो तैनात; ऐसे क्या हुआ जो JNU में रुकी चुनाव प्रक्रिया
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव की देखरेख कर रही चुनाव समिति ने अपनी सुरक्षा को खतरा बताते हुए चुनाव प्रक्रिया रोक दी है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर उचित सुरक्षा सुनिश्चित नहीं की गई तो चुनाव रद्द किए जा सकते हैं।

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव की देखरेख कर रही चुनाव समिति ने अपनी सुरक्षा को खतरा बताते हुए चुनाव प्रक्रिया रोक दी है। समिति ने पुलिस सुरक्षा की मांग की है। चुनाव समिति ने पूरी चुनाव प्रक्रिया को रोकने के लिए कैंपस की सुरक्षा में गंभीर कमी और शत्रुतापूर्ण माहौल का हवाला दिया है। इसमें कहा गया है कि जब तक पर्याप्त सुरक्षा मुहैया नहीं कराई जाती, दोबारा चुनाव शुरू नहीं होंगे। यूनिवर्सिटी प्रशासन को लिखे पत्र में समिति ने आरोप लगाया है कि जेएनयू में मौजूदा सुरक्षा व्यवस्था अपर्याप्त है।
समिति के सदस्यों ने कहा, "हमारी जान जोखिम में है।" उन्होंने चेतावनी दी कि अगर उचित सुरक्षा सुनिश्चित नहीं की गई तो चुनाव रद्द किए जा सकते हैं। हालांकि, विश्वविद्यालय के सूत्रों ने दावा किया कि उन्हें पैनल से ऐसा कोई मैसेज नहीं मिला है। दरअसल, नामांकन प्रक्रिया के दौरान अराजकता के बाद चुनाव प्रक्रिया को तीन दिनों के लिए स्थगित कर दिया गया है। छात्रों ने कथित तौर पर बैरिकेड्स तोड़ दिए, शीशे तोड़ दिए और जबरन चुनाव कार्यालय में घुस गए।
विश्वविद्यालय द्वारा तैनात सुरक्षाकर्मी कथित तौर पर घटना के दौरान निष्क्रिय रहे, जिससे ऐसी स्थितियों के प्रबंधन में उनकी प्रभावशीलता को लेकर चिंताएं पैदा हो गईं। जवाब में, चुनाव समिति ने आंतरिक चर्चा की और कुलपति से मिलने की कोशिश की, जिन्होंने कथित तौर पर मुलाकात से इनकार कर दिया।
इसके बाद, पैनल ने छात्र कल्याण के डीन को एक औपचारिक अनुरोध दिया, जिसमें आगामी चुनाव प्रक्रियाओं, विशेष रूप से मतदान और मतगणना के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करने के लिए दिल्ली पुलिस कर्मियों की तैनाती का आग्रह किया गया। चुनाव समिति के एक सदस्य ने कहा, "नामांकन के दौरान गार्ड स्थिति को संभाल नहीं पाए। मतदान के दिन 5,000 छात्रों की भीड़ को नियंत्रित करने की उनसे उम्मीद करना अवास्तविक है।"
हालांकि, विश्वविद्यालय के एक अधिकारी ने कहा कि एक बार चुनाव समिति गठित हो जाने के बाद प्रशासन की चुनाव प्रक्रिया में कोई भूमिका नहीं रह जाती। अधिकारी ने कहा, "डूसू चुनावों की तरह जेएनयू चुनावों में पुलिस की तैनाती आम बात नहीं है। अगर कोई समस्या है तो चुनाव समिति को उसे स्वतंत्र रूप से सुलझाना चाहिए।" गतिरोध के कारण पूरी चुनाव प्रक्रिया के पटरी से उतरने का खतरा है। यदि गतिरोध जारी रहा तो 23 अप्रैल को होने वाली बहुप्रतीक्षित राष्ट्रपति पद की बहस भी रद्द हो सकती है।