पाक हाई कमिशन के कर्मचारी दानिश ने की थी दिल्लीवालों को ISI के लिए भर्ती करने की कोशिश
पाकिस्तान हाई कमिशन का निष्कासित कर्मचारी एहसान-उर-रहीम उर्फ दानिश ने दिल्ली में आईएसआई के लिए लोगों की भर्ती करना चाहता था। जांच से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, दानिश ने दिल्ली में करीब दो दर्जन लोगों को अपने जाल में फंसाने की कोशिश की थी।

पाकिस्तान हाई कमिशन का निष्कासित कर्मचारी एहसान-उर-रहीम उर्फ दानिश ने दिल्ली में आईएसआई के लिए लोगों की भर्ती करना चाहता था। जांच से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, दानिश ने दिल्ली में करीब दो दर्जन लोगों को अपने जाल में फंसाने की कोशिश की थी। इनमें ऐसे लोग शामिल थे जिन्होंने या तो पाकिस्तान जाने के लिए वीजा अप्लाई किया था या वे आवेदकों के रिश्तेदार थे।
द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, स्पेशल ब्रांच के एक अधिकारी ने बताया कि दिल्ली पुलिस ने पुलिस की इंटेलिजेंस विंग के पाकिस्तान डेस्क से मिली जानकारी के बाद प्रारंभिक जांच शुरू की थी। इसके बाद पुलिस ने करीब 25 लोगों से पूछताछ की, लेकिन बाद में उन्हें छोड़ दिया क्योंकि उनके खिलाफ कोई आपत्तिजनक सामग्री नहीं मिली। जांच में ऐसा लगा कि हाई कमिशन के कर्मचारियों द्वारा उन्हें अपने जाल में फंसाने की कोशिशें कामयाब नहीं हुईं।
हालांकि, दिल्ली पुलिस की जांच में पता चला कि दानिश वीजा अधिकारी नहीं था, जैसा कि हाई कमिशन ने दावा किया था, बल्कि वह पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई में इंस्पेक्टर रैंक का अधिकारी था।
एक सूत्र ने खुलासा किया, "वह शोएब नामक एक सीनियर आईएसआई अफसर को रिपोर्ट करता था और उसे इन्फ्लुएंसर्स की भर्ती के अलावा इंडियन सिम कार्ड की व्यवस्था करने का काम सौंपा गया था। दानिश का पासपोर्ट इस्लामाबाद में जारी किया गया था और उसे 21 जनवरी, 2022 को भारत के लिए वीजा दिया गया था। दस्तावेजों के अनुसार, दानिश का जन्म पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के नरोवाल में हुआ था।"
दानिश को 13 मई को भारत से निष्कासित कर दिया गया था। उस पर आरोप था कि उसने संवेदनशील जानकारी इकट्ठा करने और ऑनलाइन पाकिस्तान समर्थक बयानों को बढ़ावा देने के लिए भारतीय नागरिकों की भर्ती और प्रबंधन में मदद की थी।
वह हरियाणा की ट्रैवल व्लॉगर ज्योति मल्होत्रा के संपर्क में था, जिसे पिछले हफ्ते पाकिस्तान के लिए जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।
दिल्ली में पाकिस्तान हाई कमिशन का जासूसी की गतिविधियों से जुड़े होने का इतिहास रहा है। सूत्रों के अनुसार, आईएसआई अपने एजेंटों को हाई कमिशन में शामिल करती है, उन्हें विभिन्न पदों पर रखा जाता है। इन पाकिस्तानी खुफिया अधिकारियों (पीआईओएस) से पूछताछ में पता चला कि आईएसआई नियमित रूप से सेना के अधिकारियों को अपने देश में भर्ती करती है, उन्हें जासूसी की ट्रेनिंग देती है और उन्हें फर्जी पासपोर्ट और पहचान के साथ हाई कमिशन भेजती है।
पीआईओएस वीजा आवेदकों को परेशानी मुक्त वीजा के बदले में सेना या अर्धसैनिक बलों से जुड़ी जानकारी जुटाने में मदद मांगते हैं। एक सीनियर अफसर ने बताया कि वीजा के इच्छुक लोग पीआईओएस को इंडियन मोबाइल सिम कार्ड दिलाने में भी मदद करते हैं, जिसका इस्तेमाल बाद में संभावित एजेंटों से संपर्क करने के लिए किया जाता है।
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल और मिलिट्री इंटेलिजेंस ने मई 2020 में ऐसी ही एक साजिश का भंडाफोड़ किया, जिसमें वीजा अधिकारी बनकर आए दो अधिकारी आबिद हुसैन और ताहिर खान आईएसआई एजेंट निकले। बाद में उन्हें अवांछित घोषित कर भारत से निकाल दिया गया। इस घटना के बाद पाकिस्तान उच्चायोग के कर्मचारियों की संख्या 180 से घटकर 90 हो गई। 2021 में इसी तरह के एक स्टिंग ऑपरेशन में हाई कमिशन में पाकिस्तानी मूल के एक वीजा अधिकारी का पर्दाफाश हुआ। वह आईएसआई के लिए काम करता पाया गया।