रेखा गुप्ता ने जिन 194 लोगों से पद छीने उनमें AAP के कई बड़े नाम और केजरीवाल के करीबी
दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी की सरकार आने के दो महीने बाद आम आदमी पार्टी के कई नेताओं से वो पद छिन गए हैं जो अरविंद केजरीवाल के दौर में उन्हें मिले थे।

दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार आने के दो महीने बाद आम आदमी पार्टी (आप) के कई नेताओं से वो पद छिन गए हैं जो अरविंद केजरीवाल के दौर में उन्हें मिले थे। रेखा गुप्ता सरकार ने दिल्ली सरकार के कई विभागों, निकायों, समितियों आदि में 194 नामित नियुक्तियों को रद्द कर दिया है। जिन लोगों ये पद 'छीने' गए हैं उनमें कई बड़े 'आप' नेता और अरविंद केजरीवाल के करीबी शामिल हैं। इनमें सबसे बड़ा नाम गोपाल राय का है।
4 अप्रैल को सरकार की ओर से निकाले गए आदेश में ऐसे 22 संस्थानों में पूर्व में हुई इन नियुक्तियों को रद्द किया गया है। एक अधिकारी ने बताया कि दिल्ली जल बोर्ड, दिल्ली हज कमिटी, पशु कल्याण बोर्ड, तीर्थ विकास समिति, उर्स समिति, हिंदी अकादमी, उर्दू अकादमी, साहित्य कला परिषद आदि में राजनीतिक नियुक्तियां की गईं थीं, जहां अब हटा दिया गया है। एक अधिकारी ने बताया कि नियुक्त किए गए लोगों में विधायक और विभिन्न क्षेत्रों के एक्सपर्ट शामिल हैं। आमतौर पर सरकारें इन पदों पर अपने नेताओं या उनके वैचारिक नजदीकी रखने वाले लोगों को नियुक्त करती हैं।
दिल्ली स्टेट हज कमिटी, तीर्थ यात्रा विकास समिति और उर्स समिति राजस्व विभाग के अधीन है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने नाम गोपनीय रखने की शर्त पर बताया कि हज पैनल में शामिल रहे विधायक अब्दुल रहमान और हाजी युनूस की नियुक्ति रद्द कर दी गई है। लिस्ट में पूर्व विधायक विनय मिश्रा का नाम भी शामिल है जो दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष थे। 'आप' नेता जितेंद्र तोमर की पत्नी प्रीति तोमर और विधायक अजय दत्त को सदस्य बनाया गया था। इन सभी के पद अब छिन गए हैं।
अधिकारी ने बताया, 'पूर्व पर्यावरण मंत्री गोपाल राय को दिल्ली कृषि विपणन बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया था, जबकि तब विधायक रहे गुलाब सिंह को दिल्ली ग्रामीण विकास बोर्ड का वीसी बनाया गया था।' राजनीतिक नियुक्तियों में संजीव झा का नाम भी शामिल था जो मैथिली-भोजपुरी अकादमी के उपाध्यक्ष बनाए गए थे। यहां तक कि दिल्ली बायोडायवर्सिटी काउंसिल और प्लानिंग अथॉरिटी आदि में भी राजनीतिक नियुक्तियां की गई थीं। एक अन्य अधिकारी ने कहा कि इन संस्थाओं में अधिकतर नियुक्तियां राजनीतिक थीं। अपने नेताओं को फायदा पहुंचाने के लिए उन्हें पद दिए गए थे। भाजपा सरकार जल्द ही इन पदों पर नई नियुक्तियां करने जा रही है।