LG के खिलाफ दायर सभी याचिकाएं वापस लेगी दिल्ली सरकार, उपराज्यपाल को SC से मिल गई बड़ी राहत
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को पूर्ववर्ती आम आदमी पार्टी सरकार द्वारा दिल्ली उपराज्यपाल के खिलाफ दायर सभी 7 याचिकाएं वापस लेने की अनुमति दे दी।

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली सरकार को उन सभी 7 याचिकाएं वापस लेने की अनुमति दे दी, जिन्हें राज्य की पिछली आम आदमी पार्टी सरकार ने दिल्ली के उपराज्यपाल के खिलाफ दायर किया था। इन याचिकाओं में यमुना सफाई से जुड़े एक मामले सहित विभिन्न सरकारी निकायों और निर्णयों में उपराज्यपाल की संवैधानिक शक्ति और भूमिका को चुनौती दी गई थी।
इससे एक दिन पहले गुरुवार को दिल्ली सरकार ने राज्य में सत्ता परिवर्तन का हवाला देते हुए शीर्ष अदालत से मामले वापस लेने के लिए तत्काल सुनवाई की गुजारिश की थी। सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने मामले की जानकारी देते हुए कहा था कि आवेदन में शीर्ष अदालत में लंबित सात मामलों को वापस लेने की मांग की गई है, जिसमें ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, यमुना सफाई सहित कई समितियों में लेफ्टिनेंट गवर्नर (एलजी) के अधिकार को चुनौती दी गई है और अधिनियमों और अध्यादेशों की वैधता के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।
इस अपील के बाद जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने राज्य सरकार के आवेदन को शुक्रवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया था।
वापस ली जाने वाली याचिकाओं में से एक मामला शीर्ष अदालत द्वारा NGT (राष्ट्रीय हरित अधिकरण) के उस निर्देश पर रोक लगाने से संबंधित है, जिसमें दिल्ली के उपराज्यपाल को यमुना नदी के पुनरुद्धार के लिए गठित उच्च स्तरीय समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था।
पिछली AAP सरकार ने NGT अधिनियम की धारा 22 के तहत इस नियुक्ति को चुनौती दी थी, जिसमें कहा गया था कि यह आदेश दिल्ली के प्रशासन को नियंत्रित करने वाली संवैधानिक योजना का उल्लंघन करता है। तत्कालीन AAP सरकार ने तर्क दिया कि उप राज्यपाल आप एक संवैधानिक व्यक्ति हैं, जिनकी वास्तविक कार्यकारी शक्ति तीन विषयों तक सीमित है। पुलिस, सार्वजनिक व्यवस्था और भूमि ऐसे में NGT के फैसले ने निर्वाचित सरकार के अधिकार को कमजोर कर दिया है।
(वार्ता इनपुट के साथ)