अमीरों के अवैध निर्माण को बचाया जा रहा; SC ने दिल्ली सरकार, DDA और MCD को जारी किया नोटिस
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अनाधिकृत झुग्गीवासियों की सुरक्षा के लिए उदार कदम समझ में आ सकते हैं, लेकिन समृद्ध अवैध कॉलोनियों को संरक्षण प्रदान करना गंभीर चिंता का विषय है। कोर्ट ने इस मामले में केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय, दिल्ली सरकार, डीडीए और एमसीडी को नोटिस जारी किया है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अनाधिकृत झुग्गीवासियों की सुरक्षा के लिए उदार कदम समझ में आ सकते हैं, लेकिन समृद्ध अवैध कॉलोनियों को संरक्षण प्रदान करना गंभीर चिंता का विषय है। कोर्ट अवैध निर्माण से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
बार एंड बेंच की एक रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने मंगलवार को वसंत कुंज में श्री साईं कुंज जैसी कॉलोनियों में अवैध निर्माण के संबंध में एमिकस क्यूरी (न्यायमित्र) वरिष्ठ अधिवक्ता अनीता शेनॉय द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई की। पीठ ने दिल्ली में समृद्ध अनधिकृत कॉलोनियों के नियमितीकरण और संरक्षण के मुद्दे पर केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय, दिल्ली सरकार, दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) और दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) को नोटिस जारी किया। पीठ ने दो महीने के भीतर हलफनामा दाखिल कर संपन्न वर्गों के अवैध ढांचों के संरक्षण का औचित्य बताने का निर्देश दिया।
एमसीडी के हलफनामे के आधार पर नियमितीकरण के लिए वर्तमान में पहचानी गई सबसे विवादास्पद और समृद्ध अनधिकृत कॉलोनियों में सैनिक फार्म, अनंत राम डेयरी, डिफेंस सर्विसेज एन्क्लेव, अनुपम गार्डन, फ्रीडम फाइटर्स एन्क्लेव, भवानी कुंज और राजोकरी एन्क्लेव शामिल हैं। इन कॉलोनियों में राजनेता, व्यवसायी, नौकरशाह और सेवानिवृत्त रक्षा अधिकारियों सहित हाई-प्रोफाइल निवासी रहते हैं। इस वजह से इनका नियमितीकरण राजनीतिक और सामाजिक रूप से संवेदनशील हो जाता है।
आदेशों को दरकिनार करने का प्रयास
पीठ वसंत कुंज में श्री साईं कुंज जैसी कॉलोनियों में अवैध निर्माण के संबंध में एमिकस क्यूरी वरिष्ठ अधिवक्ता अनीता शेनॉय द्वारा दायर एक आवेदन पर सुनवाई कर रही थी। पीठ ने कहा कि अनाधिकृत झुग्गीवासियों की सुरक्षा के लिए उदार कदम समझ में आ सकते हैं, लेकिन समृद्ध अवैध कॉलोनियों को संरक्षण प्रदान करना गंभीर चिंता का विषय है। कोर्ट ने पाया कि कानूनों और नियमों के माध्यम से समृद्ध अनधिकृत कॉलोनियों को नियमित करने का प्रयास किया जा रहा है। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि ध्वस्तीकरण के आदेशों को दरकिनार करने के लिए बार-बार प्रयास किए जा रहे हैं।
संपन्न लोगों की अवैध कॉलोनियों को दिया जा रहा लाभ
कोर्ट ने दिल्ली सरकार और नगर निकायों को नोटिस जारी करते हुए कहा, "हमारा ध्यान विभिन्न विधानों और विनियमों की ओर भी आकर्षित किया जाता है, जिनके द्वारा नियमितीकरण का लाभ नियमित रूप से संपन्न लोगों की अवैध कॉलोनियों को दिया जा रहा है। हम झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वालों की सुरक्षा के लिए अधिकारियों की ओर से कुछ उदार भाव समझ सकते हैं, लेकिन जैसा कि विद्वान न्यायमित्र ने सही कहा है कि किसी तरह से विनियमों या विधानों की मदद से संपन्न लोगों की अनधिकृत कॉलोनियों को नियमित करने का प्रयास किया जा रहा है।"
यह घटनाक्रम एम.सी. मेहता बनाम भारत संघ मामले में 25 मार्च के आदेश के अनुपालन में एमसीडी द्वारा नई स्टेटस रिपोर्ट दाखिल किए जाने के बाद हुआ। उस आदेश में कोर्ट ने एमसीडी से यह बताने को कहा था कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली कानून (विशेष प्रावधान) द्वितीय (संशोधन) अधिनियम, 2014 के अंतर्गत कितने ढांचे आते हैं। साथ ही नियमितीकरण के लिए पीएम-उदय योजना को रिकॉर्ड में शामिल करने को कहा था।
116 फ्लैट अवैध पाए गए, सिर्फ 28 को नोटिस
24 अप्रैल को दाखिल की गई स्टेटस रिपोर्ट में खुलासा किया गया कि श्री साईं कुंज कॉलोनी में कुल 126 फ्लैट हैं। इनमें से सिर्फ 10 फ्लैट ही 2014 के विशेष प्रावधान अधिनियम के तहत संरक्षित हैं। 116 फ्लैट अवैध पाए गए और सिर्फ 28 फ्लैट को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए। एमसीडी ने बताया कि बाकी 88 फ्लैट को नोटिस जारी करने की प्रक्रिया चल रही है।
हलफनामे में नियमितीकरण के लिए पीएम-उदय योजना का भी हवाला दिया गया है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 2019 में बनाए गए नियमों के तहत समृद्ध अनधिकृत कॉलोनियों को पीएम-उदय के दायरे से स्पष्ट रूप से बाहर रखा गया था। श्री साईं कुंज कॉलोनी को नियमों से जुड़ी समृद्ध कॉलोनियों की सूची में 43वें नंबर पर दिखाया गया था।
कोर्ट ने कहा, "सबसे पहले हमें कहीं भी पीएम-उदय योजना का कोई संदर्भ नहीं मिला। दूसरे, विनियमन 7 के तहत समृद्ध अनधिकृत कॉलोनियों को बाहर रखा गया है। समाज के समृद्ध वर्गों द्वारा बसाई गई अनधिकृत कॉलोनियों की सूची विनियमों में संलग्न है। इसमें श्री साईं कुंज 43वें नंबर पर है। इसलिए ये नियम श्री साईं कुंज कॉलोनी पर लागू नहीं होते हैं।"
पीएम-उदय योजना का हवाला क्यों दिया?
कोर्ट ने कहा कि समृद्ध कॉलोनियों के निवासियों को पीएम-उदय के तहत कोई अधिकार नहीं दिए जा सकते हैं। एमसीडी को यह बताने का निर्देश दिया कि उसने श्री साईं कुंज निवासियों के समर्थन में पीएम-उदय योजना का हवाला क्यों दिया। पीठ ने कहा कि एमसीडी को कोर्ट को यह बताना चाहिए कि उसने पीएम-उदय योजना का सहारा कैसे लिया, जबकि उसे अच्छी तरह पता था कि यह कॉलोनी एक समृद्ध कॉलोनी है। पीठ ने आगे निर्देश दिया कि दिल्ली नगर निगम अधिनियम की धारा 343/344 के तहत एक सप्ताह के भीतर सभी शेष 88 अवैध फ्लैटों को नोटिस जारी किए जाने चाहिए।
रोक के बावजूद अवैध निर्माण जारी
एमिकस क्यूरी वरिष्ठ अधिवक्ता एस गुरु कृष्ण कुमार ने कहा कि पीएम-उदय नियमों के तहत, श्री साईं कुंज जैसी समृद्ध अनधिकृत कॉलोनियों को नियमित नहीं किया जा सकता। उन्होंने बताया कि रोक के बावजूद अधिकारी श्री साईं कुंज, सैनिक फार्म और अन्य कॉलोनियों में अवैध निर्माण को जारी रखे हुए हैं।
कृष्णकुमार ने कहा, "ऐसा नहीं हो सकता कि शहर अनधिकृत निर्माणों पर चलता हो और उन्हें नियमित किया जा रहा हो। यह गंभीर रूप से गलत है। इससे नागरिक अव्यवस्था फैलती है। कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि अति-समृद्ध, अवैध कॉलोनियों को संरक्षण देने से शहरी नियोजन में बुनियादी रूप से कमी आई है और बिना किसी जवाबदेही के नागरिक बुनियादी ढांचे पर दबाव पड़ा है।