सुखबीर बादल पर गोली चलाने के आरोपी नारायण सिंह चौड़ा को 110 दिन बाद मिली जमानत
- अमृतसर की अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुमित घई की अदालत ने पूर्व आतंकी नारायण सिंह चौड़ा की जमानत अर्जी स्वीकार कर ली।

अमृतसर स्थित गोल्डन टेंपल में धार्मिक सजा भुगतने के दौरान पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री और शिरोमणि अकाली दल के पूर्व अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल पर गोली चलाने के आरोपी नारायण सिंह चौड़ा को 110 दिन जेल में बंद रहने के बाद जमानत मिल गई है। अमृतसर की अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुमित घई की अदालत ने पूर्व आतंकी नारायण सिंह चौड़ा की जमानत अर्जी स्वीकार कर ली।
मामले की पैरवी कर रहे वकील जेएस रंधावा ने बताया कि पुलिस द्वारा नारायण चौड़ा के पुराने 28 केसों का बहस के दौरान हवाला दिया जाता रहा जबकि उन्होंने कोर्ट से निवेदन किया कि उक्त मामले में कोई भी घायल नहीं हुआ था। नारायण चौड़ा की 78 साल की उम्र का भी सुनवाई के दौरान जिक्र किया गया।
सुखबीर को मानता था पंथ का गद्दार
नारायण सिंह चौड़ा ने चार दिसंबर, 2024 में गोल्डन टेंपल में धार्मिक सजा भुगत रहे सुखबीर बादल पर गोली चला दी थी। मौके पर मौजूद सुरक्षा कर्मियों और एसजीपीसी की टास्क फोर्स ने चौड़ा को गोली चलने के दौरान ही काबू कर लिया। इस कारण पूर्व आतंकी का निशाना चूक गया था। नारायण सिंह चौड़ा सुखबीर बादल को पंथ का गद्दार मानता था। इसी वजह से आरोपी चौड़ा ने सुखबीर बादल की हत्या की कोशिश की। यह बात उसने गिरफ्तारी के बाद कबूल की थी। श्री अकाल तख्त साहिब ने बेअदबी मामले में सुखबीर सिंह बादल को धार्मिक सजा सुनाई थी। इस सजा के तहत ही सुखबीर सिंह बादल दरबार साहिब में सेवा कर रहे थे।
कई आतंकी गतिविधियों में शामिल रहा है चौड़ा
नारायण सिंह चौड़ा गर्म ख्याली संगठन दल खासला से जुड़ा हुआ है और यूएपीए में वांटेड रह चुका है। चौड़ा बब्बर खालसा इंटरनेशनल का आंतकी रहा है। वह 1984 में पाकिस्तान गया था। उसका नाम हथियारों और विस्फोटकों की तस्करी में शामिल है। वो बुड़ैल जेलब्रेक मामले में भी आरोपी था और वह पंजाब की जेल में सजा भी काट चुका है।
नारायण सिंह चौड़ा को 28 फरवरी, 2013 में तरनतारन जिले के जलालाबाद गांव से गिरफ्तार किया गया था। उसके खिलाफ करीब एक दर्जन केस दर्ज हैं। उसने 8 मई, 2010 में अमृतसर के सिविल लाइंस पुलिस थाने में विस्फोट भी किया था। इसके अलावा नारायण चौड़ा तरनतारन और रोपड़ जिलों में अनलॉफुल एक्टिविटी (प्रिवेंशन) एक्ट यानी यूएपीए भी वांटेड था। हालांकि उसे 2018 में जमानत पर रिहा कर दिया गया था।
रिपोर्ट: मोनी देवी
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