CBSE ने परीक्षाओं से हटा दी पंजाबी भाषा? भड़के शिक्षा मंत्री, बोर्ड ने दी सफाई
- CBSE की प्रस्तावित नई परीक्षा प्रणाली के अनुसार, कक्षा 10 के छात्र शैक्षणिक सत्र के दौरान दो बार बोर्ड परीक्षा में बैठ सकते हैं। पहली परीक्षा फरवरी में और दूसरी मई में होगी।

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) की कक्षा 10वीं बोर्ड परीक्षा से जुड़ी प्रस्तावित नीतियों में पंजाबी भाषा का उल्लेख न होने से विवाद खड़ा हो गया है। इस मुद्दे पर पंजाब के शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बैंस ने कड़ा विरोध जताया है और इसे पंजाबी भाषा पर "हमला" करार दिया है। हालांकि, CBSE अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि कोई भी विषय सूची से हटाया नहीं जाएगा और मौजूदा विषय जारी रहेंगे।
CBSE की नई परीक्षा नीति पर विवाद
CBSE ने मंगलवार को कक्षा 10वीं की बोर्ड परीक्षा वर्ष में दो बार कराने की नई परीक्षा नीति को मंजूरी दी। यह नीति अब सार्वजनिक प्रतिक्रिया के लिए 9 मार्च तक उपलब्ध रहेगी, जिसके बाद इसे अंतिम रूप दिया जाएगा। मगर विवाद तब खड़ा हुआ जब ड्राफ्ट दस्तावेज में विषयों की सूची से पंजाबी गायब पाई गई।
इस पर पंजाब के शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बैंस ने कड़ा ऐतराज जताते हुए कहा, "CBSE की नई परीक्षा प्रणाली पंजाबी भाषा को मिटाने का प्रयास कर रही है। पंजाबी को पंजाब की प्रमुख भाषा के रूप में मान्यता मिलनी चाहिए और इसे पूरे देश में एक क्षेत्रीय भाषा के रूप में भी शामिल किया जाना चाहिए, क्योंकि इसे कई राज्यों में पढ़ा और बोला जाता है। हम किसी भी तरह से पंजाबी भाषा पर हमले को सहन नहीं करेंगे।" बैंस ने यह बयान एक वीडियो के माध्यम से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर शेयर किया।
पंजाब की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी सरकार ने शिक्षा मंत्री बैंस का वीडियो बयान शेयर करते हुए लिखा, "बीजेपी की पंजाब विरोधी मानसिकता फिर सामने आई‼️ हम केंद्र सरकार के CBSE Board के नई परीक्षा पैटर्न पर कड़ी आपत्ति जताते हैं, जो पंजाबी भाषा को खत्म करने का प्रयास करती है! पंजाबी को Regional Languge से हटा दिया गया है। मेरी केंद्र सरकार से मांग है कि पंजाबी को पंजाब में मुख्य भाषा के रूप में नामित किया जाना चाहिए और आगे देश के बाकी हिस्सों के लिए सीबीएसई में एक क्षेत्रीय भाषा के रूप में शामिल किया जाना चाहिए, क्योंकि पंजाबी देश के कई राज्यों में बड़ी संख्या में रहते हैं।"
CBSE ने दी सफाई
CBSE परीक्षा नियंत्रक संयम भारद्वाज ने इस मामले पर सफाई देते हुए कहा कि विषयों की सूची में कोई बदलाव नहीं किया गया है। उन्होंने कहा, "ड्राफ्ट नीति में दी गई विषयों की सूची केवल सांकेतिक है। जो विषय फिलहाल उपलब्ध हैं, वे दोनों परीक्षाओं में शामिल रहेंगे। किसी भी विषय को हटाने का कोई इरादा नहीं है।"
नई परीक्षा प्रणाली के प्रमुख बिंदु
CBSE की प्रस्तावित नई परीक्षा प्रणाली के अनुसार, कक्षा 10 के छात्र शैक्षणिक सत्र के दौरान दो बार बोर्ड परीक्षा में बैठ सकते हैं। पहली परीक्षा फरवरी में और दूसरी मई में होगी।
- पहली परीक्षा 17 फरवरी से 6 मार्च के बीच होगी।
- दूसरी परीक्षा 5 मई से 20 मई के बीच होगी।
- छात्र चाहें तो दोनों परीक्षाओं में बैठ सकते हैं या फिर किसी एक को चुन सकते हैं।
- अगर कोई छात्र पहली परीक्षा में संतुष्ट है, तो उसे दूसरी में शामिल होने की जरूरत नहीं होगी।
- कोई छात्र किसी एक विषय में दोबारा परीक्षा देना चाहे तो वह भी संभव होगा।
- अलग से पूरक (supplementary) परीक्षा आयोजित नहीं की जाएगी। दूसरी परीक्षा को ही सुधार परीक्षा माना जाएगा।
नई शिक्षा नीति की सिफारिश
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) ने छात्रों को "अत्यधिक दबाव वाली" बोर्ड परीक्षाओं से बचाने के लिए एक शैक्षणिक वर्ष में दो बार परीक्षा देने की सुविधा का सुझाव दिया था। CBSE की यह नई नीति उसी सिफारिश पर आधारित है। हालांकि, पंजाबी भाषा को लेकर उपजा विवाद अभी भी बना हुआ है। अब यह देखना होगा कि सार्वजनिक प्रतिक्रिया के बाद CBSE इस विषय पर कोई संशोधन करता है या नहीं।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।