Rajasthan Diwas 2025: 7 चरणों में कैसे बना आज का राजस्थान? जानिए रियासतों के विलय की कहानी
- मगर आज का राजस्थान सात चरणों से गुजरने के बाद देश के सामने आ पाया है। अलग-अलग दौर में तमाम छोटी-बड़ी रियासतें और हिस्से इसमें मिलते रहे और राज्य का स्वरूप बदलता रहा।

आज के दिन यानी 30 मार्च को राजस्थान अपना 77 वां जन्मदिवस मना रहा है। इसी दिन राजस्थान आधिकारिक तौर पर संघीय इकाई का हिस्सा बना था। इस लिहाज से देखें तो आज राजस्थान 76 साल का हो चुका है। मगर आज का राजस्थान सात चरणों से गुजरने के बाद देश के सामने आ पाया है। अलग-अलग दौर में तमाम छोटी-बड़ी रियासतें और हिस्से इसमें मिलते रहे और राज्य का स्वरूप बदलता रहा। जानिए इन रियासतों और हिस्सों के एकीकरण और विलीनीकरण की कहानी।
जानिए कितनी गहरी हैं इतिहास की जड़ें
राजस्थान का लंबा इतिहास रहा है। यह प्रागैतिहासिक काल से चला आ रहा है। यानी इंसानों के इतिहास का वह हिस्सा जिसके लिखित साक्ष्य नहीं हैं। यहां 3000 और 1000 ईसा पूर्व सिंधु घाटी सभ्यता भी खूब फली-फूली। इसके बाद अगर 12 वीं शताब्दी की बात करें तो चौहान एक मजबूत शक्ति बनकर उभरे। 7वीं शताब्दी में राजपूतों ने मजबूती कायम की। फिर मेवाड़ आए। इस तरह अलग-अलग दौर में यहां जोर आजमाइश चलती रही।
पहला चरण- मत्स्य संघ
मगर 1947 में देश आजाद हो चुका था। इलाकों और रियासतों का एकीकरण होना शुरू हो चुका था। देश के पश्चिमी हिस्से के इस रेतीले भाग पर सबकी नजर थीं। चूंकि देश का विभाजन और सांप्रदायिकता की चोट ने सबको लहूलुहान कर दिया था। इसके गहरे जख्म भरतपुर और अलवर में भी दिखाई दिए थे। यहां दंगे जोरों पर थे। 17 मार्च 1948 को भारत सरकार ने यहां की कमान अपने हाथों में ले ली।
मत्स्य संघ में किन क्षेत्रों को जोड़ा गया
सरकार ने इन दो इलाकों की देख-रेख अपने हाथ में ले ली। इसकी वजह यहां शांति व्यवस्था कायम नहीं हो सकी थी। इसके बाद सरकार ने दो पड़ोसी क्षेत्रों की तरफ नजर दौड़ाई और उनसे बातचीत की कोशिशें शुरू की। इस तरह पड़ोसी राज्य करौली और धौलपुर को सरकार मनाने में कामयाब हो गई। इन्हीं चार राज्य को जोड़कर मत्स्य संघ की स्थापना हुई।
दूसरा चरण- राजस्थान संघ
सरकार के इस प्रयास का अच्छा असर देखने को मिला। चार इलाकों के एकीकरण को देखकर दक्षिण एवं दक्षिण-पूर्वी राजपुताना के दस और रियासतें साथ आने को तैयार हो गईं। यह सब मजह 8 दिनों के अंदर हो गया। इस तरह 25 मार्च 1948 को नया नाम 'राजस्थान संघ' निकलकर आया, जिसमें कुल 14 राज्य(इलाके) थे। नए जुड़ने वाले इलाकों के नाम थे- कुशलगढ़, बांसवाड़ा, कोटा, बूंदी, झालावाड़, टोंक, शाहपुरा, प्रतापगढ़, डूंगरपुर तथा किशनगढ़।
तीसरा चरण- संयुक्त राज्य राजस्थान
मेवाड़ों के राज्य (इलाका) ने भी राजस्थान संघ से जुड़ने की इच्छा जाहिर की। इसके बाद 18 अप्रैल 1948 को उदयपुर रियासत राजस्थान संघ में एकजुट हो गई। इसके बाद इसका नाम फिर बदल दिया गया। अब इसमें कुल रियासत 15 हो गईं। इसका नाम निकलकर आया, संयुक्त राज्य राजस्थान।
चौथा चरण- ग्रेटर राजस्थान
राजस्थान के इतिहास में 30 मार्च की तारीख खास महत्व रखती है। इस दिन साल 1949 को चार रियासतों का एकीकरण हुआ। इनके नाम जोधपुर, जयपुर, बीकानेर और जैसलमेर थे। इनको संयुक्त राज्य राजस्थान में मिलाया गया और अब नए बने हिस्से को ग्रेटर राजस्थान कहा गया। इसके बाद से 30 मार्च को राज्य के स्थापना दिवस के तौर पर मनाने लगे।
पाँचवाँ, छठा और सातवां चरण-
पाँचवाँ चरण - 15 मई 1949 को शंकरराव देव समिति की सिफारिश पर मत्स्य संघ को ग्रेटर राजस्थान के साथ मिला दिया गया। इससे संयुक्त राज्य ग्रेटर राजस्थान का निर्माण हुआ।
छठा चरण - मगर एकमात्र रियासत सिरोही अभी तक इसमें शामिल नहीं हुई थी, क्योंकि यहां के शासक नाबालिग थे। मगर 26 जनवरी 1950 को वो भी शामिल हो गई। इसे संयुक्त राजस्थान नाम दिया गया। और वर्तमान राजस्थान निकलकर सामने आया।
सातवां चरण- इस दौरान राजस्थान का पुनर्गठन हुआ। अजमेर- मेरवाड़ा इलाके काफी समय से ब्रिटिश शासन के अधीन थे। मगर 1 नवंबर 1956 को इन्हें राजस्थान में मिलाया गया। और राजस्थान अपने वर्तमान स्वरूप में आया। अ, ब, स राज्यों के बीच के अंतर को खत्म कर दिया गया। राजप्रमुख और महाराज जैसे पद खत्म हुए। राज्यपाल का पद बनाया गया।