A blood test will tell condition of heart in just 40 minutes research done in Lucknow PGI got published in this journal सिर्फ 40 मिनट में खून की जांच बता देगी दिल का हाल, लखनऊ पीजीआई में रिसर्च, इस जर्नल में स्थान मिला, Uttar-pradesh Hindi News - Hindustan
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सिर्फ 40 मिनट में खून की जांच बता देगी दिल का हाल, लखनऊ पीजीआई में रिसर्च, इस जर्नल में स्थान मिला

लखनऊ पीजीआई और सेंटर ऑफ बायोमेडिकल रिसर्च (सीबीएमआर) ने एक अहम शोध किया है। वैज्ञानिकों ने तीन ऐसे बायोमार्कर बनाए हैं जो हार्ट की किस धमनी में कितनी रुकावट (ब्लॉकेज) है? धमनियों में संकुचन, सूजन,खून का थक्का बनने, दिल को ऑक्सीजन व खून कम मिलने की शुरू में जानकारी दे देंगे।

Yogesh Yadav लखनऊ, सुशील सिंहFri, 23 May 2025 05:39 PM
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सिर्फ 40 मिनट में खून की जांच बता देगी दिल का हाल, लखनऊ पीजीआई में रिसर्च, इस जर्नल में स्थान मिला

महज 40 मिनट में खून की जांच दिल की धमनियों का सटीक हाल बता देंगी। यह संभव हुआ पीजीआई और सेंटर ऑफ बायोमेडिकल रिसर्च (सीबीएमआर) के शोध से। वैज्ञानिकों ने तीन ऐसे बायोमार्कर बनाए हैं जो हार्ट की किस धमनी में कितनी रुकावट (ब्लॉकेज) है? धमनियों में संकुचन, सूजन,खून का थक्का बनने, दिल को ऑक्सीजन व खून कम मिलने की शुरू में जानकारी दे देंगे। वह भी केवल 100 रुपए के खर्च में। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के प्रतिष्ठित अमेरिकन जर्नल ऑफ़ फिजियोलॉजी-हार्ट एंड सर्कुलेटरी फिजियोलॉजी ने इस शोध को मान्यता दी है। भारत के किसी शोध को इस जर्नल में 10 वर्ष बाद जगह मिली है।

कोरोनरी आर्टरी डिजीज (सीएडी) दिल की गंभीर बीमारी है। धमनियों में ब्लाक बनने (एथेरोस्क्लेरोसिस) से दिल को खून पहुंचाने वाली धमनियां संकरी या अवरुद्ध हो जाती है। वैज्ञानिक का दावा है कि अभी तक खून की जांच से शुरुआती दौर में दिल की धमनियों का सटीक हॉल बताने वाली कोई जांच उपलब्ध नहीं है। अब इस शोध से ये संभव हो गया है।

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दिल का हॉल बताने वाले खोजे बायोमार्कर

सीबीएमआर के वैज्ञानिक डॉ. आशीष गुप्ता के मुताबिक शोध में पीजीआई के कार्डियोलॉजी विभाग के 118 रोगियों को शामिल किया गया। इनमें सीने में लगातार दर्द वाले 50 और कोई शारीरिक काम करते समय सीने में दर्द के 68 रोगी के अलग अलग खून के सैंपल लेकर न्यूक्लियर मैग्नेटिक रेजोनेंस (एनएमआर) स्पेक्ट्रोस्कोपी की मदद से जांच की। जांच से मिले डेटा का ओमिक्स तकनीक का उपयोग कर आर्टिफिशियल न्यूरल नेटवर्क से विश्लेषण कर तीन बायोमार्कर क्रिएटिनिन, 3 हाइड्रोक्सी ब्यूटइरेट और एस्पार्टेट खोजे। दोनों समूह वाले रोगियों में इन बायोमार्कर की मात्रा अलग अलग पाई गई। इनकी मात्रा का आकलन कर शुरू में दिल की धमनियों से जुड़ी समस्या का सटीक जानकारी मिल जाएगी।

ये जांच हो सकती है अहम

वैज्ञानिक डॉ. आशीष गुप्ता ने बताया कि अभी सीने में लगातार ज्यादा दर्द वाले रोगियों को धमनियों में ब्लॉकेज व अन्य समस्या पता करने के लिए रोगी को अस्पताल में भर्ती कर करीब 12 हजार रुपए की एंजियोग्राफी की जाती है। इसमें 24 से 72 घंटे लग जाते हैं।इसके अलावा हार्ट अटैक पड़ने या अंदेशा होने पर कार्डियक ट्रोपिनिन टी और आई की जांच की जाती है। जो कि आमतौर पर हार्ट अटैक पड़ने के 6-8 घंटे बाद खून में मिल पते हैं। इन दोनों स्थिति में रोगी की धमनियों में ब्लॉकेज, संकुचित और खराब स्थिति में पहुंच जाती है। ऐसे में ये शोध हार्ट के रोगियों के लिए अहम साबित होगा।

आधे रोगी गैस या कब्ज का ले रहे होते इलाज

पीजीआई कार्डियोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. आदित्य कपूर का कहना है कि अस्पताल की इमरजेंसी में करीब 30 फीसदी रोगी सीने में तेज दर्द के साथ आते हैं। ईसीजी आदि जांच में कुछ नहीं निकलता है। इनमें आधे को डॉक्टर बिना दिल की बीमारी बताकर छुट्टी कर देते। ये सीने के दर्द को गैस, कब्ज आदि की समस्या समझकर उपचार लेते रहते हैं। हार्ट अटैक या अन्य गंभीर समस्या होने पर कार्डियोलॉजिस्ट के पास जाते हैं।

यह रहे शोध में शामिल

यह शोध सीबीएमआर के वैज्ञानिक डॉ. आशीष गुप्ता, डॉ. दीपक कुमार और पीजीआई के कार्डियोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. आदित्य कपूर, डॉ. अंकित साहू और स्व. डॉ. सुदीप कुमार ने किया है।

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