बोले आगरा: फतेहाबाद कस्बे में जहां देखो वहीं बंदरों व गोवंश के झुंड
Agra News - फतेहाबाद कस्बे में बंदरों, श्वानों और आवारा पशुओं का आतंक बढ़ गया है। बाजारों और गलियों में ये जानवर लोगों पर हमला कर सामान छीन रहे हैं। महिलाएं और बच्चे सुरक्षित नहीं हैं, और दुकानदारों को रोजाना...

कस्बा फतेहाबाद में बंदरों, श्वानों व आवारा पशुओं का आतंक बढ़ता जा रहा है। कस्बे का कोई भी बाजार, गली व मोहल्ला इनसे अछूता नहीं है। बंदरों के झुंड जहां देखो वहां नजर आते हैं। ये महिलाओं व बच्चों पर हमला कर उनसे सामान छीन लेते हैं। इधर श्वानों का भी गलियों में कब्जा है। राह चलते लोगों पर ये हमला कर देते हैं। वहीं आवारा पशुओं से भी कस्बे के लोगों को परेशानी हो रही है। जब आवारा पशु सड़कों पर लड़ते हैं तो यातायात व्यवस्था प्रभावित होती है। हादसे की आशंका रहती है।
फतेहाबाद कस्बे के शिवाजी नगर, कानून गोयान, मोहल्ला चौराहा, मोहल्ला हनुमान नगर, जमुना गली ,खटीक मोहल्ला, राजपूत मोहल्ला, काली नगर मोहल्लों में बंदरों का सर्वाधिक आतंक देखा जा सकता है।यहां बंदरों के झुंड के झुंड दिन भर देखे जा सकते हैं। बंदरों की बढ़ती संख्या के कारण लोग परेशान हैं। शुक्रवार को आपके अखबार हिन्दुस्तान के बोले आगरा संवाद के दौरान कस्बे के लोगों ने बंदरों, श्वानों व गोवंशों की समस्या बतायी। कहा कि गलियों में निकलना मुश्किल हो गया है। गलियों में बंदरों, श्वानों व गोवंशों का कब्जा रहता है। बच्चों को अकेले स्कूल या बाजार नहीं भेज सकते हैं। पता नहीं कब बंदर या श्वान उन पर हमला कर दें। कस्बे में बंदरों का आतंक इस कदर है कि लोगों ने बच्चों को छत पर भेजना बंद कर दिया है। वहां अब कपड़े भी नहीं सुखाते हैं। बंदरों से सर्वाधिक परेशान दुकानदार हैं। उनके अनुसार बंदर घात लगाकर झपट्टा मारते हैं और सामान उठाकर ले जाते हैं। आवारा गोवंश भी दुकानों के बाहर रखे सामान को बिखरा देते हैं। इन पर अंकुश लगना जरूरी है। ठेल- धकेल लगाने वालों ने भी कमोबेश यही पीड़ा बतायी। कहा कि अपने परिवार का भरण पोषण कैसे करें। कस्बे में ठेल लगाते हैं। वहां बंदर जब चाहते हैं तब जाकर हमला कर देते है। फल तथा अन्य सामान उठा ले जाते हैं। दिन भर की कमाई पल भर में निकल जाती है। संवाद में कस्बे के लोगों ने बताया कि सिर्फ गलियों में भी नहीं बल्कि छतों पर भी बंदरों के झुंड के झुंड रहते हैं। यदि कोई बच्चा या महिला छत पर जाती है तो उस पर हमला कर देते हैं । कई बार महिलाएं छत से नीचे गिर गई हैं। मौत के मामले भी सामने आए हैं। नगर पंचायत और तहसील प्रशासन द्वारा गोवंश, बंदरों व श्वानों को पकड़ने के लिए कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है। कस्बे के लोगों ने यह भी समस्या बतायी। बंदरों द्वारा कस्बे में लगे पौधों को तहस-नहस कर दिया गया है। इससे हरियाली पर असर पड़ रहा है।
रात में अंधेरे में बैठे रहते हैं गोवंश
संवाद के दौरान यह भी बताया गया कि आवारा गोवंश रात के अंधेरे में प्रमुख मार्गों को घेर लेते हैं। इससे आए-दिन सड़क दुर्घटनाएं हो रही हैं। इसको लेकर कई बार लोगों द्वारा तहसील प्रशासन और नगर पंचायत से शिकायत की गई है लेकिन एक-दो गोवंश को पकड़कर कार्रवाई की इतिश्री कर ली जाती है।
इनकी पीड़ा
1. फतेहाबाद में बंदरों से आम जनता त्रस्त है। दोपहर में भीड़ कम होने पर ये गलियों में आ जाते हैं। राहगीरों का निकलना मुश्किल हो जाता है। सामान देखते ही झपट्टा मार कर ले जाते हैं।
शिवम् गुप्ता
2. बंदरो द्वारा कस्बे में आतंक मचाया हुआ है। इनसे काफी परेशानी हो रही है। बच्चे व महिलाएं छतों पर नहीं जा पा रहे हैं।
विमल
3. फतेहाबाद के सरकारी बस स्टैंड पर पान का खोखा है। बंदरों द्वारा आए दिन नमकीन के पैकेट तथा शीतल जल की बोतलें उठा ली जाती हैं। रोजाना 100 -200 रूपए का नुकसान हो रहा है।
धनीराम बघेल
4. अब तक तो बंदर छतों पर रहते थे लेकिन अब गलियों में डेरा डाले बैठे रहते हैं। रात में बड़ी दिक्कत होती है। आना-जाना मुश्किल हो रहा है। इनको जंगल में छुड़वाया जाए।
सचिन कुमार सर्राफ
5. बंदरों की संख्या बढ़ने से बस्तियों में बच्चों को काटने का डर रहता है। रात में भी बंदर मोहल्ले में सड़कों पर झुंड बनाकर बैठ जाते हैं। राहगीरों पर हमला कर देते हैं।
नितिन कुमार सर्राफ
6. कस्बा फतेहाबाद में बंदरों ने बहुत ही ज्यादा आतंक मचा रखा है। हाथों में कुछ खाने पीने का सामान होता है तो बंदर झपट लेते हैं। कई बार बंदरों के चलते अप्रिय घटनाएं भी होती रहती हैं।
अजीत कुमार गुप्ता
7. फतेहाबाद में बंदरों के आतंक की वजह से मंदिरों तक जाना मुश्किल हो गया है। महिलाएं व बच्चे पूजा-अर्चना नहीं कर पाते है। बहुत ही दिक्कत का सामना करना पड़ता है।
चंदन गुप्ता
8. फतेहाबाद में बंदरों के आतंक का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अस्पताल में हर रोज तीन से चार इनके काटने के आते हैं। वन विभाग बंदरों को जल्दी पकड़े।
सुरेश कुशवाह
9. कस्बे में बंदरों, श्वानों व गोवंशों ने लोगों को बहुत परेशान कर रखा है। तहसील प्रशासन, नगर पंचायत और वन विभाग को संयुक्त अभियान चलाकर इस समस्या से निजात दिलाना चाहिए।
भोला गुप्ता
10. स्कूल जाते समय छात्रों को बंदर बहुत परेशान करते हैं। रास्ते में सड़क को घेरे रहते हैं। हमला कर काट लेते हैं। कई बच्चे उनके हमले में घायल हो चुके हैं।
अक्षत गुप्ता
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