If daughters stay safe then dreams of happiness can come true सुरक्षित रहें बेटियां तो बनें खुशियों के ख्वाब, Aligarh Hindi News - Hindustan
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सुरक्षित रहें बेटियां तो बनें खुशियों के ख्वाब

  • हाथरस के बागला कॉलेज व छेरत होम्योपैथिक मेडीकल कॉलेज में छात्राओं के साथ हुई घटनाओं को लेकर छात्राओं में काफी गुस्सा है। इन घटनाओं पर छात्राओं ने रोष जताते हुए कहा कि जब कॉलेज में ही छात्राएं सुरक्षित नहीं होंगी तो वह आखिर सुरक्षित कहां होंगी।

Sunil Kumar हिन्दुस्तानWed, 26 March 2025 08:12 PM
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सुरक्षित रहें बेटियां तो बनें खुशियों के ख्वाब

गुरू के भेष में बैठे दैत्यों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाही होनी चाहिए। हाथरस के बागला कालेज के प्रोफेसर द्वारा छात्राओं से अश्लील हरकत करते हुए उनका वीडियो बनाने की घटना शिक्षा के मंदिरों को शर्मशार करने का काम किया है। यह घटना लोग अभी भुला भी नहीं सके थे कि अलीगढ़ के छेरत स्थित राजकीय होम्योपैथिक मेडीकल कॉलेज में मेडीकल छात्रा के साथ प्रवक्ता ने गंदी हरकत कर डाली। इन दोनों घटनाओं की समाज ने तीखी निंदा की है। छात्राओं ने कहा कि बेशक सरकार छात्राओं की सुरक्षा, हित को ध्यान रखते हुए कदम उठा रही है, योजनाएं चला रही है लेकिन कॉलेज में बैठे इन दरिंदों से कैसे बचा जाएगा। इन दोनों घटनाओं से छात्राएं काफी भयभीत हैं। पीड़ित छात्राएं स्वयं न्याय के लिए अगर संघर्ष नहीं कर सकती हैं तो पुलिस-प्रशासन को घटनाओं का संज्ञान लेते हुए एक्शन लेना चाहिए। ऐसे कृत्य करने वालों का समाज से बहिष्कार होना चाहिए।

हिन्दुस्तान समाचार पत्र के अभियान बोले अलीगढ़ के तहत मंगलवार को टीम ने अलग-अलग स्थानों पर छात्राओं से संवाद किया। इस दौरान छात्राओं ने कहा कि सरकार और प्रशासन भले ही सुरक्षा और महिला सशक्तिकरण की बातें करें, लेकिन जब तक कॉलेजों में ऐसे अपराधियों के खिलाफ सख्त कदम नहीं उठाए जाते, तब तक छात्राएं खुद को असुरक्षित महसूस करती रहेंगी। छात्राओं का कहना है कि पुलिस-प्रशासन को ऐसे मामलों पर तुरंत संज्ञान लेना चाहिए और आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलवानी चाहिए। जिससे आगे कोई भी ऐसी हरकत करने से पहले सौ बार सोचे। छात्राओं की सुरक्षा को लेकर उनके माता-पिता भी चिंतित हैं।

समाज को भी आगे आना होगा

इन घटनाओं से छात्राओं में भय का माहौल है और वे खुद को असहाय महसूस कर रही हैं। अगर वे न्याय के लिए संघर्ष नहीं कर सकतीं, तो समाज और प्रशासन को उनकी आवाज बनना होगा। छात्राओं ने कहा कि अब यह देखने वाली बात होगी कि सरकार और प्रशासन छात्राओं की सुरक्षा को लेकर कितनी गंभीरता से कदम उठाते हैं। लेकिन एक बात साफ है जब तक ऐसे अपराधियों को सख्त सजा नहीं मिलेगी, तब तक बेटियों की सुरक्षा पर सवाल बना रहेगा।

प्रशासन से मांग

-✅शिक्षा संस्थानों में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाएं।

✅-हर कॉलेज और स्कूल में महिला सुरक्षा सेल बनाया जाए।

✅-छात्राओं को किसी भी तरह की समस्या होने पर तुरंत शिकायत करने की सुविधा मिले।

✅-दोषी पाए जाने वाले शिक्षकों और स्टाफ को तुरंत बर्खास्त कर उनके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए।

शिकायत पेटिका बनीं शोपीस, कहां करें शिकायत

मिशन शक्ति अभियान के तहत स्कूल-कॉलेजों में पुलिस की ओर से लगवाई गई शिकायत पेटिकाएं शोपीस बनकर ही रह गई हैं। कई जगह से तो पेटिकाएं ही गायब हो चुकी हैं। कई जगह लगी पेटिकाओं का बुरा हाल है, इन पर लगे तालों को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि वह कब से नहीं खोले गए। मनचलों की शिकायत करने के लिए थाने, चौकी जाने की जरूरत नहीं पड़े, इसके लिए स्कूल-कालेज में पुलिस की ओर से शिकायत पेटी लगवाई गईं थी। मकसद था कि इसमें मनचलों के साथ ही उत्पीड़न करने वाले शिक्षकों की भी शिकायत की जा सकीती है। इस शिकायत पेटिका की चाबी पुलिस के पास रहती और शिकायत करने वाली छात्रा का नाम भी गोपनीय रखा जाता है। शहरी क्षेत्र में इसकी देखरेख महिला थाना प्रभारी को सौंपी गई थी।

क्यों पड़ी शिकायत पेटी की जरूरत

शहर में हजारों की संख्या में छात्राएं दूरदराज इलाकों से पढ़ने आती हैं। स्कूल-कॉलेज व अन्य शिक्षण संस्थानों में कई छात्राओं का उत्पीड़न होता रहता है। लेकिन वह अभिभावकों और मनचलों के डर से शिकायत नहीं कर पाती हैं। ऐसी छात्राओं की समस्याओं को समझकर उनकी समस्याओं का समाधान करने के लिए शिकायत पेटी लगवाई गईं थीं। जिसमें छात्राएं अपनी शिकायत डाल सकती थी। उस पेटिका को समय-समय पर खोलकर शिकायतों को निस्तारित करने का प्रावधान है। लेकिन, वर्तमान में शिकायत पेटिका केवल नाम मात्र के लिए ही रह गई हैं।

इन घटनाओं से छात्राओं में भय का माहौल है और वे खुद को असहाय महसूस कर रही हैं। अगर वे न्याय के लिए संघर्ष नहीं कर सकतीं, तो समाज और प्रशासन को उनकी आवाज बनना होगा। छात्राओं ने कहा कि अब यह देखने वाली बात होगी कि सरकार और प्रशासन छात्राओं की सुरक्षा को लेकर कितनी गंभीरता से कदम उठाते हैं। लेकिन एक बात साफ है जब तक ऐसे अपराधियों को सख्त सजा नहीं मिलेगी, तब तक बेटियों की सुरक्षा पर सवाल बना रहेगा।

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