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बोले बलरामपुर पेज की प्रस्तावित लीड ------- सचित्र28बीएलपी13: बेलवा सुल्तानजोत का जर्जर एएनएम सेंटर सचित्र28बीएलपी14: देखरेख की अभाव में झाड़ियों से घिरा जबदही गांव का एएनएम सेंटर लाखों की लागत से बने एएनएम सेंटरों का ग्रामीणों को नहीं मिल पा रहा लाभ एएनएम सेंटर्स की सुधरे हालत तो बने बात समस्या बलरामपुर, संवाददाता। ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने को लेकर गांव में ही लाखों की लागत से लगभग दस वर्ष पूर्व सरकार की ओर से एएनएम सेंटरों का निर्माण कराया गया था। इन सेंटरों पर एएनएम की तैनाती भी की गई। देखरेख व मरम्मत के अभाव में अधिकांश केन्द्र जर्जर हो गए हैं।
हालात ऐसे हो गए हैं कि यहां पर प्रसव व टीकाकरण तो दूर एएनएम बैठना भी मुनासिब नहीं समझतीं। वहीं जिले के अधिकांश गांव ऐसे हैं जहां पर एएनएम सेंटर का निर्माण अब तक नहीं हो सका है। यहां के ग्रामीणों को प्रसव व टीकाकरण के लिए मुख्यालय का सहारा लेना पड़ता है। जिले में ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को प्रसव, टीकाकरण सहित अन्य स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से ग्राम पंचायतों में लगभग एक दशक पूर्व एएनएम सेंटरों का निर्माण कराया गया था। इन प्रत्येक सेंटरों के निर्माण में 10 से 12 लाख रुपए की लागत खर्च की गई थी। एएनएम सेंटर निर्माण कार्य पूरा होने के बाद एएनएम की तैनाती की गई। कुछ सेंटरों पर महिलाओं की देखरेख का काम भी शुरू किया गया, जिससे ग्रामीणों की परेशानी कुछ कम हुई। शुरुआती दौर में इन एएनएम सेंटरों का लाभ तो ग्रामीणों को मिला, लेकिन धीरे-धीरे देखरेख व मरम्मत के अभाव में सेंटरों की हालत दयनीय होती चली गई। जर्जर एएनएम सेंटरों में प्रसव व टीकाकरण तो दूर लोगों का यहां बैठना भी दुश्वार हो गया है। अधिकतर सेंटरों पर टीकाकरण के समय एएनएम यहां बैठना मुनासिब नहीं समझतीं। उन्हें गांव में किसी के दरवाजे पर बैठकर टीकाकरण आदि का कार्य करना पड़ता है। कई गांव ऐसे हैं जहां अब तक एएनएम सेंटर बने ही नहीं हैं। यहां के लोगों को प्रसव, टीकाकरण एवं अन्य स्वास्थ्य सुविधा लेने के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के साथ-साथ मुख्यालय का सहारा लेना पड़ता है। ग्रामीणों को सबसे अधिक समस्या बरसात के समय में होती है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्र होने के कारण जिले के अधिकांश गांव पानी से घिर जाते हैं। यहां के लोगों को गांव से बाहर निकल पाना बड़ा मुश्किल हो जाता है। क्षेत्र के अधिकांश गांव ऐसे हैं जहां के लोगों को बरसात के समय आवागमन के लिए मात्र नाव का ही सहारा रह जाता है। बरसात के समय में प्रसव पीड़ा होने पर गर्भवती महिलाओं को प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र व मुख्यालय तक लाने में भारी परेशानी उठानी पड़ती है। निर्माण के बाद अब तक ग्रामीणों को नहीं मिला सेंटर का लाभ सदर तहसील के जबदही गांव में बने एएनएम सेंटर की हालत जर्जर है। ग्रामीणों की माने तो एएनएम सेंटर का निर्माण कार्य एक दशक पूर्व कराया गया था। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि निर्माण के बाद से आज तक इस सेंटर पर लोगों को स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिली। सेंटर पर आज तक एएनएम नहीं आईं। प्रसव पीड़ा होने पर आशा गर्भवती महिलाओं को मुख्यालय लाकर उनका प्रसव कराती हैं। देखरेख व मरम्मत के अभाव में यहां का एएनएम सेंटर अत्यंत जर्जर अवस्था में पहुंच गया है। दरवाजे व खिड़कियां गायब हैं। फर्श व प्लास्टर उजड़ चुके हैं। छतों व दीवालों में दरार पड़ चुकी है। एएनएम सेंटर परिसर में लगा इंडिया मार्का हैंडपंप भी खराब है। आज यह एएनएम सेंटर निराश्रित मवेशियों का अड्डा बनकर रह गया है। एएनएम सेंटरों की गायब हैं दरवाजे व खिड़कियां मुख्यालय से मात्र तीन किलोमीटर दूर स्थित बेलवा सुल्तानजोत गांव में बना एएनएम सेंटर भी बदहाल है। फर्श धंस गई हैं। दरवाजे व खिड़कियां गायब हैं। छतों व दीवालों में दरार आ चुकी है। एएनएम सेंटर की चाहरदीवारी भी आधे से अधिक ढह चुकी है। यहां तैनात एएनएम ने बताया कि जर्जर सेंटर में बैठक स्वास्थ्य कार्य कराना खतरे से खाली नहीं है। मजबूरन इसमें बैठकर काम करना पड़ता है। कहा कि कई बार विभाग को जर्जर सेंटर की मरम्मत कराने के सम्बन्ध में पत्र लिखा गया, लेकिन आज तक कोई सुनवाई नहीं हुई। सेंटर जर्जर होने के कारण अधिकतर ग्रामीण यहां टीकाकरण आदि में नहीं आते हैं। ग्राम प्रधान लक्ष्मी प्रसाद जायसवाल ने बताया कि लगभग दस वर्ष पूर्व इस सेंटर का निर्माण कराया गया था। एएनएम सेंटर अत्यंत जर्जर होने के कारण ग्रामीणों को यहां स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिल पाती। 215 में 25 एएनएम सेंटरों की हालत दयनीय जिले में 796 ग्राम पंचायतों के सापेक्ष मात्र 336 एएनएम सेंटर बने हैं। इनमें 121 सेंटर नए बनाए गए हैं। 215 एएनएम सेंटर लगभग एक दशक पूर्व बनाए गए थे। विभाग के मुताविक इन सेंटरों में से 25 केन्द्र जर्जर हैं, जहां पर टीकाकरण व प्रसव आदि कार्य नहीं हो पाते हैं। वहीं 460 ग्राम पंचायत ऐसे हैं जहां पर अब तक एएनएम सेंटर न बनने से यहां के लोगों को स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिल पा रही है। प्रसव व टीकाकरण के लिए इन ग्राम पंचायत के लोगों को दस से 15 किलोमीटर की दूरी तय कर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र अथवा मुख्यालय आना पड़ता है। स्वास्थ्य विभाग की मानें तो जर्जर सेंटरों की मरम्मत को लेकर शासन को पत्र भेजा गया है। सचित्र28बीएलपी15: बिच्छूलाल गांव में लगभग दस वर्ष पूर्व लाखों की लागत से सरकार की ओर से एएनएम सेंटरों का निर्माण कराया गया था। इन सेंटरों पर एएनएम की तैनाती भी की गई। देखरेख व मरम्मत के अभाव में अधिकांश केन्द्र जर्जर हो गए हैं। जिस कारण यहां पर लोगों को स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। सचित्र28बीएलपी16: सुशील कुमार गांव में बने एएनएम सेंटर पर प्रसव व टीकाकरण तो दूर यहां एएनएम बैठना भी मुनासिब नहीं समझतीं। भवन जर्जर होने के कारण लोग यहां टीकाकरण आदि में नहीं आते। एएनएम गांव में दूसरों के दरवाजे पर बैठकर स्वास्थ्य सम्बन्धी कार्य करने को मजबूर हैं। सचित्र28बीएलपी17: धु्रव चंन्द्र सेंटर जर्जर होने से ग्रामीणों को बरसात के समय सबसे अधिक समस्या होती है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्र होने के कारण जिले के अधिकांश गांव पानी से घिर जाते हैं। यहां के लोगों को गांव से बाहर निकल पाना बड़ा मुश्किल हो जाता है। बरसात में मरीजों को घर से बाहर लाना सबसे मुश्किल काम होता है। सचित्र28बीएलपी18: विवेक अधिकांश गांव के लोगों को बरसात के समय आवागमन के लिए मात्र नाव का ही सहारा रह जाता है। बरसात के समय में प्रसव पीड़ा होने पर गर्भवती महिलाओं को प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र व मुख्यालय तक लाने में भारी परेशानी उठानी पड़ती है। ऐसे में उन्हें समय से स्वास्थ्य लाभ न मिल पाने से तमाम परेशानी उठानी पड़ती है। सचित्र28बीएलपी19: संत कुमार बेलवा सुल्तानजोत गांव में बना एएनएम सेंटर भी बदहाल है। सेंटर की फर्श धंस गई हैं। दरवाजे व खिड़कियां गायब हैं। छतों व दीवालों में दरार आ चुकी है। एएनएम सेंटर की चाहरदीवारी भी आधे से अधिक ढह चुकी है। यहां पर स्वास्थ्य कर्मियों को बैठ कर कार्य करना खतरे से खाली नहीं है। सचित्र28बीएलपी20: रजनीश जर्जर सेंटर की मरम्मत कराने को लेकर कई बार जिम्मेदार अधिकारियों से गुहार लगाई, लेकिन सेंटर मरम्मत को लेकर आज तक कोई के कदम नहीं उठाए गए। सेंटर जर्जर होने के कारण अधिकतर ग्रामीण यहां टीकाकरण सहित आदि स्वास्थ्य कार्य में भाग लेने तक नहीं आते। जिस कारण वे टीकाकरण आदि से वंचित रह जाते हैं। कोट ग्रामीण क्षेत्रों में जर्जर एएनएम सेंटरों की मरम्मत के लिए शासन स्तर पर वार्ता की जाएगी। बजट मिलते ही जर्जर केन्द्रों की मरम्मत कराकर ग्रामीणों को स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। पल्टूराम, सदर विधायक
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