न्यायालय ने परिवारों की सूची मांगी, पुनर्वास की आस जगी
Bijnor News - कालागढ़ में ध्वस्तीकरण के मामले में सुनवाई 17 फरवरी को होगी। न्यायालय ने कालागढ़ कल्याण एवं उत्थान समिति से प्रभावित परिवारों की सूची जमा करने के लिए कहा है। प्रशासन की ओर से 213 परिवारों के पुनर्वास...

कालागढ़ में ध्वस्तीकरण के मामले में अब सुनवाई 17 फरवरी को होगी। मंगलवार को सुनवाई के दौरान समिति से प्रभावित परिवारों की सूची दाखिल करने के लिए कहा गया है। यह बात न्यायालय में इस मामले की पैरवी कर रहे अधिवक्ता द्वारा कही गई है। मंगलवार को नैनीताल उच्च न्यायालय में कालागढ़ में निवासरत परिवारों का पुनर्वास किए जाने सम्बन्धी मामले की सुनवाई हुई। कालागढ़ कल्याण एवं मानव उत्थान समिति के अधिवक्ता जेएस रावत के मुताबिक चीफ कोर्ट वन में मामले की सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान डीएम पौड़ी ने अपना पक्ष प्रस्तुत करते बताया कि एनजीटी तथा माननीय सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के चलते 213 परिवारों का सर्वे कराए जाने के बाद उनके पुनर्वास के लिए एक नीति बनाई गई थी। जिस पर न्यायालय द्वारा कहा गया कि इस कार्य को आगे क्यों नहीं किया गया। सुनवाई के दौरान मानव कल्याण एवं उत्थान समिति के पदाधिकारी तथा सिंचाई विभाग की रामगंगा बांध परियोजना के अधिकारी मौजूद रहे। समिति के पदाधिकारियों का कहना है कि वर्तमान में यहां करीब 400 से 500 परिवार निवास कर रहे हैं। कालागढ़ में निवासरत परिवारों की सूची समिति द्वारा शुक्रवार को हाई कोर्ट में जमा की जाएगी। कालागढ़ में निवासरत परिवार समिति के पदाधिकारियों से संपर्क करके अपना मामला न्यायालय में रखवाए। इसके लिए समिति के पदाधिकारी भी प्रभावित जनता संपर्क करें। सुनवाई के दौरान समिति के पदाधिकारी राजेश्वर अग्रवाल परशुराम मेराज खान तथा योगेश कुमार न्यायालय में मौजूद रहे।
पुनर्वास पर विचार किया जा सकता है
कालागढ़। कालागढ़ कल्याण एवं उत्थान समिति तथा प्रशासन की दलीलें सुनने के बाद एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया गया है। न्यायालय ने कालागढ़ कल्याण एवं उत्थान समिति से कालागढ़ में निवास कर रहे परिवारों की सूची मांगी है। माना जा रहा है कि सूची में शामिल प्रभावित परिवारों के पुनर्वास की प्रक्रिया पर विचार किया जाएगा। समिति को परिवारों की सूची शुक्रवार तक न्यायालय में दाखिल करनी होगी।
न्यायालय में प्रशासन बनाम उत्थान समिति
कालागढ़। कालागढ़ में बीते कई दशक से बसे गरीब परिवारों के आशियानों पर संकट मंडरा रहा था। प्रशासन द्वारा यहां स्थित आवासीय कालोनियों में ध्वस्तीकरण की कार्रवाई प्रस्तावित थी। कालागढ़ कल्याण एवं उत्थान समिति ने इस मुद्दे को लेकर उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की थी। समिति का तर्क है कि प्रभावित परिवार लंबे अरसे से यहां पर निवास कर रहे हैं। दशकों से निवासरत परिवारों के घर उजाड़े जाने से पहले उन्हें पुनर्वास दिया जाए। याचिका पर सुनवाई के दौरान न्यायालय ने डीएम पौड़ी को प्रशासन का पक्ष रखने के निर्देश दिए थे। उत्थान समिति ने दलील दी थी कि यह अतिक्रमण का मामला नहीं, बल्कि मानवीय संकट का विषय भी है। न्यायालय ने सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए कहा कि पुनर्वास के बिना किसी को भी बेघर करना उचित नहीं होगा। इसलिए, अदालत ने उत्थान समिति को निर्देश दिया है कि वह कालागढ़ में निवासरत परिवारों की सूची तैयार करके शुक्रवार तक न्यायालय में प्रस्तुत करे। सूची यहां लंबे समय से रह रहे तथा पुनर्वास के लिए पात्र लोगों की पहचान के लिए आवश्यक होगी।
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