संभल के 33 नामी प्राइवेट स्कूलों पर डीएम ने की बड़ी कार्रवाई, एक-एक लाख रुपए का लगाया जुर्माना
यूपी के संभल में डीएम ने 33 नामी प्राइवेट स्कूलों पर बड़ी कार्रवाई की है। छात्रों पर निजी प्रकाशकों की किताबें थोपने और चुनिंदा दुकानों से खरीदने के लिए मजबूर करने वाले स्कूलों पर कार्रवाई हुई।

यूपी के संभल प्रशासन ने प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर शिकंजा कसा है। छात्रों पर निजी प्रकाशकों की किताबें थोपने और चुनिंदा दुकानों से खरीदने के लिए मजबूर करने वाले संभल के 33 नामी स्कूलों पर बड़ी कार्रवाई करते हुए डीएम डॉ. राजेन्द्र पैसिया ने हर स्कूल पर एक- एक लाख का जुर्माना लगाया है।
यह कार्रवाई उत्तर प्रदेश शुल्क विनियमन अधिनियम, 2018 के तहत की गई है। जांच में सामने आया कि स्कूलों ने एनसीईआरटी की जगह निजी प्रकाशकों की महंगी किताबें चल रही थीं और अभिभावकों को विशेष दुकानों से इन्हें खरीदने के लिए मजबूर किया था। शैक्षणिक सत्र शुरू होते ही कई अभिभावकों ने शिकायत की थी कि कई स्कूल एनसीईआरटी की जगह निजी प्रकाशकों की किताबें खरीदने को बाध्य कर रहे हैं। इसके बाद डीएम के निर्देश पर एसडीएम डॉ. वंदना मिश्रा और डीआईओएस श्यामा कुमार ने सैंट मैरी स्कूल पर छापा मारा। इस दौरान शिक्षक उत्तराखंड समेत कई राज्यों की किताबों से पढ़ाई कराते मिले थे। जिसके बाद जनपदीय शुल्क नियामक समिति ने सभी स्कूलों की जांच कराने का निर्णय लिया।12 अप्रैल को डीएम ने सभी सीबीएसई और आईसीएसई स्कूलों की पुस्तकों की जांच के लिए जनपदीय अधिकारी नियुक्त किए थे। जांच में सामने आया कि कई विद्यालय एनसीईआरटी के स्थान पर निजी प्रकाशकों की किताबें चला रहे हैं और अभिभावकों को विशेष बुकसेलर से खरीदने को बाध्य कर रहे हैं। जिला शुल्क नियामक समिति की 17 अप्रैल को हुई बैठक में जांच रिपोर्ट पर गंभीरता से विचार किया गया। समिति ने इसे अधिनियम की धारा 8 की उपधारा 10 (क) का उल्लंघन माना, जिसके तहत पहली बार नियम तोड़ने पर एक लाख का जुर्माना निर्धारित है। डीएम ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि जुर्माने की राशि एक सप्ताह के भीतर डीएफआरसी (जिला शुल्क नियामक समिति) के खाते में जमा कर संबंधित रसीद जिला विद्यालय निरीक्षक को सौंपी जाए।
निजी प्रकाशकों की किताबें थोपने पर बड़ी कार्रवाई
डीएम डॉ. राजेंद्र पैंसिया ने बताया कि संभल के 33 स्कूलों पर एक-एक लाख का जुर्माना लगाया गया है। अगली बार जिला शुल्क नियामक समिति की बैठक में पुनः स्थलीय निरीक्षण कराया जाएगा। दोबारा निजी प्रकाशकों की पुस्तकें पाई जाती हैं या छात्र किसी एक विशेष बुकसेलर से ही किताबें लेने को बाध्य किए जाते हैं, तो संबंधित स्कूल पर कठोर विधिक कार्रवाई की जाएगी। प्रबंधकों और प्रधानाचार्यों को चेतावनी दी है कि वे एनसीईआरटी की पुस्तकें लागू करें।