निजीकरण के खिलाफ बिजली कर्मचारियों ने लखनऊ में दिखायी ताकत, अखिलेश बोले- आरक्षण छीनने की कोशिश
निजीकरण के खिलाफ लखनऊ में बिजली कर्मचारियों ने बुधवार को रैली निकालकर शक्ति प्रदर्शन किया। रैली में कई राज्यों के बिजली कर्मचारी संगठनों ने नेताओं का जमावड़ा हुआ। बिजली कर्मचारियों की मांगों का समर्थन करते हुए सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने निजीकरण के बहाने आरक्षण छीनने की कोशिश का आरोप लगाया है।

निजीकरण का विरोध कर रहे बिजली कर्मचारियों ने बुधवार को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक विशाल रैली के जरिये अपनी एकजुटता और ताकत का प्रदर्शन किया। हजारों की संख्या में बिजली कर्मचारी हाईडिल फील्ड हॉस्टल में एकत्र हुए और रैली की शक्ल में सिकन्दरबाग चौराहा, अशोक मार्ग, इन्दिरा भवन, जवाहर भवन, शक्तिभवन होते हुए मीराबाई मार्ग के रास्ते वापस फील्ड हॉस्टल तक पहुंचे। यहां आयोजित विशाल सभा में कर्मचारी नेताओं ने सर्वसम्मति निजीकरण के विरोध में आन्दोलन का निर्णय लिया। वहीं, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बिजली कर्मचारियों की रैली का वीडियो पोस्ट करते हुए आंदोलन को समर्थन का ऐलान करते हुए कहा कि आरक्षण को छीनने के लिए निजीकरण किया जा रहा है।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र ने पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के विरोध में निर्णायक आन्दोलन का ऐलान किया। रैली के बाद आम सभा में प्रस्ताव पारित कर 29 मई से अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार आन्दोलन का निर्णय लिया गया। इससे पहले 16 अप्रैल से 30 अप्रैल तक जनजागरण अभियान चलाया जायेगा। एक मई को बाईक रैली निकाली जायेगी, दो से नौ मई तक क्रमिक अनशन होगा, 14 मई से 19 मई तक नियमानुसार कार्य आन्दोलन होगा, 20 मई को व्यापक विरोध प्रदर्शन होगा और 21 मई से 28 मई तक तीन घण्टे का कार्य बहष्किार होगा।
नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इम्प्लॉइज एण्ड इंजीनियर्स की कोर कमेटी के पदाधिकारियों ने रैली को सम्बोधित किया। ऑल इण्डिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे, सेक्रेटरी जनरल पी रत्नाकर राव, ऑल इण्डिया फेडरेशन ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इम्प्लॉइज के सेक्रेटरी जनरल मोहन शर्मा, ऑल इण्डिया पॉवर डिप्लोमा इंजीनियर्स फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष आर के त्रिवेदी, इलेक्ट्रिसिटी इम्प्लॉइज फेडरेशन ऑफ इण्डिया के जनरल सेक्रेटरी सुदीप दत्त, उपाध्यक्ष एवं अखिल भारतीय राज्य कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष सुभाष लांबा तथा ऑल इण्डिया पॉवर मेन्स फेडरेशन के जनरल सेक्रेटरी आर के पराशर, राज्य कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष कमल अग्रवाल, अटेवा के अध्यक्ष विजय बन्धु, राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजीनियर्स संगठन के अध्यक्ष अजय कुमार ने मुख्यतया रैली को सम्बोधित किया।
वक्ताओं ने चेतावनी दी कि यदि निजीकरण वापस न लिया गया और किसी भी बिजली कर्मी का उत्पीड़न किया गया तो देश के 27 लाख बिजली कर्मी मूक दर्शक नहीं रहेंगे और राष्ट्रव्यापी आन्दोलन प्रारम्भ करने हेतु बाध्य होंगे जिसकी सारी जिम्मेदारी उप्र सरकार की होगी।
रैली में कई प्रदेशों के बिजली कर्मचारी संघों और अभियन्ता संघों के शीर्ष पदाधिकारी सम्मिलित हुए और उत्तर प्रदेश के संघर्षरत बिजली कर्मियों को पुरजोर समर्थन दिया। इसमें तेलंगाना, आन्ध्रप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखण्ड, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखण्ड के पदाधिकारी और अभियन्ता रैली में आये। उप्र राज्य विद्युत परिषद उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मचारियों के आन्दोलन का समर्थन किया और निजीकरण तत्काल वापस लेने की मांग की।
निजीकरण के बहाने आरक्षण छीन लेना चाहती है भाजपा
वहीं, सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि बिजली के निजीकरण के पीछे भाजपा का बड़ी कंपनियों से सीधे एकमुश्त चंदा लेने की योजना का लालच ही काम कर रहा है। भाजपा कर्मचारियों की नौकरियाँ निगल जाएगी और बिजली की मनमानी रेट बढ़ाकर जनता का ही शोषण करेगी। महंगाई की मारी जनता से भाजपा क्योंकि खुद सीधे वसूल नहीं सकती है, इसीलिए वो निजी पूँजीपतियों के माध्यम से जनता की जेब पर डाका डालना चाहती है।
सिवाय भाजपा और पूंजीपतियों के निजीकरण का लाभ किसी को नहीं मिलनेवाला। आज बिजली का निजीकरण कर रहे हैं कल पानी और सड़क पर चलने का भी कर देंगे। भाजपा हर निजीकरण के नाम पर दरअसल चंदा वसूली के काम को ठेके पर देती है। भाजपा का बस चले तो सरकार को ही आउटसोर्स कर दे। साथ ही निजीकरण के माध्यम से भाजपाई आरक्षण का भी अधिकार पिछले दरवाज़े से छीन लेना चाहते हैं। हम प्रदेश की जनता, बिजली कर्मचारियों और आरक्षण समर्थकों के साथ हैं और हमेशा रहेंगे।