गांवों में शोपीस बनकर रह गए अपशिष्ट प्रबंधन केंद्र
Gauriganj News - अमेठी में सरकार स्वच्छता के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर रही है, लेकिन ठोस अपशिष्ट प्रबंधन केंद्र वर्षों से बंद पड़े हैं। लगभग 50 ग्राम पंचायतों में बनाए गए केंद्रों का संचालन शुरू नहीं हो सका है, और कचरा...

अमेठी। संवाददाता स्वच्छता को लेकर सरकार भले ही करोड़ों रुपए खर्च कर योजनाएं चला रही हो, लेकिन जमीनी स्तर पर इन योजनाओं की हकीकत कुछ और ही कहानी बयां कर रही है। अमेठी तहसील के चारों विकास खंडों में निर्मित ठोस अपशिष्ट प्रबंधन केंद्र वर्षों से शोपीस बने हुए हैं। न तो कचरा प्रबंधन केंद्रों का संचालन शुरू हो सका है, बल्कि कचरा ढोने के लिए उपलब्ध कराए गए वाहन भी बेकार पड़े-पड़े खराब हो रहे हैं। सरकार की मंशा थी कि गांवों में सार्वजनिक स्थलों व जलनिकासी नालियों की सफाई के बाद जो कचरा गलियों में बिखरा रह जाता है, उसे एकत्र कर विशेष अपशिष्ट प्रबंधन केंद्रों में लाया जाए।
वहीं गीले और सूखे कचरे का पृथक कर उचित निस्तारण किया जाए। इसके लिए हर ग्राम पंचायत को लाखों रुपये खर्च कर एकीकृत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन केंद्र और कचरा वाहन मुहैया कराए गए। लेकिन अधिकारियों की उदासीनता और पंचायतों की लापरवाही ने पूरी योजना को ठप कर दिया है। अमेठी विकास खंड के लगभग 50 ग्राम पंचायतों में अपशिष्ट प्रबंधन केंद्र तैयार हो चुके हैं। लेकिन एक वर्ष से अधिक बीतने के बाद भी इनमें कोई संचालन शुरू नहीं हो सका है। कई केंद्रों के ताले महीनों से जंग खा रहे हैं और कचरा वहीं के वहीं बिखरा पड़ा है। इतना ही नहीं, कचरा ढोने के लिए उपलब्ध कराए गए वाहन भी सरकारी योजना की दुर्दशा को बयां कर रहे हैं। ग्राम पंचायतों में दिए गए वाहन कई स्थानों पर प्रधानों के घर के सामने खड़े शोभा बढ़ा रहे हैं। कुछ प्रधानों द्वारा इन वाहनों का निजी उपयोग किए जाने की भी शिकायतें उच्चाधिकारियों तक पहुंच चुकी हैं। संग्रामपुर क्षेत्र के कई ग्रामीणों ने वाहन के दुरुपयोग की लिखित शिकायत कर कार्रवाई की मांग की है। विकास खंड के खंड प्रेरक कमलेश सिंह ने बताया कि सभी ग्राम पंचायतों में अपशिष्ट प्रबंधन केंद्र बनकर तैयार हैं। संचालन उच्चाधिकारियों के निर्देश के अनुसार शुरू किया जाएगा।
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