बोले हरदोई: स्कूलों के रवैए मनमाने, तय हैं किताबों की दुकानें
Hardoi News - हरदोई में अभिभावक निजी स्कूलों की मनमानी फीस और शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर परेशान हैं। उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूलों में शिक्षा की स्थिति खराब है, जबकि प्राइवेट स्कूलों में फीस बढ़ती जा रही है।...
हरदोई। अपने बच्चों को अच्छे से अच्छे स्कूलों में पढ़ाते हैं ताकि उनका बेहतर भविष्य बना सकें। स्कूलों की मनमानी फीस भी चुकाते हैं इसके बावजूद समस्याएं बरकरार हैं। अभिभावकों ने दर्द बयां करते हुए कहा कि बच्चों को शिक्षित-प्रशिक्षित करने के लिए अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा खर्च करते हैं पर हर साल बढ़ रही बेतहाशा फीस परेशान कर रही है। इनका कहना है कि सरकारी विद्यालयों में निशुल्क शिक्षा दी जा रही है पर वहां की पढ़ाई भगवान भरोसे है और प्राइवेट में पैसा बहुत लगता है। परिषदीय विद्यालयों की संख्या हरदोई में 3440 और प्राइवेट स्कूलों की संख्या 600 है। इनमें पांच लाख से अधिकबच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। सरकारी मेें पढ़ाई का ठिकाना नहीं और प्राइवेट में पढ़ाना है तो ज्यादा फीस चुकाओ। अभिभावकों की शिकायतें हैं कि निजी स्कूलों में फीस भी ज्यादा देते हैं और संसाधनों और शिक्षा की गुणवत्ता भी उस स्तर की नहीं है। अभिभावकों ने कई मदों में आर्थिक शोषण का आरोप भी लगाया है। कंपनी गार्डेन में आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान से बातचीत के दौरान अभिभावक शिवप्रकाश त्रिवेदी का कहना है कि निजी स्कूलों पर कोई अंकुश नहीं है। इन लोगों ने की दुकानें तय कर रखी हैं, यहां मनमाने रेट ार किताबें मिलती हैं। हर साल नई किताबें लेने के लिए एक-दो चैप्टर ही बदल दिए जाते हैं। इससे अभिभावकों की जेब पर काफी असर पड़ता है। अभिभावक संघ ने अपनी समस्याएं उठाईं और समाधान के तरीके बताए। निजी विद्यालयों की मनमानी रोकने, नई शिक्षा नीति की सिफारिशें लागू करने की मांग की। अभिभावक संघ के जिलाध्यक्ष गोपाल द्विवेदी ने बताया कि कई साल से डीजल का रेट नहीं बढ़ा है लेकिन स्कूल बसों का किराया हर साल बढ़ जाता है। सुनील सिंह बताते हैं कि एनसीईआरटी की पुस्तकों के साथ हेल्पिंग बुक लगाकर जेब काटी जाती है। अभिषेक गुप्ता का कहना है कि जब तक नई शिक्षा नीति की सिफारिशें शत-प्रतिशत नहीं लागू होगीं, तब तक सस्ती और अच्छी शिक्षा नहीं उपलब्ध होगी। दानिश किरमानी ने बताया कि अधिकांश स्कूलों ने ट्रांसर्पोटेशन के लिए थर्ड पार्टी को जिम्मेदारी दी है। किसी प्रकार की अनहोनी होने पर स्कूल संचालक पल्ला झाड़ लेते हैं।
करीबियों को ही बनाते अभिभावक-शिक्षक परिषद का सदस्य : अभिभावकों का कहना है कि जवाबदेही से बचने के लिए अधिकांश प्राइवेट विद्यालयों में अभिभावक-शिक्षक परिषद का गठन ही नहीं किया गया है। जहां परिषद गठित है वहां करीबियों को सदस्य बना दिया है। कई प्रतिष्ठित विद्यालयों में शिक्षकों के परिजन, विद्यालय से नियम विरुद्ध तरीके से संबद्ध बुक सेलर के लोग इस परिषद के सदस्य हैं। फीस वृद्धि के लिए विद्यालयों के लिए आचार संहिता तय की गई है पर वे इसका नहीं करते। नियम है कि फीस बढ़ाने से पहले बताएंगे किस मद में कितना व्यय करेंगे मगर ऐसा नहीं करते। शिकायतें कई बार कीं पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। जिला प्रशासन के जिम्मेदारों ने चुप्पी साध ली है। ज्यादातर स्कूलों में एक जैसी स्थिति होने के कारण अभिभावकों का शोषण किया जा रहा है।
शिकायतें
1. निजी स्कूलों की मनमानी फीस वृद्धि पर अंकुश नहीं लग पा रहा है।
2. स्कूल बस किराया अनुचित रूप से बढ़ाया गया।
3. एनसीईआरटी संग अनावश्यक हेल्पिंग बुक्स अनिवार्य होने से अधिक दरों पर खरीदना पड़ती हैं।
4. अभिभावक परिषद में पारदर्शिता का अभाव के कारण जवाबदेही नहीं है।
5. सरकारी स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं की कमी से बच्चे परेशान होते हैं।
6. निजी स्कूलों द्वारा किताबों पर नियंत्रण होने से आर्थिक बोझ बढ़ जाता है।
7. विद्यालय प्रशासन द्वारा न्यायालय के निर्देशों की अनदेखी हो रही है।
समाधान
1. न्यायालय निर्देशों के अनुसार स्कूलों की फीस पर नियंत्रण किया जाए तो अतिरिक्त मनमाने बोझ से बच जाएंगे।
2. डीजल की दरें स्थिर होने की दशा में बसों का किराया स्थिर हो।
3. एनसीईआरटी किताबों के साथ अतिरिक्त किताबें अनिवार्य न की जाएं।
4. पारदर्शी तरीके से अभिभावक परिषद का गठन किया जाना चाहिए।
5. सरकारी स्कूलों में स्मार्ट कक्षाएं बनाई जाएं ताकि अच्छे से ढंग से शिक्षा मिल सके।
6. स्कूलों की किताबें स्वतंत्र रूप से उपलब्ध हों।
7. शिक्षा नीति का शत-प्रतिशत पालन हो।
बोले अभिभावक
स्कूलों की परिवहन सेवा अनियमित है। दुर्घटना पर संचालक पल्ला झाड़ लेते हैं। इसमें सुधार कराया जाए ताकि बच्चे सुरक्षित स्कूल जा सकें। -दानिश किरमानी
डीजल के दाम स्थिर हैं, फिर भी स्कूल बसों का किराया बढ़ता है। इसे रोका जाए। जिन स्कूलों में बीते वर्ष पुस्तकों में बदलाव किया है उन पुस्तकों को इस बार बदला जाए। -गोपाल द्विवेदी, अध्यक्ष अभिभावक संघ
मनमानी फीस वृद्धि रोकने और पारदर्शिता लाने के लिए प्रशासन सक्रिय हो। मार्च और अप्रैल में यदि स्कूलों में निगरानी तो राहत मिल सकती है। -अंजली गुप्ता
निजी स्कूलों की किताबें तय दुकानों पर ही उपलब्ध कराई जाती हैं। रेट अधिक प्रिंट कर रुपया वसूला जाता है। इसे रोका जाए ताकि बच्चों को पढ़ा सकें। -अनीता मिश्रा
एनसीईआरटी की किताबों के साथ अनावश्यक हेल्पिंग बुक्स जोड़कर अभिभावकों पर बोझ न बढ़ाया जाए ताकि अतिरिक्त बोझ कंधों पर नहीं पड़े। -सुनील सिंह सोमवंशी
स्कूलों में पारदर्शी अभिभावक परिषद गठन की प्रक्रिया को लागू करने का काम किया जाए। चेकिंग कर आ रही कमियों को दूर कराया जाए। -कुलदीप द्विवेदी
विद्यालयों की फीस वृद्धि के लिए स्पष्ट व्यय विवरण को अनिवार्य किया जाना चाहिए। साथ ही बताया जाए कि किस में कितना खर्च कर रहे हैं। -मनीष श्रीवास्तव
सरकारी स्कूलों में संसाधन और गुणवत्ता सुधार के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। धरातल पर सुविधाएं नजर आनी चाहिए, जिससे राहत मिल सके। -अनुराग गौरव सिंह
प्राइवेट स्कूलों को निर्धारित नियमों के भीतर रहकर ही फीस बढ़ानी चाहिए। बेवजह के कार्यक्रमों में शामिल होने की बाध्यता नहीं होनी चाहिए। -विपिन सिंह
सरकारी स्कूलों में स्मार्ट कक्षाएं और खेल संसाधनों की व्यवस्था की जाए। नियमित शिक्षक उपस्थित हों ताकि अच्छे से शिक्षण कार्य हो सके। -कौशलेंद्र
निजी विद्यालयों द्वारा मनमानी रोकने के लिए प्रशासन को सख्त कदम उठाने चाहिए। मार्च और अप्रैल महीने में प्रशासन खास तौर पर सक्रिय रहे। -सौरभ
शिक्षा के क्षेत्र में आर्थिक शोषण रोकने के लिए अभिभावक संघ को मजबूत किया जाना चाहिए, जो शिकायत हो उसकी निष्पक्ष जांच हो। -आलोक कुमार सिंह
बोले जिम्मेदार
अभिभावक संघ के साथ वार्ता करेंगे। उन्हें स्कूलों में दाखिले से लेकर पढ़ाई तक में आने वाली दिक्कतों से निजात दिलाएंगे। यदि कोई शिकायत मिलेगी तो त्वरित जांच व कार्रवाई होगी। मनमानी फीस नहीं वसूलने देंगे। -बाल मुकुंद, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी
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