Sugarcane Farmers in Hardoi Face Serious Issues Payment Delays Irrigation Problems and Government Neglect बोले हरदोई: पर्ची के इंतजार में खेतों में ही सूख जाता हमारा गन्ना, Hardoi Hindi News - Hindustan
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बोले हरदोई: पर्ची के इंतजार में खेतों में ही सूख जाता हमारा गन्ना

Hardoi News - हरदोई के गन्ना किसानों को कई गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। उन्हें भुगतान में देरी, तौल पर्ची का समय पर न मिलना और सिंचाई के साधनों की कमी जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। किसान मांग...

Newswrap हिन्दुस्तान, हरदोईTue, 20 May 2025 02:49 PM
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बोले हरदोई: पर्ची के इंतजार में खेतों में ही सूख जाता हमारा गन्ना

हरदोई। जनपद के गन्ना किसान इस समय कई गंभीर समस्याओं से दो-चार हो रहे हैं। खेतों में पसीना बहाकर जनपद की अर्थव्यवस्था को संबल देने वाले किसान खुद बदहाल व्यवस्था के शिकार हो चुके हैं। आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। भुगतान में देरी, तौल पर्ची समय से न मिलना, सिंचाई साधनों की कमी और सरकारी उपेक्षा ने उनकी स्थिति अत्यंत दयनीय बना दी है। गन्ना किसानों का कहना है कि समर्थन मूल्य बढ़ाया जाए। चीनी मिल के आसपास सड़कें चौड़ी की जाएंं, ताकि गन्ना ले जाने के वक्त जाम से जूझना न पड़े। आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान से बातचीत के दौरान किसानों का दर्द उभर सामने आया।

सभी ने एक सुर में कहा कि समय से पर्ची न मिलने से हमारा गन्ना खेतों में ही सूख जाता है। जनपद के लगभग एक लाख 40 हजार किसान गन्ने की खेती करते हैं। गन्ना की पैदावार के लिए किसानों को सालभर खेतों में मेहनत करनी होती है। आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान से बात करते किसान अहमद ने बताया कि कई बार किसान हफ्तों तक पर्ची के इंतजार में बैठे रहते हैं। इससे उनकी फसल सूखने लगती है या चीनी मिल तक सही समय पर नहीं पहुंच पाती। इस देरी से फसल की गुणवत्ता पर असर पड़ता है और किसानों को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ता है। किसान अशोक सिंह ने कहा कि 2016-17 में गन्ना की कीमत 315 रुपये थी, अब 370 है। सात वर्ष में गन्ना की कीमत केवल 15 प्रतिशत वृद्धि हुई है। वहीं अन्य सामानों की जिस तेजी से महंगाई बढ़ी है, उस तेजी से गन्ने का भाव नहीं बढ़ा है। उस पर से मौसम की प्रतिकूलता, आवारा पशुओं की समस्या किसानों को परेशान किए हुए है। गन्ने का समर्थन मूल्य हर साल बढ़ाया जाए, तभी राहत मिलेगी। जुताई, बुआई, गोड़ाई, महंगी खाद, पानी और कीटनाशक का खर्च निकालने के बाद किसानों के हिस्से जो आता है वह बमुश्किल लागत भर का होता है। फसल की लागत लगातार बढ़ रही: किसानों का कहना है कि फसल की लागत लगातार बढ़ रही है। खाद के दाम भी काफी बढ़ चुके हैं। जोताई, कीटनाशक, मजदूरी जिस दर से बढ़ी है उस दर से गन्ना की कीमत में वृद्धि नहीं हुई है। ऐसे में गन्ने की खेती से होने वाला फायदा लगातार कम होता जा रहा है। किसान सर्वेश यादव ने कहा कि गन्ना आपूर्ति के लिए सबसे महत्वपूर्ण है समय से तौल पर्ची मिल जाए पर ऐसा होता नहीं है। चीनी मिल को कोई फर्क नहीं पड़ता कि किसान ने भले ही बड़े क्षेत्रफल में गन्ना बोया हो, गन्ना अच्छी नस्ल का हो। पर्ची उस किसान को जारी की जाती है, जिसने बीते वर्ष अच्छी सप्लाई की हो। चीनी मिलों की इस नीति से सप्लॉयर्स को फायदा है और किसानों को नुकसान। बेसिक कोटा की बाध्यता से चीनी मिलें किसानों की बजाए सप्लॉयर्स को बढ़ावा दे रही हैं। इस वजह से हमारा शोषण हो रहा है। सिंचाई की व्यवस्था चिंता का प्रमुख कारण : संतोष चौहान ने कहा कि सिंचाई की व्यवस्था भी किसानों की चिंता का प्रमुख कारण है। कहने भर को नि:शुल्क सिंचाई की व्यवस्था है। नहरों में समय पर पानी नहीं छोड़ा जाता। जरूरत के वक्त कई नहरें पूरी तरह सूखी पड़ी रहती हैं, जिससे खेतों की सिंचाई नहीं हो पाती। जिले में सरकारी नलकूपों की संख्या जरूरत के मुकाबले बहुत कम है। कई नलकूप तकनीकी खराबी से बंद पड़े हैं या बिजली कनेक्शन नहीं हैं। किसानों को अपने संसाधनों से सिंचाई करनी पड़ती है, जो काफी महंगा पड़ता है। किसानों ने बताया कि गन्ना तौल केंद्रों पर किसानों से अवैध वसूली, घटतौली, गन्ने को रिजेक्ट बताए जाने की शिकायतें भी हैं। मिल के कर्मचारी गन्ने की क्वालिटी खराब बता कर किसानों का शोषण करते हैं। शिकायतें 1. गन्ना मूल्य में बढ़ोतरी महंगाई के अनुपात में नहीं हुई। इससे किसानों को लाभ नहीं हो रहा है। 2. तौल पर्ची समय से न मिलना, फसल की बर्बादी और किसानों के नुकसान का कारण बनता है। 3. सिंचाई के सरकारी साधन नाकाफी हैं। अक्सर नहरें सूखी, नलकूप खराब और बिजली कनेक्शन में देरी से दिक्कत होती है। 4. आवारा पशुओं द्वारा फसल को नुकसान पहुंचाना, जिससे किसान दिन-रात रखवाली को मजबूर हैं। 5. चीनी मिलों की नीति सप्लायरों के पक्ष में, जिससे कई बार असली किसानों को पर्ची नहीं मिलती। 6. तौल केंद्रों पर घटतौली, अवैध वसूली और गन्ना रिजेक्ट करने की मनमानी बढ़ रही है। 7.गन्ना पैदावार कम होने से किसानों का मनोबल लगातार गिर रहा है। समाधान 1. गन्ना मूल्य महंगाई के अनुपात में तय किया जाए ताकि किसान को उचित लाभ मिल सके। 2. तौल पर्ची वितरण की ऑनलाइन पारदर्शी व्यवस्था लागू हो, ताकि सबको समय से पर्ची मिले। 3. नहरों की सफाई और समय से पानी छोड़ा जाए। साथ ही गर्मी को देखते हुए नलकूप की मरम्मत कराई जाए। 4. आवारा पशुओं के लिए स्थायी बंदोबस्त हो। सभी आश्रय स्थलों में निगरानी और देखरेख सही से हो। 5. बेसिक कोटा की बाध्यता खत्म कर सीधे किसानों को प्राथमिकता पर पर्ची दी जाए। 6. तौल केंद्रों पर निगरानी टीम हो, सीसीटीवी लगाए जाएं। किसानों की शिकायतों पर त्वरित कार्रवाई हो। 7. किसानों को प्रोत्साहन और बीमा योजनाओं का लाभ दिलाकर उन्हें गन्ना खेती करने के लिए प्रेरित किया जाए। बोले बाशिंदे गन्ने का मूल्य सात साल में सिर्फ 55 रुपये ही बढ़ाया गया, जबकि महंगाई दोगुनी हो गई है। ऐसे में दिक्कत हो रही है। -अशोक सिंह बिजली कनेक्शन के लिए आवेदन किए महीनों हो गए, लेकिन न तो सुनवाई हो रही है न कोई अधिकारी मदद कर रहा। - शिवम पाल पर्ची समय से नहीं मिलती। कई बार गन्ना खेत में सूख जाता है। मिल तक पहुंचता ही नहीं। इससे नुकसान होता है। - सर्वेश यादव आवारा पशु रात को खेत चट कर जाते हैं। हम दिन-रात खेत की रखवाली में लगे रहने पर भी अक्सर नुकसान उठाते हैं। - अतुल जरूरत के वक्त नहरों में महीनों से पानी नहीं रहता है। डीजल चालित इंजन से सिंचाई करने पर लागत बढ़ जाती है। - राजपाल सिंह तौल केंद्र पर घटतौली आम बात है। कर्मचारी गन्ना रिजेक्ट बता कर मनमानी करते हैं। सीसीटीवी कैमरे लगने चाहिए। - शमशाद सरकार ने सिंचाई नि:शुल्क बताई है, पर नलकूप को बिजली कनेक्शन में देरी होती है। सामान का अभाव बता देरी की जाती है।- अजय प्रकाश समय से गन्ना बेचने के लिए पर्ची मिलती नहीं। सप्लायर को तरजीह मिलती है। यह मनमानी रोकी जाए।- ऋषि चीनी मिलें कहती हैं हमसे पुराना रिकॉर्ड अच्छा नहीं। इसलिए पर्ची देने में देरी करती हैं। यह व्यवस्था ठीक की जाए। - कुरिंद पाल हर साल मिलें भुगतान में देरी करती हैं। हमें महंगे ब्याज पर कर्जा लेकर अपना गुजारा करना पड़ता है।- छोटे भइया मिश्र हर साल महंगाई के अनुपात में गन्ने का समर्थन मूल्य बढ़ाएं। तभी गन्ना किसानों की आय घटने पर अंकुश लगेगा। - धर्मराज सिंह चीनी मिलों के आसपास पार्किंग की व्यवस्था हो। सड़कें चौड़ी हों। छाया के इन्तजाम हों। ताकि जाम से बच सकें। - सुबोध बोले जिम्मेदार गन्ना किसानों की सभी समस्याओं के समाधान के लिए विभाग पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। किसानों को समय पर भुगतान मिले, इसके लिए नियमित मिलों से समन्वय स्थापित किया जा रहा है। तौल केंद्रों पर पारदर्शिता सुनिश्चित की जा रही है। किसी भी प्रकार की अनियमितता पर कार्रवाई हो रही है। किसानों की सुविधा के लिए हेल्पलाइन भी सक्रिय की गई है। हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि उन्हें उनके श्रम का पूरा मूल्य समय पर और न्यायोचित रूप से मिले। - निधि गुप्ता, जिला गन्ना अधिकारी

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