रासायनिक उर्वरकों की निर्भरता में कमी लाएगी हरी खाद
Kannauj News - कन्नौज में रासायनिक उर्वरकों के बढ़ते प्रयोग के कारण मिट्टी की उर्वरता घट रही है। इस समस्या के समाधान के लिए 150 क्विंटल ढैंचा बीज का वितरण किया जाएगा। ढैंचा हरी खाद के रूप में मिट्टी के पोषक तत्वों...

गुगरापुर,कन्नौज।रासायनिक उर्वरकों के बढ़ते प्रयोग के कारण मिट्टी की उर्वरता शक्ति तेजी से घट रही है। इसमें सुधार लाने के लिए ढेंचा सबसे बेहतर विकल्प है। जनपद में 150 क्विंटल ढैंचा बीज का आवंटन किया गया है।जिसको अनुदान पर कृषकों को वितरण किया जाएगा। रासायनिक उर्वरकों के बढ़ते प्रयोग से मिट्टी की उर्वरता घटती जा रही है। ऐसे में किसान इस समय हरी खाद का प्रयोग करके अच्छा उत्पादन पा सकते हैं। इसके साथ ही मिट्टी की उर्वरा शक्ति भी बढ़ाई जा सकती है। जिला कृषि अधिकारी आवेश कुमार ने कहा कि रबी की फसल कट रही है।इसके बाद मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने का सबसे अच्छा तरीका है कि खेत में हरी खाद का प्रयोग करें। हरी खाद का प्रयोग मिट्टी में पोषक तत्वों को बढ़ाने और उसमें जैविक पदार्थों की पूर्ति करने के लिए की जाती है। इससे खेत को नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटैशियम, जस्ता, तांबा, मैगनीज, लोहा, मोलिब्डेनम आदि तत्व भी मिलते हैं। इसके अलावा खेत में कार्बनिक पदार्थ की मात्रा बढ़ाकर उसकी भौतिक दशा को सुधारा जा सकता है। मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने के लिए मई में सनई, ढैंचा मूंग, लोबिया में से किसी की बोआई करना बेहतर है। जिला कृषि अधिकारी ने बताया कि जल्द ही 150 क्विंटल ढैंचा का बीज जनपद में आ गया है। जिसकी जल्द ही कृषि विभाग के ब्लाक स्तरीय गोदामों पर उपलब्धता करा दी जाएगी। l सामान्य वितरण के तहत पचास प्रतिशत अनुदान पर 150 क्विंटल बीज वितरित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि एक किलो ढैंचा के बीज का मूल्य 116.85 रुपये है। इसमें पचास प्रतिशत अनुदान काटकर किसानों को भुगतान करना है।
इस तरह करें बोआई
किसान खाली खेत में हल्की सिंचाई करके 45-50 किलो प्रति हेक्टेयर की दर से ढैंचा के बीज की बोआई करते हैं। फसल जब लगभग 45-50 दिन (फूल आने से पूर्व) की हो जाती है। इससे धान की रोपाई से पूर्व हरी खाद के साथ खेत खरीफ फसल की बोआई के लिए तैयार हो जाती है। टैंचा के अंदर कम उपजाऊ भूमि में भी अच्छी तरह से उगने की शक्ति होती।
ढैंचा होता है नाइट्रोजन का बड़ा स्रोत
खेतों में कार्बनिक तत्व कम होते जा रहे हैं। हरी खाद से मिट्टी में इनकी मात्रा बढ़ती है। हरी खाद नाइट्रोजन का बड़ा स्रोत है। ढैंचा की फसल खेत में जोतने से मिट्टी की पानी धारण करने की क्षमता और फसल की पैदावार बढ़ती है।
बोले जिला कृषि अधिकारी
किसान खेतों में हरी खाद का प्रयोग अवश्य करें। फसल अवशेष जैसे पत्ती, पराली आदि को गलाकर भी खाद बनानी चाहिए। किसानों के ढँचे का बीज भी उपलब्ध कराया जा रहा है। - आवेश कुमार, जिला कृषि अधिकारी
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