इस भ्रष्टाचार का अंतिम पड़ाव अधिकारी नहीं कोई और, IAS अभिषेक प्रकाश को लेकर अखिलेश ने साधा निशाना
- IAS अभिषेक प्रकाश को योगी सरकार ने सस्पेंड कर दिया है। इसको लेकर अखिलेश ने योगी सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने पोस्ट कर कहा कि इस भ्रष्टाचार का अंतिम पड़ाव अधिकारी नहीं कोई और है।

सीएम योगी ने गुरुवार को भ्रष्टाचार पर वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अभिषेक प्रकाश को सस्पेंड कर दिया। भ्रष्टाचार पर योगी ऐक्शन पर प्रशासनिक महकमे में हड़कंप मच गया है। इस बीच सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने योगी सरकार पर निशाना साधा है। अखिलेश यादव ने पोस्ट कर हमला बोलते हुए कहा कि ये है उप्र में इज़ ऑफ़ डूइंग बिज़नेस का सच, जहां औद्योगिक विकास के नाम पर खुलेआम कमीशन मांगा जा रहा है और बात खुल जाने पर निलंबन का नाटक रचा जा रहा है। इस भ्रष्टाचार का अंतिम पड़ाव अधिकारी नहीं कोई और है।
उन्होंने लिखा कि यूपी मुख्य-मुख्य-मुख्य’ की भ्रष्टाचारी साठगांठ ही ‘तीन तिगाड़ा-काम बिगाड़ा’ के पीछे की ऊपरी वजह है और जब बँटवारा सही से नहीं हो पाता है तो किसी के जमा किये पचास करोड़ चोरी हो जाते हैं और कोई गिरफ़्तार हो जाता है।अब भाजपा को अपने ‘सब’ वाले नारे में संशोधन करके कहना चाहिए: सब मिलबांट, करें बंटाधार!
दरअसल, सीएम योगी के निर्देश पर भ्रष्टाचार पर बड़ी कार्रवाई करते हुए आईएएस इंवेस्ट यूपी के सीईओ अभिषेक प्रकाश को निलंबित कर दिया गया है। शिकायत के आधार पर वसूली करने वाले निकांत जैन को गोमतीनगर पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। लखनऊ के गोमतीनगर थाने में इस संबंध में एफआईआर दर्ज कराई गई है।
सोलर ऊर्जा से संबंधित पुर्जे बनाने और संयंत्र वाली कंपनी के विश्वजीत दत्त ने शिकायत में कहा है कि उनका ग्रुप उत्तर प्रदेश में इकाई की स्थापना करना चाहता है। इसके लिए उसने इन्वेस्ट यूपी के कार्यालय के साथ ऑनलाइन प्रार्थना पत्र भेजा था। इसके संबंध में मूल्यांकन समिति की बैठक हुई थी। उनके प्रकरण के विचार से पूर्व इन्वेस्ट यूपी के बड़े अधिकारी ने एक प्राइवेट व्यक्ति निकांत जैन का नंबर देते हुए कहा कि उससे बात कर लीजिए। वह यदि कहेगा तो आपका मामला एम्पावर्ड कमेटी और कैबिनेट से तुरंत मंजूर कर दिया जाएगा। शिकायतकर्ता का आरोप है कि अधिकारी के कहने पर उसने निकांत जैन से बात की। निकांत ने पूरे मामले के लिए पांच फीसदी की मांग की और एडवांस में पैसे भी मांगे। उनके मालिक मुख्यमंत्री से इस प्रोजेक्ट के लिए मिले थे, इसलिए निकांत को पैसे देने से मना कर दिया। बाद में पता चला कि उनके मामले में संस्तुति होने के बाद पत्रावली में प्रकरण को टाल दिया गया है।