नैनी के राजा कलंदर और उसके साथी को उम्रकैद, जुर्माना
Lucknow News - लखनऊ में किराए पर ली गई टाटा सूमो की हत्या और लूट के मामले में राजा कलंदर और बच्छराज को आजीवन कारावास और जुर्माने की सजा मिली है। न्यायाधीश ने कहा कि यह मामला पेशेवर अपराध से संबंधित है। मृतकों के...

लखनऊ से किराए पर टाटा सूमो बुक कराकर चालक तथा गाड़ी मालिक के बेटे की हत्या कर टाटा सूमो लूटने के मामले में नैनी के राम सागर गांव निवासी राजा कलंदर उर्फ राम निरंजन तथा शंकरगढ़ थाने के वेरी बसहरा निवासी बच्छराज कोल को आयुर्वेद घोटाला प्रकरण के विशेष न्यायाधीश रोहित सिंह ने आजीवन कारावास तथा ढाई-ढाई लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। जुर्माने की 40 फीसदी धनराशि मृतकों के परिजनों को बतौर प्रतिकर दी जाएगी। शेष धनराशि राज्य सरकार को उचित व्यय चुकाने के लिए दी जाएगी। अभियोजन की ओर से अपर जिला शासकीय अधिवक्ता एमके सिंह एवं सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता कमलेश कुमार सिंह ने बताया कि इस दोहरे हत्याकांड की रिपोर्ट शिवहर्ष सिंह ने 26 जनवरी 2000 को नाका थाने में दर्ज कराई थी।
रिपोर्ट के मुताबिक शिवहर्ष सिंह की टाटा सूमो लखनऊ से इलाहाबाद के बीच चलती थी। 23 जनवरी को उनका बेटा मनोज कुमार सिंह तथा चालक रवि श्रीवास्तव उर्फ गुड्डू कानपुर रोड से 6 सवारियों को लेकर चाकघाट रींवा मध्य प्रदेश के लिए गए थे। ये लोग रास्ते में हरचंदपुर में शिवहर्ष के घर रुके और खाना खाया। वहां पर शिवहर्ष एवं उसके भाई शिव शंकर ने सवारियों को अच्छी तरह से पहचाना था। जब उसकी टाटा सूमो गाड़ी वापस नहीं आई तो उन्हें किसी अनहोनी की आशंका हुई। अदालत को बताया गया कि जब पुलिस गाड़ी की तलाश कर रही थी तो सूचना मिली कि ग्राम गढ़वा के वन विभाग की जमीन पर गिट्टी के चट्टे के पास दो लाशें पड़ी हुई हैं। सूचना पर शिवहर्ष और उनके परिवार के लोग पहुंचे और पहचान की। एमके सिंह के मुताबिक पुलिस विवेचना के दौरान अभियुक्त राजा कलंदर उर्फ और राम निरंजन, फूलन देवी एवं उसके नाबालिग बेटे बच्छराज कोल, दिलीप गुप्ता एवं दद्दन सिंह का नाम आया था। इसमें से दिलीप गुप्ता की गिरफ्तारी नहीं हो पाई थी। अदालत को यह भी बताया गया कि सबसे पहले आरोपित राजा कलंदर व बच्छराज को गिरफ्तार किया गया तथा उन्हें इलाहाबाद के कीडगंज लाया गया तो उन्हें शिवहर्ष व उनके परिवार ने पहचाना। राजा कलंदर के घर से पुलिस ने मृतक मनोज कुमार सिंह का कोट बरामद किया था। अदालत को बताया गया कि सबसे पहले फूलन देवी एवं उसके नाबालिग बेटे के खिलाफ मुकदमा चला। बेटे का मामला जुवेनाइल कोर्ट भेज दिया गया तथा फूलन देवी को अदालत ने 8 जुलाई 2013 को उम्र कैद की सजा सुनाई थी। इस मामले में मुकदमे की विचरण के दौरान आरोपी दद्दन सिंह की मृत्यु हो गई। अभियुक्त असाधारण व दु:साहसी न्यायाधीश रोहित सिंह ने अपने निर्णय में कहा कि मामले की परिस्थितियों एवं तथ्यों को देखते हुए निःसंदेह यह मामला पेशेवर व संगठित अपराध से संबंधित है तथा मृतकों की क्रूरतम ढंग से हत्या की गई है। इसमें अभियुक्तों की अन्य व्यक्तियों के साथ संलिप्तता रही है और अपराध के हर कदम की जानकारी उन्हें रही है। ऐसी स्थिति में यह नहीं कहा जा सकता है कि वह सामान्य व्यक्ति है, अपितु अभियुक्त असाधारण व दु:साहसी हैं। ऐसी स्थिति में इस मामले में अभियुक्तों के प्रति किसी भी प्रकार की सहानुभूति मात्र यह कह देने से कि वह वृद्धि तथा गरीब है तथा कम से कम सजा देना न्याय की मंशा के विपरीत होगा। अभियोजन ने फांसी की मांग की विशेष अधिवक्ता द्वारा सजा के प्रश्न पर सुनवाई के दौरान कहा गया कि अभियुक्त राजा कलंदर एवं बच्छराज व अन्य ने सुनियोजित साजिश रचकर मनोज कुमार सिंह एवं ड्राइवर रवि श्रीवास्तव का अपहरण लूट एवं हत्या के इरादे से किया गया। अपने इरादे को अंजाम देने के लिए टाटा सूमो लूटा तथा क्रूरतम ढंग से हत्या कर दी। उनकी लाश को गढ़वा के जंगल में जंगली जानवरों की हवाले कर दिया, ताकि शिनाख्त ना हो सके। अभियुक्त पेशेवर अपराधी हैं और संगठित तरीके से घटना को अंजाम देते आ रहे हैं। वर्ष 2001 में इलाहाबाद के कीडगंज थाने के हत्या एवं अपहरण के मुकदमे में अभियुक्तों आजीवन कारावास की सजा हुई थी । अभियुक्त मुख्य आरोपी है तथा उन्हें मृत्युदंड एवं भारी जुर्माना से दंडित किया जाए। जिससे कि ऐसे पेशेवर एवं संगठित अपराधियों में एक कठोर संदेश हो सके। अभियुक्तों के फार्म से नर कंकाल व नरमुंड बरामद हुए थे बहस के दौरान अदालत के संज्ञान में यह भी लाया गया कि अभियुक्तों के पिपरी फार्म से बहुत अधिक संख्या में नर कंकाल तथा नरमुण्ड बरामद हुए थे। इसके अलावा अभियुक्तों के ऊपर हत्या एवं अन्य गंभीर धाराओं में अनेकों मुकदमे चल चुके हैं। विशेष रूप से अदालत को यह भी बताया गया कि अभियुक्तों के द्वारा किए गए अपराध से संबंधित फिल्म निर्माता द्वारा वेब सीरीज भी निर्मित की गई है। अभियुक्तों के डर के कारण न्यायालय में लोग गवाही देने से कतराते हैं। कलंदर ने गवाहों से खुद जिरह की राजा कलंदर उर्फ राम निरंजन को पेशेवर अपराधी की श्रेणी में रखा जाना अनुचित न होगा क्योंकि जेल में रहते हुए अपराध की दुनिया में उसे अच्छी तरह से विधि का ज्ञान हो चुका था। जिसके कारण अधिकतर उसने जेल से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अथवा अदालत आकर खुद गवाहों से जिरह किया। सरकारी वकील द्वारा बताया गया कि अभियुक्त राजा कलंदर द्वारा अपनी जिरह के दौरान ऐसे ऐसे प्रश्न गवाहों से पूछे गए जिन्हें केवल एक कुशल अधिवक्ता ही पूछ सकता है।
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