चिलखारी नरसंहार के दो आरोपी साक्ष्य के अभाव में रिहा
गिरिडीह में चिलखारी नरसंहार के दो नक्सली आरोपी कोल्हा यादव और दिलीप साव को अदालत ने पर्याप्त साक्ष्य के अभाव में रिहा कर दिया है। अभियोजन पक्ष आरोप साबित करने में असफल रहा। यह मामला 26 अक्टूबर 2007 को...

गिरिडीह। बहुचर्चित चिलखारी नरसंहार के दो आरोपी नक्सली कोल्हा यादव एवं दिलीप साव को पर्याप्त साक्ष्य के अभाव में अदालत ने रिहा कर दिया है। अभियोजन पक्ष अदालत में दोनों नक्सलियों के विरूद्ध बाबूलाल मरांडी के पुत्र समेत 20 लोगों की हत्या किये जाने का आरोप साबित करने में विफल रहा। जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रथम मनोज चंद्र झा की अदालत ने शुक्रवार को चिलखारी नरसंहार मामले में अपना फैसला सुना दिया। अदालत में सुनवाई के दौरान जहां जमुई जेल में बंद कोल्हा यादव का वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये जमुई जेल से अदालत में पेशी हुई जबकि जमानत पर चल रहे नक्सली दिलीप साव अदालत में उपस्थित था।
यह मामला देवरी थाना कांड संख्या 167/2007 से संबंधित है। कोल्हा यादव को देवरी थाना पुलिस ने अप्रैल 2021 में गिरफ्तार किया था। कोल्हा यादव बिहार के जमुई जिले के चरकापत्थर थाना क्षेत्र का रहने वाला है। कोल्हा पर कई और संगीन मामले हैं इसलिए फिलहाल वह जेल में ही रहेगा। बता दें कि 26 अक्टूबर 2007 को प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी के नक्सलियों द्वारा चिलखारी नरसंहार की घटना को अंजाम दिया गया था। इस घटना में झारखंड के प्रथम मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के पुत्र अनूप मरांडी समेत कुल बीस लोग मारे गए थे। बताया जाता है कि उत्क्रमित मध्य विद्यालय चिलखरियोडीह स्थित फुटबॉल मैदान में तूफान स्पॉटिंग क्लब चिलखारी के द्वारा फुटबॉल प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था। इस प्रतियोगिता के समापन दिवस पर फुटबॉल मैदान के बगल में आदिवासी जतरा कार्यक्रम सोरेन ओपेरा का आयोजन किया गया था। कार्यक्रम के दौरान मध्य रात्रि में भाकपा माओवादियों के द्वारा कार्यक्रम स्थल को कब्जे में लेकर अंधाधुंध फायरिंग कर नरसंहार की घटना को अंजाम दिया गया था।
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