बोले लखनऊ : साहब! चालकों के वेश में घूम रहे हैवानों पर अंकुश लगाएं
Lucknow News - लखनऊ में ऑटो-टेंपों में महिला यात्रियों के साथ छेड़खानी और दुर्व्यवहार की घटनाएं बढ़ रही हैं। हाल ही में एक महिला की रेप के बाद हत्या के मामले ने चिंता बढ़ा दी है। महिलाएं सुरक्षित यात्रा के लिए ऑटो...
ऑटो-टेंपों में महिला यात्रियों के साथ आए दिन हो रहीं छेड़खानी, दुर्व्यवहार की घटनाओं ने सुरक्षित सफर पर सवाल खड़े किए हैं। मार्च में आलमबाग से ऑटो में सवार महिला की रेप के बाद हत्या कर दी गई। छेड़खानी की तीन घटनाओं के बाद पुलिस सक्रिय हुई। आटो-टेंपो चालकों के सत्यापन की शुरुआत हुई। कुछ दिनों तक काम हुआ लेकिन फिर सब ठंडे बस्ते में चला गया। अभी 8 मई को ठाकुरगंज में और 20 को ढेढ़ी पुलिया इलाके में छेड़खानी से सहमी महिलाओं ने चलती ऑटो-ईरिक्शा से छलांग लगा दी। ऑटो चालक के वेश में घूम रहे हैवानों पर अंकुश लगाने के अभी तक के प्रयास नाकाफी साबित हुए हैं।
बोले लखनऊ अभियान के तहत हिन्दुस्तान टीम ने अलग-अलग स्थानों पर महिला समूहों के साथ संवाद किया। महिलाओं ने घटनाओं पर न केवल चिंता जताई बल्कि अंकुश लगाने के उपाय भी सुझाए। ज्यादातर महिलाओं का कहना है कि ऑटो चालकों का पुलिस सत्यापन नहीं होने से भी ऐसी घटनाएं हो रही हैं। बहू बेटियों के घर से अकेले निकलने पर डर कम जरूर हुआ है लेकिन समाज को बदलने में वक्त लगेगा। पुलिस प्रशासन को सुरक्षित सफर के सख्त, स्थायी और पुख्ता इंतजाम करने चाहिए। महिलाएं बोलीं, वर्दी व आईकार्ड और पुलिस सत्यापन अनिवार्य किया जाए लखनऊ में ऑटो व ई-रिक्शा चालकों से जुड़े अपराध लगातार बढ़ रहे हैं। मंगलवार को टेढ़ीपुलिया के पास ई-रिक्शे में सवार युवती ने ड्राइवर की छेड़छाड़ से परेशान होकर छलांग लगा दी। इससे वह गंभीर रूप से घायल हो गई, लेकिन मनचले ड्राइवर ने युवती की पिटाई करते हुए उसे दोबारा से बैठाने का प्रयास किया। पर, राहगीरों को आते देख चालक फरार हो गया। शहर के भीतर इस तरह की घटना से महिलाओं में काफी गुस्सा है। क्योंकि लखनऊ में बड़ी संख्या में महिलाएं अपने काम और ऑफिस जाने के लिए ऑटो और ई-रिक्शा का सहारा लेती हैं, लेकिन कई बार महिलाओं को ऑटो व ई-रिक्शा में सफर के दौरान असहज होना पड़ता है। इसकी वजह ऑटो और ई-रिक्शा चालक की हरकतें होती हैं। राजधानी की सड़कों पर ऐसे हजारों ऑटो व ई-रिक्शा दौड़ते है, जिनमें चालक तेज आवाज अश्लील गाने बजाते हुए फर्राटा भरते हैं। इनमें से कई नशे में धुत होते हैं तो कई महिला यात्रियों से अभद्रता भी करते हैं, जिससे ये महिलाओं को काफी दिक्कत होती है। इसको लेकर आपके अपने अखबार हिन्दुस्तान ने बुधवार को ‘बोले लखनऊ के तहत गोमतीनगर के विवेकखंड-तीन में संवाद किया। इस दौरान महिलाओं ने बेहतर निगरानी और ड्राइवरों के दस्तावेजों की नियमित जांच की मांग की। साथ ही महिला अपराध पर अंकुश लगाने के लिए ऑटो चालकों को वर्दी और आई कार्ड पहनकर गाड़ी चलाना अनिवार्य किया जाए। साथ ही ड्राइविंग लाइसेंस बनने से पहले पुलिस वेरिफिकेशन अनिवार्य होना चाहिए। ---------- नशे में धुत चालकों पर नहीं होती कार्रवाई संवाद के दौरान डा. रिता सिंह, ज्योति, डा. मधु भारद्वाज, आशा सिंह, रेनू तिवारी ने बताया कि ऑटो और ई-रिक्शा के ढेरों चालक कई बार नशे में धुत होकर ड्राइविंग करते हैं। कई बार ये सड़क पर चलती महिलाओं को जबरदस्ती ऑटो में बैठाने को पीछे पड़ जाते हैं। ऑटो फुल होने के बाद भी ये सवारी भर लेते हैं, जिससे ऑटो में बैठी महिलाओं को असहज होना पड़ता है। ऐसे ज्यादातर चालकों पर कभी कार्रवाई नहीं होती। जबकि ऐसे चालकों का तुरंत ड्राईविंग निरस्त होना चाहिए। --------- नाबालिग ऑटो चालक तेज रफ्तार से चलते है राजधानी की सड़कों पर चलने वाले अधिकांश ऑटो व ई-रिक्शा चालक नाबालिग है, जिनके पास न तो लाइसेंस होता है और न ही गाड़ी चलाने का अनुभव। ऐसे में कई बार वो महिलाओं को बिठाने के बाद सड़क पर तेज रफ्तार में कटिंग मारते हुए फर्राटा भरते हैं, जो कहीं भी दुर्घटना का शिकार हो सकते हैं, जिसके कारण महिलाएं ऑटो में बैठने से भी कतराती हैं। संवाद के दौरान स्नेहलता पांडेय, अनन्या शर्मा, नीलम मिश्रा, नीना श्रीवास्तव ने ऐसे वाहन मालिकों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। --------- महिला यात्रियों को लगता है डर नेहा सिद्दीकी, ऊषा विश्वकर्मा, कुसुम वर्मा ने बताया कि वह ज्यादातर ई-रिक्शा से ही सफर करती है। पर कभी-कभी ऐसे रिक्शा चालक मिल जाते है, जो ऐसे गाने बजाते हुए चलते हैं कि वह असहज महसूस करती हैं, लेकिन मजबूरी में ऐसे फूहड़ गाने सुनने पड़ते है। उन्होंने बताया कि रिक्शा से सफर करने में अनकंफर्टेबल फील होता है, क्योकि रिक्शा चालक अश्लील गाने बजाते हैं और वो भी काफी तेज आवाज में। इतना ही नहीं वे तेज रफ्तार में भी रिक्शा चलाते है, जिससे एक्सीडेंट का भी डर लगा रहता है। ऑटो व ई-रिक्शा की स्पीड लिमिट का सख्ती से पालन होना चाहिए। साथ ही प्रतिबंधित रूट पर ई-रिक्शा चालने पर कार्रवाई होनी चाहिए। --------- आटो में बैठना महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं महिला सुरक्षा के नाम पर केंद्र एवं राज्य सरकार ने तमाम कानून बनाएं, लेकिन जमीनी स्तर पर जागरूकता न होने से कोई फर्क नहीं पड़ा। आरटीओ दफ्तर में बिना पुलिस वेरिफिकेशन के डीएल बन जाता है। इससे कई अपराधिक प्रवृत्ति के लोग सड़कों पर ऑटो-ई-रिक्शा चालते हैं। इससे महिलाएं खुद को असुरक्षित महसूस करती है। नशा करके ऑटो व ई-रिक्शा चलाने पर डीएल निरस्त होना चाहिए। पुलिस प्रशासन को हर प्रमुख चौराहे पर सीसीटीवी कैमरे लगाने चाहिए। साथ ही आउटर एरिया में स्ट्रीट लाइट लगाई जाएं। ---------------- क्या कहते हैं नियम नियमों के मुताबिक, ऑटो-रिक्शा चलाने वाले व्यक्ति के पास कॉमर्शियल लाइसेंस होना चाहिए और लाइसेंस प्राप्त करने के लिए लाइट मोटर वाहन चलाने के लिए एक परीक्षा पास करनी चाहिए। साथ ही आईकार्ड पहनकर गाड़ी चलानी चाहिए, लेकिन नियमों का खुलेआम उल्लंघन किया जाता है और परिवहन अधिकारी और पुलिस वाले आसानी से आंखें मूंद लेते हैं। कई ऑटो व ई-रिक्शा चालकों के पास वैध लाइसेंस भी नहीं होता है। --------- महिलाओं के सुझाव - सभी ऑटो व ई-रिक्शा चालकों के पास कॉमर्शियल ड्राईविंग लाइसेंस होना चाहिए - 18 साल से कम उम्र के बच्चों को ई-रिक्शा चलाने पर वाहन मालिक के खिलाफ कार्रवाई हो - शहर के हर प्रमुख चौराहे पर सीसीटीवी कैमरे लगे होने चाहिए - कॉमर्शियल डीएल बनने से पहले चालक का पुलिस वेरिफिकेशन होना चाहिए - ऑटो चालकों की फोटो खींचने का अधिकार होना चाहिए - नशा करके ऑटो व ई-रिक्शा चलाने पर डीएल निरस्त होना चाहिए - महिलाओं को सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग दी जाए - शाम के वक्त पुलिस गश्त बढ़ाई जाए - ऑटो व ई-रिक्शा चालकों को गले में आई कार्ड अवश्य पहने - ई-रिक्शा प्रतिबंधित रूट पर न चलें - ऑटो व ई-रिक्शा की स्पीड लिमिट का सख्ती से पालन हो ---------------------- गलत करने वाले ड्राइवरों के लाइसेंस और वोटिंग अधिकार निरस्त हो राजधानी लखनऊ में महिला सुरक्षा तो है लेकिन इसमें अभी व्यापक सुधार की आवश्यकता है। महिलाओं के लिए माहौल को सुरक्षित बनाने के लिए अभी और ठोस कदम उठाने होंगे। एक महिला जो ई-रिक्शा में सफर कर रही है अगर उसके साथ कुछ गलत होता है तो वो हेल्पलाइन नम्बर से मदद मांगेगी, फिर सहायता पंहुचेगी, इसमें वक्त लगेगा। इसलिए इन चीजों के साथ जरूरी है कि हम लड़कियों और महिलाओं को कुछ इस तरह सशक्त बनाए कि वह ऐसी विषम परिस्थतियों का स्वयं सामना कर सके। सिर्फ कहने से कुछ नहीं होगा इस दिशा में कदम उठाने होंगे, साथ ही लड़कों को घर से ही संस्कार देने और लड़कियों की इज्जत करना सिखाना होगा। इनरव्हील क्लब ऑफ लखनऊ की महिला सदस्यों ने महिला सुरक्षा विषय अपनी बात रखी। महिलाओं ने एक स्वर में कहा कि कठोर सजा से ज्यादा जरूरी है कि आरोपी को गलती का अहसास हो। सार्वजनिक वाहनों में महिलाओं के साथ गलत हरकत करने वालों का सबसे पहले ड्राइविंग लाइसेंस निरस्त कर देना चाहिए, इसके बाद उनका वोटिंग अधिकार छीन लेना चाहिए। साथ ही उनका सामाजिक बहिष्कार करना चाहिए। जिससे ऐसी मानसिकता रखने वालों को पता चले कि उसने अगर गलत किया है तो वह कहीं का नहीं रहेगा। महिलाओं ने कहा कि सिर्फ आपातकालीन सुविधा देने से कुछ नहीं होगा, तत्काल रिस्पांस भी मिलना चाहिए। कई बार ऐसा होता है कि विषम परिस्थितियों में लड़की, महिला नम्बर मिलाती रहती है लेकिन जवाब तक नहीं मिलता है। फोन उठ जाने पर इतने सवाल किए जाते हैं कि पीड़ित और अधिक परेशान हो जाती है। महिलाओं ने कहा कि शिकायत दर्ज कराने की प्रक्रिया को और सरल करना होगा। कई बार पुलिस शिकायतों को गंभीरता से नहीं लेती, जिससे पीड़ित महिलाएं हतोत्साहित हो जाती हैं। इसके लिए एक विशेष हेल्पलाइन और त्वरित प्रतिक्रिया टीम की स्थापना की मांग की गई, जो 24 घंटे उपलब्ध हो। सार्वजनिक स्थानों पर महिला पुलिसकर्मियों की तैनाती बढ़ाने की सलाह दी गई। इसके अलावा, ऑटो और ई-रिक्शा ड्राइवरों के लिए नियमित प्रशिक्षण और पृष्ठभूमि जांच को अनिवार्य किया जाने की मांग उठायी। बोली महिलाएं -महिला सशक्तीकरण पर बात ज्यादा होती है, काम कम। सिर्फ औरते ही नहीं पुरुषों को भी योगदान देना होगा। मैं गुजरात में रहीं हूं वहां का माहौल सहज लगता था लेकिन लखनऊ में असहत महसूस करती हूं। पूजा सेठ -लड़कियों के साथ लड़कों को भी मानसिक रूप मजबूत करना होगा। लड़की को सेल्फ डिफेंस का प्रशिक्षण अनिवार्य रूप से देना चाहिए। हमे लड़कियों को मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूत करना होगा। जागृति जालान -परिवहन विभाग का आपातकाल नम्बर काम नहीं करता है, मुश्किल घड़ी में फंसी एक लड़की क्या करेगी। इसके लिए लड़की को हमे सशक्त बनाना होगा। शिल्पा अग्रवाल -लड़कियों को अपने पास चिली स्प्रे जरूर रखना चाहिए। अगर ऐसी कोई परिस्थिति आती है तो मदद में देर लगेगी। ऐसी लड़की के काम चिली स्प्रे आ सकता है। अनुपमा ओसवाल -हर लड़की को अपने मोबाइल पर 112 एप्लीकेशन रखना चाहिए। हमे लड़कियों के साथ उनके अभिभावकों को एहसास दिलाना होगा कि हम उनके साथ है। गलत करने वालों का लाइंसेंस, वोटिंग अधिकार निरस्त होना चाहिए। संगीता मित्तल -हमे अपने घर से शुरुआत करनी होगी। लड़कों को लड़कियों की इज्जत करना शुरू से सिखाना होगा। ई-रिक्शा, ऑटो के लिए पुलिस प्रशासन को सख्त पॉलिसी बनानी होगी। अंजलि मल्होत्रा -जो लोग गलत हरकत लड़कियों, महिलाओं के साथ करत हैं उनका पूरी तरह सोशल बायकाट जरूरी है। गलत करने वालों को ऐसी सजा मिलनी चाहिए जिससे उनका एहसास हो कि उन्होंने गलती की है। दीप्ति सिंह मैं अक्सर ई रिक्शा से आती-जाती हूं। छोटे-छोटे लड़के ई रिक्शा चलाते मिलते हैं। ड्राइवरों के ड्राइविंग लाइसेंस की जांच होनी चाहिए। शराब के नशे के लिए ब्रेथ एनालाइजर की जांच हर चौराहे पर हो। डॉ. रीता सिंह मैं अमीनाबाद में रहती हूं। महिला सुरक्षा को लेकर बातें होती है। चप्पे-चप्पे पर कैमरा लगाने और पुलिस की तैनाती की बात करते है। लेकिन अभिभावकों को बच्चों की सुरक्षा को लेकर अर्लट होना जरूरी है। ज्योति खरे
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