प्रकृति के लिए आत्मघाती न हो विकास का मॉडल : योगी आदित्यनाथ
Lucknow News - - मुख्यमंत्री ने कहा पर्यावरण व विकास में सामंजस्य जरूरी - जैव विविधिता दिवस

लखनऊ, प्रमुख संवाददाता मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विकास के साथ-साथ प्रकृति संरक्षण को भी महत्व दिए जाने की नसीहत गुरुवार को दी। अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में उन्होंने कहा कि विकास का मॉडल ऐसा होना चाहिए जो प्रकृति के लिए आत्मघाती न हो। उन्होंने आधुनिक विकास मॉडल पर सवाल उठाए और कहा कि पर्यावरण व विकास के बीच सामंजस्य बहुत जरूरी है। विकास व पर्यावरण संरक्षण साथ-साथ चले। पर्यावरण संरक्षण सबकी जिम्मेदारी वन एवं पर्यावरण गोमतीनगर में स्थित इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में प्रकृति तथा सतत विकास के साथ सामंजस्य विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में उन्होंने नागरिकों को प्रकृति व पर्यावरण के प्रति उनका कर्तव्यबोध भी कराया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण सबकी जिम्मेदारी है। सरकार के साथ-साथ समाज भी अपनी भूमिका निभाएं। उन्होंने कहा कि भारत की प्राचीन परंपराएं प्रकृति के प्रति गहरे सम्मान को दर्शाती हैं। वेदों में प्रकृति संरक्षण का महत्वपूर्ण पाठ पढ़ाया गया है। उन्होंने वैदिक शांति पाठ का उदाहरण देते हुए कहा कि सनातन धर्म में हर मांगलिक अनुष्ठान की शुरुआत पृथ्वी, जल अंतरिक्ष व समस्त चराचर जगत के कल्याण की कामना के साथ होती है। हमारी परंपराएं हमें सिखाती हैं कि मनुष्य का अस्तित्व प्रकृति और जैव विविधता के संरक्षण पर निर्भर करता है। अथर्ववेद में कहा गया है कि धरती हमारी माता है और हम सब इसके पुत्र हैं। एक पुत्र के नाते हमें अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करना चाहिए। मुख्यमंत्री ने ग्रामीण भारत की स्वावलंबी परंपराओं का भी उल्लेख किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले हर गांव में खलिहान, गोचर भूमि, तालाब व खाद के गड्ढे होते थे, जो पर्यवरण संरक्षण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते थे। गांवों में सॉलिड वेस्ट को खाद के गड्ढों में डालकर कंपोस्ट खाद बनाई जाती थी। तालाब स्वच्छता के प्रतीक थे। गोचर भूमि पशुओं के लिए आरक्षित थी, लेकिन आधुनिकता की दौड़ में हमने इन परंपराओं को नजरअदांज कर दिया। अब इसके परिणामस्वरूप पर्यावरणीय असुंतलन के कारण बीमारियां बढ़ रहीं हैं। मुख्यमंत्री ने गांवों में तालाबों को ड्रेनेज का माध्यम बनाने व गोचर भूमि पर अतिक्रमण जैसे कार्यों को आत्मघाती बताया। मुख्यमंत्री ने ग्रीन बजट व जैव विविधता पुस्तिका का विमोचन और प्रदर्शनी का अवलोकन किया। मुख्यमंत्री ने कार्बन क्रेडिट के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वालों को 10-10 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि दी। एनजीओ फार्मर्स को प्रशस्ति पत्र भी दिया। वहीं चित्रकला, निबंध लेखन व वाद विवाद प्रतियोगिताओं के विजेताओं को भी सम्मानित किया। कार्यक्रम में वन एवं पर्यावरण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अरुण कुमार सक्सेना, वन एवं पर्यावरण राज्यमंत्री केपी मलिक, मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह व प्रमुख सचिव अनिल कुमार इत्यादि मौजूद रहे। ...................................................... 210 करोड़ लगाए पौधे, कानपुर में निर्मल हुई गंगा कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वन विभाग की पीठ थपथपाई। उन्होंने कहा कि बीते आठ वर्षों में 210 करोड़ पौधे लगाए गए हैं। उन्होंने कहा कि कानपुर जो कभी नमामि गंगे के लिए सबसे चुनौतीपूर्ण क्षेत्र माना जाता था। अब यहां पर गंगा स्वच्छ व जीवंत है। सरकार पर्यावरण के संरक्षण के लिए ठोस कदम उठा रही है। .............................................. नेट जीरो लक्ष्य प्राप्त करने में सहयोग करें नागरिक योगी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2070 तक नेट जीरो लक्ष्य प्राप्त करने का संकल्प लिया है। ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन और उनके अवशोषण को संतुलित किया जाएगा। ऐसे में यह लक्ष्य प्राप्त करने में आम नागरिकों को अपना सहयोग देना चाहिए। ................................................. इन्हें किया गया सम्मानित पुरस्कार प्राप्त करने वाले स्कूली छात्रों में पायनियर मांटेसरी स्कूल की अंशिका पाल धनगर, लखनऊ पब्लिक स्कूल हरदोई के निशांत कुमार, एनजीओ में वीर अब्दुल हमीद युवा मंडल कानपुर देहात के मारूफ, लोकभारती के विजय बहादुर सिंह, उत्तर प्रदेश बृज तीर्थ विकास परिषद मथुरा के श्याम बहादुर सिंह, अर्थवन फाउंडेशन प्रयागराज की डा. कंचन मिश्रा, वसुंधरा सृजन समिति झांसी के रिषभ राय, मुरादबाद के जय प्रकाश सक्सेना, कार्बन फाइनेंस प्रोडक्ट के लाभांश प्राप्त करने वाले कृषकों में शकुंतला देवी, योगेन्द्र कुमार, दिनेश कुमार और फोटोग्राफी प्रतियोगिता में उदय तेजस्वी को प्रथम, शशिधर स्वामी को द्वितीय, उमाशंकर बीएन को तृतीय व शांतनु बोस, पद्यनावा और पंकज रत्ना को सांत्वना पुरस्कार दिया गया।
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