बोले मैनपुरी: सेहत का नहीं सियासत का अड्डा बना तिकोनिया पार्क
Mainpuri News - मैनपुरी। अफसरों की आंखों के सामने बनाए गए तिकोनिया पार्क की कहानी बदहाल होती जा रही है।
अफसरों की आंखों के सामने बनाए गए तिकोनिया पार्क की कहानी बदहाल होती जा रही है। इस पार्क को खूबसूरत बनाकर लोगों के लिए तैयार करने का जो प्लान बनाया गया उसपर बजट तो खर्च हुआ, लेकिन अपेक्षित उपयोग नहीं हो सका। यही वजह है कि तिकोनिया पार्क लोगों के प्रदर्शन का हिस्सा बन गया है। इसका लाभ पार्क की परिकल्पना के अनुरूप लोगों को नहीं मिल पा रहा। यह स्थिति तब है जब इस पार्क के बिल्कुल नजदीक डीएम, एडीएम, एसडीएम के दफ्तर हैं। मगर इस भी अधिकारी की निगाह पार्क की दुर्दशा पर नहीं गई। हिन्दुस्तान के बोले मैनपुरी संवाद के दौरान लोगों ने कहा कि इस पार्क को आम आदमी के अनुकूल विकसित किया जाए। तभी बात बनेगी।
तिकोनिया पार्क के चारों तरफ से बाउंड्रीवाल बना दी गई है। इससे इस पार्क का स्वरूप बिगड़ गया है। पार्क में प्रवेश के लिए अपेक्षित रास्ते नहीं हैं। इस पार्क को जिले भर से आने वाले लोगों के धरना प्रदर्शन का हिस्सा बना दिया गया है। जबकि इस पार्क की परिकल्पना के पीछे यह संकल्प लिया गया था कि यहां आने वाले लोग पार्क में बैठकर अपना समय बिताएंगे और हरियाली देखकर राहत महसूस करेंगे। बच्चों के लिए झूले इसलिए लगाए गए कि यहां बच्चे समय बिताने आएंगे और झूलों का प्रयोग कर मस्ती करेंगे।
पार्क में हरियाली की बेहद कमी है। पेड़ पौधों का सही तरीके से रखरखाव नहीं है। इसके कारण यहां के ज्यादातर पेड़ मरते जा रहे हैं। यहां आने वाले राजकिशोर, रामपाल, हरी शंकर, बलबीर, दीनानाथ का कहना है कि मन को प्रसन्न करने के लिए पार्क में प्रवेश करते हैं, लेकिन यहां तो अब बस धरना प्रदर्शनों का ही दौर चलता है। इसके कारण यहां के लोग काफी परेशान रहते हैं। उनके लिए सुबह और शाम की सैर के लिए स्थान नहीं बचता है। उधर कुछ लोग गर्मी के मौसम में छांव की उम्मीद लेकर भी यहां आते हैं, लेकिन यहां चल रहे प्रदर्शनों के कारण उन्हें न तो सुकून मिल पाता है और न ही आराम कर पाते हैं। स्थानीय लोगों ने संवाद के दौरान बताया कि जिला प्रशासन द्वारा इस पार्क को विकसित करने का जो प्लान बनाया गया था उसी के अनुरूप काम कराए। यहां हरी घास लगाई जाए।
प्रकाश व्यवस्था का इंतजाम किया जाए। बच्चों के लिए खेल कूद के अतिरिक्त इंतजाम किए जाएं। ताकि यहां बच्चे जाकर अपना समय बताएं। परिवारों के साथजो बच्चे यहां आएं, वो खुश हों। हिन्दुस्तान के संवाद में लोगों ने कहा कि पार्क में बैठने के भी उचित इंतजाम नहीं हैं। इस पार्क में पीने के पानी का इंतजाम तो बिल्कुल ही नहीं है। यहां जो लोग आते हैं पानी की तलाश में भटकते हैं। जो वाटर कूलर लगाया गया था वह पूरी तरह से खराब हो चुका है। सफाई व्यवस्था न के बराबर है। हमेशा गंदगी रहती है। संवाद के दौरान लोगों ने मांग की कि प्रशासन को इस पार्क की समस्या को गंभीरता के साथ लेना चाहिए। एक पूरी कार्य योजना तैयार करानी चाहिए। कटाक्ष के रूप में लोगों ने ये तक कहा कि पार्क के सामने अपने कार्यालयों में बैठने वाले अधिकारी अपने कीमती समय में से कुछ समय निकालें और पार्क को दुर्दशा के दंश से मुक्ति दिलाने का काम करें।
बोले लोग
तेज धूप में शिकायत कर्ताओं के बैठने के लिए कोई स्थान नहीं है। अगर तिकोनिया पार्क में एक प्रतीक्षालय का निर्माण करा दिया जाए तो शिकायत कर्ताओं को धूप में सिकना नहीं पड़ेगा।
-अरविंद तिवारी
तिकोनिया पार्क की बदहाली के चलते आसपास के युवाओं ने क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया है। जिसस पार्क की हरियाली भी खत्म हो चुकी है। पार्क में पुन: पेड़ पौधे लगाकर हरा भरा बनाया जाए।
-मोहम्मद राशिद
तिकोनिया पार्क पर सुरक्षा व्यवस्था रखने के लिए एक चौकीदार की तैनाती हो जाए। तो पार्क से अराजक तत्व दूर रहेंगे और पार्क सुुविधाओं से परिपूर्ण भी रहेगा। जिससे सभी लोग पार्क में अपना समय व्यतीत कर सकेंगे।
-प्रिंस कुमार
जिला मुख्यालय पर सभी अधिकारियों के कार्यालय के पास गंदगी के ढेर हैं। जिस पर सफाई कर्मचारी ध्यान नहीं दे रहे हैं। जब अधिकारियों के कार्यालय के बाहर गंदगी तो शहर का कैसा हाल होगा।
-सरमन शाक्य
तिकोनिया पार्क महानगर के पार्कों से सुंदर और स्वच्छ बनने के लिए पार्क के आसपास इंटरलॉकिंग बिछाई गई है। पार्क की बदहाली के चलते लोग यहां मॉर्निग वॉक पर भी आना पसंद नहीं करते हैं।
-रवि यादव
बच्चों के मनोरंजन के लिए लाखों रुपये खर्च करने के बाद झूले लगाए गए थे। देखरेख के अभाव में झूले क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। जिससे बच्चों ने आना यहां बंद कर दिया है। प्रशासन को इस ओर ध्यान देना चाहिए।
-रफीक अहमद
लाखों रुपये का बजट तिकोनिया पार्क में प्रकाश व्यवस्था करने के लिए खर्च किया गया। कुछ दिन तो लाइटों की रोशनी दिखाई दी। कुछ समय बीतने के बाद लाइट सहित पोल भी गायब हो चुके हैं।
-डा. सुविन यादव
तिकोनिया पार्क में शिकायत कर्ताओं को बैठने के लिए पार्क में कुर्सियां लगाई है, जिसके लिए अच्छा खासा बजट खर्च किया गया था। कुछ महीनों में कुर्सियों ने जवाब दे दिया है। अधिकांश कुर्सियां टूटी पड़ी हुई हैं।
-इंद्रेश शाक्य
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