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बोले मेरठ : टेक्सटाइल इंडस्ट्री : मेरठ के वस्त्र उत्पादों पर ट्रंप के टैरिफ का ग्रहण

Meerut News - अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा रेसिप्रोकल टैरिफ लागू करने से मेरठ की टैक्सटाइल इंडस्ट्री प्रभावित हुई है। निर्यातकों को करोड़ों के ऑर्डर होल्ड पर जाने के कारण चिंता है। भारत की टैरिफ दर कम...

Newswrap हिन्दुस्तान, मेरठTue, 8 April 2025 07:03 PM
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बोले मेरठ : टेक्सटाइल इंडस्ट्री : मेरठ के वस्त्र उत्पादों पर ट्रंप के टैरिफ का ग्रहण

अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रेसिप्रोकल टैरिफ लागू कर दुनियाभर के देशों में हलचल मचा दी। तमाम उद्योगों से जुड़े निर्यातक परेशान हैं। अमेरिका द्वारा विभिन्न देशों से कपड़ा आयात पर भी टैरिफ लगाए गए हैं। इसका असर मेरठ की टैक्सटाइल इंडस्ट्री पर देखने को मिल रहा है। बीते दो महीनों में मिले ऑर्डर के तहत वस्त्रों की जो खेप निर्यात होनी थी, वह फिलहाल रुक गई है। करोड़ों के ऑर्डर होल्ड पर आ गए। अन्य देशों के मुकाबले भारत की टैरिफ दर कम होने से भारत अपने प्रतिस्पर्धियों की तुलना में अधिक अनुकूल स्थिति में है। टैरिफ खत्म हो या इसमें कमी लाई जाए। भारत और अमेरिका के बीच चल रही द्विपक्षीय वार्ता का सकारात्मक परिणाम आता है तो टैक्सटाइल इंडस्ट्री के लिए भविष्य अच्छा होगा।

मेरठ की टैक्सटाइल इंडस्ट्री की चमक व‍िदेशों तक फैली है। चादर, टॉवल समेत तमाम उत्पाद मेरठ की फैक्ट्रियों में तैयार होते हैं। इंग्लैंड से पॉवरलूम टेक्नोलॉजी भारत आई थी। मेरठ के बुनकरों ने इसे बखूबी अपनाया और निखारा। शहर में तमाम कारखाने हैं। देश और व‍िदेश में सामान न‍िर्यात होता है। कई प्रोसेस से गुजरकर ये उत्पाद तैयार होते हैं। पॉवरलूम-हैंडलूम (वस्त्र उद्योग) इंडस्‍ट्री का करीब 300 करोड़ से अधिक का टर्नओवर है।

यह इंडस्ट्री हजारों लोगों को रोजगार देती है। मेरठ की टैक्सटाइल इंडस्ट्री धागों का वो जादू चलाती है, जिसका असर सात समंदर पार भी दिखाई देता है, लेकिन इन दिनों अमेरिका ने लागू किए रेसिप्रोकल टैरिफ ने मेरठ की टैक्सटाइल इंडस्ट्री को भी हिला दिया।

हालांकि सुकून बात यह है कि अन्य देशों के मुकाबले भारत पर टैरिफ कम है, लेकिन इसके बाद भी इंडस्ट्री का पहिया धीमा हो गया। रेसिप्रोकल टैरिफ लागू होने के बाद करोड़ों के आर्डर होल्ड पर आ गए। तैयार माल फैक्ट्रियों के गोदाम में कैद हो गया। मिले ऑर्डर पर जो माल तैयार कराया जा रहा था, ऑर्डर होल्ड होने के कारण वह काम भी प्रभावित हो गया।

मेरठ के वस्त्र उद्योग के कारोबारियों का कहना है कि अमेरिका से फिलहाल अगली बातचीत होने तक के लिए ऑर्डर होल्ड करा दिया। इससे मेरठ से सीधे और दूसरे माध्यमों से होने वाला निर्यात प्रभावित हो गया। फिलहाल टैरिफ को लेकर संशय के बादल छाए हुए हैं। वस्त्र कारोबारियों का कहना है कि टैरिफ का अमेरिकी उपभोक्ताओं पर भी प्रभाव पड़ेगा। उच्च आयात लागत से कपड़ा और परिधान के लिए खुदरा कीमतें बढ़ जाएंगी। जिससे संभावित रूप से कुल खपत कम हो सकती है। यह मूल्य संवेदनशीलता अमेरिकी बाजार में संकुचन का कारण बन सकती है, जिससे भारतीय निर्यात की मांग प्रभावित हो सकती है।

इसके विपरीत, कुछ अमेरिकी उपभोक्ता अधिक किफायती विकल्पों की ओर रुख कर सकते हैं, जिससे भारतीय निर्यातकों को लाभ होगा यदि वे प्रतिस्पर्धी मूल्य निर्धारण बनाए रख सकते हैं।

कपड़ा उद्योग के सामने से पहले से हैं चुनौतियां

पर्यावरण संबंधी चिंताएं : उद्योग में बड़ी मात्रा में अपशिष्ट और रासायनिक खतरे होते हैं।

कच्चे माल की कमी : आयातित कच्चे माल पर निर्भरता और बढ़ती लागत महत्वपूर्ण जोखिम पैदा करती है।

बुनियादी ढांचे की बाधाएं : अपर्याप्त बुनियादी ढांचे और रसद संबंधी चुनौतियां कुशल उत्पादन और निर्यात में बाधा डालती हैं।

श्रम की कमी : उद्योग श्रम की कमी से जूझ रहा है।

वस्त्र उद्योग : निर्यात पर एक नजर

- मेरठ से विभिन्न देशों को 150 से 200 करोड़ का निर्यात होता है।

- करीब 50 से 80 करोड़ का निर्यात अमेरिका को होता है।

इन वस्त्रों का होता है अमेरिका को निर्यात

मेरठ से डायरेक्ट एवं इनडायरेक्ट अमेरिका को कई तरह के वस्त्रों का निर्यात होता है, जिनमें रेडीमेड गारमेंट्स जैसे टी-शर्ट, शर्ट, आदि, सूती कपड़े और रेशम के उत्पाद शामिल हैं। टी-शर्ट, शर्ट, जींस, जैकेट, सूट और अन्य परिधान निर्यात किए जाते हैं। मेरठ में विभिन्न डिजाइनदार कपड़ा भी तैयार किया जाता है, जिसे निर्यातकों को दिया जाता और कपड़ा भी निर्यात होता है। पारंपरिक हाथ से बुने कपड़े और आधुनिक परिधान शामिल हैं।

मेरठ के कपड़ा उद्योग की खास बातें

- वर्तमान में यहां बेडशीट, खादी, लेडीज शूट, रजाई कवर, गद्दे का कवर, चादर आदि बनाए जाते हैं।

- बड़ी मिलों के लिए हाथ की छपाई, स्क्रीन प्रिंटिंग, वाशिंग, स्ट्रिचिंग आदि कार्य भी किया जाता है।

- कुछ इकाइयां टेरीकाट भी बनाती हैं।

- 1929 में मेरठ में खादी व अन्य कपड़े का कार्य शुरू हुआ था।

- यहां अधिकांश कच्चा माल पानीपत, खेकड़ा, सरधना व लावड़ आदि से मंगाया जाता है।

शून्य के बदले शून्य शुल्क नीति पर सहमति बनी तो होगा बड़ा लाभ

कारोबारी नील कमल रस्तोगी कहते हैं कि भारत की एईपीसी ने पहले ही कपड़ा मंत्रालय से 'शून्य के बदले शून्य' शुल्क नीति लागू करने का आग्रह किया है। तर्क दिया है कि कपड़ा उत्पादों पर आयात शुल्क समाप्त करने से अमेरिका को भारतीय निर्यात के लिए भी ऐसा ही करने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा।

उद्यमियों का कहना

अमेरिका ने अपने देश के उत्पादों की बिक्री बढ़ाने के लिए टैरिफ लागू करने का कदम उठाया। जिस तरह भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय वार्ता चल रही है, यह सफल रही तो देश के वस्त्र उद्योग के लिए अच्छा होगा।

- नीलकमल रस्तोगी, निदेशक, बीआई टैक्सटाइल

भारत इस टैरिफ लाभ की बदौलत अमेरिकी बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए अच्छी स्थिति में है। चल रही व्यापार वार्ता भारत की स्थिति को और मजबूत कर सकती है। बड़ा बदलाव भी हो सकता है।

- सौरभ जैन, निदेशक, नवकार टैक्सटाइल

अमेरिका टैरिफ का सकारात्मक असर यह कि कंबोडिया, वियतनाम के मुकाबले भारत की ट्रैफिक कम है। भारत को लाभ होगा। अमेरिकी ग्राहक सस्ते कपड़ों को प्राथमिकता देगा, निर्यात प्रभावित होगा।

- लविश बंसल, निदेशक, पशुपति टैक्सटाइल प्राइवेट लिमिटेड

अमेरिकी टैरिफ लागू किए जाने का प्रारंभिक असर मेरठ से निर्यात होने वाले वस्त्र उत्पादों पर पड़ेगा, लेकिन संभावना है कि दूसरे देशों के मुकाबले भारत पर कम टैरिफ का असर यह हो कि मेरठ का व्यापार और बढ़ जाए

- अंकुर गोयल, प्रधान, हैंडलूम वस्त्र व्यापारी संघ

अमेरिका के पारस्परिक टैरिफ से कपड़ा क्षेत्र की बड़ी कंपनियों को झटका लगेगा और भारत को व्यापार में बढ़त भी मिल सकती है। यदि व्यापार वार्ता शून्य-शुल्क कपास आयात की ओर ले जाती है तो लाभ बढ़ सकता है।

- नवीन अरोड़ा, प्रधान, हैंडलूम वस्त्र व्यापारी संघ

अगर ये टैरिफ जारी रहते हैं तो अमेरिका के पास परिधानों की सोर्सिंग जारी रखने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा। यूरोपीय संघ को छोड़कर सभी प्रमुख वैश्विक कपड़ा आपूर्तिकर्ताओं की तुलना में भारत सस्ता विकल्प होगा।

- रोहित जैन, कारोबारी

अमेरिकी टैरिफ वैश्विक बाजार के लिए नकारात्मक लग रहा है और अल्पावधि खरीद धीमी हो जाएगी। क्योंकि कंपनियां पुनः बातचीत के माध्यम से टैरिफ राहत की प्रतीक्षा करते हुए अपनी इन्वेंट्री को समाप्त कर रही हैं।

- राहुल जैन, निदेशक, श्री अरिहंत टैक्सटाइल

भारत के पास अब तुलनात्मक टैरिफ लाभ है, जो अमेरिकी परिधान बाजार में प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ा सकता है। भारत अपने कपास आयात शुल्क को शून्य कर दे तो दोनों देशों को लाभ होगा। गेंद अब भारत के पाले में है।

- पंकज बंसल, उद्यमी

अमेरिका में आयात किए जाने वाले सामानों पर टैरिफ लगाने के फैसले से भारत के कपड़ा उद्योग को प्रतिस्पर्धा में बढ़त मिलेगी, क्योंकि वियतनाम, बांग्लादेश और चीन जैसे प्रतिद्वंद्वियों को उच्च शुल्क का सामना करना पड़ेगा।

-गुरदीप सिंह कालरा, महामंत्री, हैंडलूम वस्त्र व्यापारी संघ

भारत पर टैरिफ 27 फीसदी है। तुर्की, ब्राजील पर दस प्रतिशत टैरिफ अमेरिकी खरीदारों के लिए सोर्सिंग गंतव्य के रूप में उभर सकते हैं। इटली, जर्मनी, स्पेन में टैरिफ 20 प्रतिशत होने से भी ग्राहक शिफ्ट हो सकते हैं।

- केके गुप्ता, वरिष्ठ उपाध्यक्ष, हैंडलूम वस्त्र व्यापारी संघ

केंद्र वस्त्र उद्योग के लिए स्थिरता पर एक रूपरेखा तैयार करने की दिशा में काम कर रहा है। वैश्विक स्तर पर विशेष रूप से विकसित देशों में वस्त्र उत्पादन और व्यापार में टिकाऊ पहल को शामिल करने पर ध्यान केंद्रित है।

- विपुल जैन, निदेशक, वीतराग टैक्सटाइल

अमेरिकी सरकार का रेसिप्रोकल टैरिफ बहुत ऊंचे हैं। इससे मुद्रास्फीति और कीमतें बढ़ सकती हैं, जिससे उपभोक्ता मांग कम हो सकती है। स्थिति में कोई बदलाव नहीं हुआ तो भारत को लंबे समय में लाभ होगा।

- विपिन रस्तोगी, निदेशक, वीआईपी टैक्सटाइल

अमेरिका के रेसिप्रोकल टैरिफ का दुनियाभर से वस्त्र कारोबार-निर्यात पर असर पड़ेगा। भारत पर अन्य देशों के मुकाबले टैक्स कम है, इसलिए यहां वस्त्र उद्योग को नुकसान कम, लाभ के आसार हैं।

- अनुज रस्तोगी, उद्यमी

प्रमुख देशों के वस्त्रों पर अमेरिकी सरकार का रेसिप्रोकल टैरिफ

कंबोडिया : 49 प्रतिशत

वियतनाम : 46 प्रतिशत

श्रीलंका : 44 प्रतिशत

बांग्लादेश : 37 प्रतिशत

चीन : 54 प्रतिशत

पाकिस्तान : 29 प्रतिशत

भारत : 27 प्रतिशत

अवसर और चुनौतियां दोनों ही

अमेरिकी टैरिफ लगाने से भारतीय कपड़ा उद्योग के लिए अवसर और चुनौतियां दोनों ही पैदा होती हैं। सकारात्मक पक्ष यह है कि प्रतिस्पर्धी देशों पर उच्च टैरिफ भारत को प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त प्रदान करते हैं, जिससे संभवतः अमेरिका में इसकी बाजार हिस्सेदारी बढ़ सकती है। 2023-24 में लगभग 36 बिलियन डॉलर के कपड़ा निर्यात में से अमेरिका का हिस्सा लगभग 28 फीसदी था, जो लगभग दस बिलियन डॉलर के बराबर था। यह अनुकूल स्थिति भारतीय निर्माताओं के लिए निर्यात मात्रा और राजस्व में वृद्धि कर सकती है।

टैक्सटाइल पार्क बनने से यह होगा

- मेरठ में टेक्सटाइल पार्क बनने पर 50 प्रतिशत से अधिक व्यापार बढ़ जाएगा

- रोजगार के म‍िलेंगे अवसर, रोजगार में भी वृद्धि होगी

- जिन व्यवसायियों के यहां नई पीढ़ी इस व्यवसाय में नहीं आना चाहती, वे भी इसमें रुचि लेंगे

- फिनिशिंग प्लांट लगेगा, संयुक्त मशीनों से होंगे कई काम

- टैक्सटाइल पार्क बनने से एक छत के नीचे अधिकांश इकाइयां आ जाएंगी

- धागों की गुणवत्ता सुधारने के लिए फिनिशिंग प्लांट स्थापित होगा

- टेक्सटाइल पार्क में हैंडलूम, पावरलूम, डाइंग, प्रिंटिंग, प्रोसेस हाउस बनेगा।

- कच्चे माल की उपलब्धता आसानी से हो जाएगी।

- छोटी-छोटी इकाइयां बंद हो रही हैं, वे अब फिर से खुल जाएंगी।

- प्लांट गुणवत्ता वाले कपड़े के लिए धागा महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसलिए धागे के लिए रिलायंस, वर्धमान, अरिहंत, आलोक आदि कंपनियों के भी छोटे प्लांट स्थापित हो सकते हैं।

मेरठ टैक्सटाइल इंडस्ट्री की जरूरत

- टैक्सटाइल्स कलस्टर की घोषणा हुई है, यह जल्द बनना चाहिए

- हैंडलूम की नई इकाइयों के लिए सस्ती जमीन उपलब्ध हो

- एनओसी लेने की प्रक्रिया सिंगल विंडो पर हो और सरल हो

- इंडस्ट्री को पीएनजी के दरों में सब्सिडी दी जाए

समस्याएं

- प्रदूषण विभाग समेत सात विभागों से अनापत्ति प्रमाण पत्र आसानी से नहीं मिल पाना

- रॉ मटीरियल की लगातार बढ़ती कीमतों के चलते बढ़ती उत्पादन लागत

- कपड़ों पर टैक्स पांच फीसदी और धागे पर 12 फीसदी, यह टैक्स दर एक हो

- अनापत्ति प्रमाण पत्र के लिए ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया सरल हो

समाधान

- मेरठ को सरकार हैंडलूम नगरी घोषित करे

- टेक्सटाइल पार्क और निर्यात हाउस बने

- रॉ मटीरियल बैंक बनाएं, सस्ती दरों पर उपलब्धता हो

- टेक्सटाइल इंडस्ट्री के लिए अलग से सस्ती जमीन मिले

- नियमों का पालन करने वाली इकाइयों को बंद न कराया जाए

फिलहाल भले ही प्रभाव पड़े, भविष्य में बेहतरी की उम्मीद ज्यादा

कारोबारी विनीत अग्रवाल शारदा कहते हैं कि कपड़ा आयात पर अमेरिकी टैरिफ लगाना भारतीय कपड़ा उद्योग के लिए दोनों ही तरह की बातें है। बढ़ी हुई लागत से संबंधित चुनौतियां भी पेश करता है। उद्योग के भविष्य का विकास इसके नवाचार करने, टिकाऊ प्रथाओं को अपनाने और मौजूदा चुनौतियों से पार पाने की क्षमता पर निर्भर करेगा। इन जटिलताओं को रणनीतिक रूप से निविगेट कर भारतीय कपड़ा क्षेत्र वैश्विक बाजार में फल-फूल सकता है। भारतीय निर्यात की मांग प्रभावित हो सकती है। इसके विपरीत, कुछ अमेरिकी उपभोक्ता अधिक किफायती विकल्पों की ओर रुख कर सकते हैं, जिससे भारतीय निर्यातकों को लाभ होगा। यदि वे प्रतिस्पर्धी मूल्य निर्धारण बनाए रख सकते हैं। केंद्र जो वस्त्र उद्योग के लिए स्थिरता पर एक रूपरेखा तैयार करने की दिशा में काम कर रहा है, क्योंकि वैश्विक स्तर पर विशेष रूप से विकसित देशों में वस्त्र उत्पादन और व्यापार में टिकाऊ पहल को शामिल करने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। वस्त्र विनिर्माण क्षेत्र सबसे अधिक रोजगार देने वाले क्षेत्र हैं।

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