Women Reservation in Panchayati Raj Challenges and Representation in Moradabad आरक्षण तो मिला पर महिलाओं के पति कर रहे प्रधानी, Moradabad Hindi News - Hindustan
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आरक्षण तो मिला पर महिलाओं के पति कर रहे प्रधानी

Moradabad News - मुरादाबाद जनपद में महिला आरक्षण पदों पर पहुंचने के बावजूद महिलाएं केवल नाम के लिए हैं। अधिकतर महिलाएं अपने पति या परिवार के सदस्यों के द्वारा प्रतिनिधित्व कर रही हैं। हाल ही में हुई जिला पंचायत की...

Newswrap हिन्दुस्तान, मुरादाबादFri, 2 May 2025 06:26 PM
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आरक्षण तो मिला पर महिलाओं के पति कर रहे प्रधानी

1210 राजस्व और 643 ग्राम पंचायत वाले जनपद में महिला आरक्षण पदों पर पहुंचने तक ही सीमित है। जिले की 218 ग्राम पंचायतों की कमान आधी आबादी के हाथ है। तीन ब्लॉक प्रमुख महिलाएं है। अनारक्षित जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर भी आधी आबादी का ही प्रतिनिधित्व है। पंचायतों के अधिकारी और सत्ता के विकेंद्रीकरण के लिए हुए संविधान के 73 वें संशोधन में मिले अधिकार ने महिलाओें को मुख्य पद तक तो पहुंचा दिया, मगर उनमें से अधिकतर अभी भी रबर स्टंप जैसी दिखाई दे रहीं हैं। अधिकतर महिलाओं के पति, बेटे और परिवार के असरदार सदस्य ही प्रधानी कर रहे हैं।

बात ब्लॉक के विकास कार्य की बजट तैयार करने की हो या प्रशासनिक बैठकों में हिस्सा लेने की। क्षेत्र और जिला पंचायत में भी इस तरह के ही हालात हैं। बीते दिनों जिला पंचायत कार्यकारिणी की यहां सर्किट हाउस सभागार में आयोजित बैठक में भी उठी। तब अध्यक्ष डॉ.शेफाली सिंह को सदस्य के बेटे को बैठक से बाहर जाने को कहने की मजबूर होना पड़ा। लेकिन परिणाम भी प्रतीक्षित ही रहा। अन्य सदस्य और सदन के सदस्यों ने सदस्य के बेटे को बैठक से बाहर नहीं जाने दिया। ऐसे में 24 अप्रैल यानी पंचायती राज दिवस के अनुष्ठान का अवसर मौजू है। गुरुवार को एक बार फिर हर स्तर पर त्रिस्तरीय पंचायतों के अधिकार संपन्न होने, उसमें आधी आबादी की हिस्सेदारी और विकास योजनाओं के साकार करने की योजनाओं के नाम की बहस होगी। प्रस्तुत है पंचायतों के मूल अधिकार, विकास कार्यक्रमों में आधी आबादी की दखल और अधिकार संपन्न पंचायतों के मौजूदा स्वरूप की कुछ चर्चा- फैक्ट फाइल: जनपद मुरादाबाद -------------------- ग्राम पंचायत: 643 महिला प्रधान: 218 महिला सामान्य: 172 महिला ओबीसी: 60 मुहिला अनुसूचित: 39 महिला जनजाति: 00 विकास खंड क्षेत्र ------------- कुल ब्लॉक: 08 मुरादाबाद: अनारक्षित मूंढ़ापांडे: अन्य पिछड़ा छजलैट: महिला डिलारी: अनारक्षित ठाकुरद्वारा: पिछड़ी महिला कुंदरकी: अनारक्षित बिलारी: अनारक्षित जिला पंचायत वार्ड: 39 महिला सदस्य: 22 जिला पंचायत के पूर्व अध्यक्ष फिजाउल्ला चौधरी त्रिस्तरीय पंचायतों के मौजूदा स्वरूप को लेकर खुलकर चर्चा करते हैं। कहते हैं कि सरकार के रिकार्ड में महिलाओं को अधिकार मिल गए। साल 1995 से आरक्षण व्यवस्था भी लागू हो गई। मगर, सरकार की मंशा कागजों में ही पूरी हो रही है। सच के धरातल पर यह दावा बहुत सही नहीं हैं। साल 1982 में मानपुर गांव के प्रधान चुने गए चौधरी को 1985 से 88 तक सहकारिता में डायरेक्टर, 1988 से 1995 तक डिलारी के ब्लॉक प्रमुख और 1995 से 2000 तक जिला पंचायत अध्यक्ष के रूप में कार्य का मौका मिला। कहते हैं कि वह दौर अच्छा था। अब तो महिला आरक्षण वाले पद पर परिवार के लोगों की दखल देखी जा रही है। प्रशासनिक अधिकारी ऐसे पंचायत प्रतिनिधियों की बात तक नहीं सुनते। साल 1995 तक आरक्षण लागू नहीं था। तब इन पदों पर इज्जत अधिक थी। अब हर पद पर बाजार का बोलबाला है। भगतपुर टांडा ब्लॉक प्रमुख रहे चौधरी हरज्ञान सिंह कहते हैं कि महिलाओं के आरक्षण को लेकर सरकार की सोच सफल नही हो पाई। पद तो भर जा रहे हैं। लेकिन, इस वर्ग में निर्णय लेने और कार्य की आजादी प्रभावित होने से इंकार नहीं किया जा सकता है। चौधरी हरज्ञान पहली बार 1986 में क्षेत्र के प्रमुख बने। एक-एक टर्म के अंतराल पर 18 साल इस भूमिका में रहे। साल 2007 से 2012 तक इनकी पत्नी भी ब्लॉक प्रमुख रहीं। कहते हैं कि सच तो यह है कि प्रधान से प्रमुख तक महिलाओं का प्रदर्शन कमतर ही दिखता है। आधी आबादी को आरक्षण तो मिलता है मगर उनकी पद-प्रतिष्ठा पति, बेटे और परिवार आनंद ले रहे हैं। पंचायतों की हर बैठकों में इस मुद्दे पर दिखावटी घमासान किसी से छिपा है क्या? विकास खंड डिलारी की ग्राम मिलक अमावती की समाज शास्त्र विषय में परास्नातक और एमएड उपाधिधारी प्रधान गार्गी चौधरी ऐसे प्रतिनिधियों से अलहदा हैं। साल 2020 से गार्गी गांव की प्रधान हैं। इनको तीन मुख्यमंत्री, दो प्रधानमंत्री , राम मनोहर लोहिया और दो राष्ट्रपति पुरस्कार मिले हैं। गांव के 550 घरों में पानी का कनेक्शन, पात्रों को नियमित राशन, मिनी स्वास्थ्य केंद्र, पंचायत घर, आंगनबाड़ी केंद्र और दो पार्क इनकी दृढ़ इच्छा शाक्ति के प्रदर्शन कर रहे हैं। 2015 से 2020 तक गार्गी के देवर सुभाष सिंह भी गांव के प्रधान रहे। इनको भी तीन प्रधानमंत्री, तीन मुख्यमंत्री, एक राम मनोहर लोहिया पुरस्कार मिले। गार्मी कहतीं है कि आरक्षण ने आधी आबादी को मौका दिया है। हम अपनी पंचायत के प्रस्ताव, बैठक, विकास के हर निर्णय में शामिल होते हैं। बताया कि साल 2023 और साल 2024 का लगातार राष्ट्रपति पुरस्कार मुझे मिला है। जिसके तीन करोड़ रुपये मिले। मर्यादा और समर्पण में अंतर होता है। आधी आबादी को पंचायतों में अधिकार मिला है, लेकिन इसके अभी पूरी तरह से सकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहे हैं। मेरा मानना है कि राजनीति में महिलाओं को अधिकार मिला है तो उनमें निर्णय लेने की क्षमता का विकास भी जरूरी है। पंचायत बोर्ड बैठक में महिलाओं की भागीदारी को लेकर हम अलर्ट रहते हैं। पहली बोर्ड में कोई महिला नहीं आई। मैं अकेले बैठक में रही। जबकि, पिछली बैठक में 15 सदस्य आईं। बैठक में प्रतिनिधि भेजने पर मेरी आपत्ति रहती है। अनारक्षित पद पर मुझे मौका मिला है तो काम कर रही हूं। जनपद में औसतन हर साल 50 लाख रुपये का काम वार्ड वार आवंटित होता है। इस साल का बजट 85 करोड़ रुपये व्यय का पास हुआ है। जिसमें अन्य मदों के बाद 25 करोड़ रुपये विकास कार्य के हैं। जल्द ही कार्यों के टेंडर जारी होंगे। यह सच है कि पंचायतों में महिलाओं की भागीदारी वास्तविक कम है। डॉ.शेफाली सिंह, अध्यक्ष जिला पंचायत फोटो...

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