बोले सहारनपुर : पॉपुलर से संवरेगी किसानों की किस्मत
Saharanpur News - सहारनपुर के किसानों ने पारंपरिक फसलों के साथ पॉपुलर की खेती को अपनाया है। किसानों की मांग है कि जिले में प्लाईवुड फैक्ट्रियां लगाई जाएं। इससे उनकी आमदनी बढ़ेगी और उन्हें लकड़ी बेचने के लिए दूर नहीं...
सहारनपुर में बीते कुछ वर्षों में यहां के किसानों ने पारंपरिक फसलों के साथ-साथ पॉपुलर की खेती को भी अपनाया है। सहारनपुर में प्लाईवुड फैक्ट्रियां लगे तो किसानों की आमदनी में इजाफा हो जाएगा। सहारनपुर के अलावा उत्तराखंड के किसान भी पॉपुलर लकड़ी बेचने ट्रैक्टर-ट्रॉलियों के माध्यम से हरियाणा के यमुनानगर में जाते हैं। क्योंकि जनपद में प्लाईवुड फैक्ट्रियां नहीं हैं। किसान वर्ष 2000 से जिले में प्लाईवुड फैक्ट्रियां लगाने की मांग कर रहे हैं। सहारनपुर वर्षों से कृषि प्रधान क्षेत्र के रूप में अपनी पहचान बनाए हुए है। यहां के किसान मेहनती हैं और हर मौसम, हर परिस्थिति में अपनी फसल को उगाने का संकल्प लेकर आगे बढ़ते हैं। बीते कुछ वर्षों में यहां के हजारों किसानों ने पारंपरिक फसलों के साथ-साथ पॉपुलर की खेती को भी अपनाया है। यह पेड़ मात्र चार वर्षों में तैयार होकर लकड़ी के बाजार में अच्छे दामों में बिकता है। सहारनपुर में प्लाईवुड फैक्ट्रियां लगे तो किसानों की आमदनी में इजाफा हो जाएगा। जनपद में करीब तीन लाख से ज्यादा किसान खेती करते हैं। इनमें से 50 हजार से अधिक किसान 10 हजार हेक्टेयर भूमि पर पॉपुलर की खेती करते हैं। सहारनपुर के अलावा उत्तराखंड के किसान भी पॉपुलर लकड़ी बेचने ट्रैक्टर-ट्रॉलियों के माध्यम से हरियाणा के यमुनानगर में जाते हैं। क्योंकि जनपद में प्लाईवुड फैक्ट्रियां नहीं है। वेस्ट यूपी मुरादाबाद में 210, बरेली मंडल में 400 से ज्यादा प्लाईवुड फैक्ट्रियां हैं। इसी तरह जनपद यमुनानगर में 350 ईकाइयां हैं। पॉपुलर का पेड़ चार साल में तैयार हो जाता है, जो यमुनानगर की मंडी में 1400 रुपए प्रति कुंतल के हिसाब से बिकता है। किसान वर्ष 2000 से जिले में प्लाईवुड फैक्ट्रियां लगाने की मांग कर रहे हैं। इसी को लेकर शासन ने भी कवायद शुरू कर दी है। इसके तहत 13 अप्रैल को पेपर मिल रोड स्थित आईआईटी रुड़की कैंपस के सभागार में वर्कशॉप का भी आयोजन किया जा रहा है, जिसमें उद्यमी, निर्यातक और किसान शामिल होंगे। किसान और उद्यमियों को को प्लाईवुड फैक्ट्रियां लगाने के प्रति जागरूक किया जाएगा। इसके साथ ही जिले में प्लाईवुड फैक्ट्रियां लगाने की डीपीआर तैयार होगी। इसके साथ ही फैक्ट्रियां लगाने को सरकार की ओर चल रही योजनाओं की भी जानकारी दी जाएगी।
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पॉपुलर की खेती बनी सहारा, बाजार की दूरी बनी चुनौती
वर्तमान में सहारनपुर में 50,000 से अधिक किसान 10,000 हेक्टेयर भूमि पर पॉपुलर की खेती कर रहे हैं। यह पेड़ औद्योगिक दृष्टि से अत्यंत उपयोगी है। खासकर प्लाईवुड का निर्माण में पॉपुलर से ही होता है। सहारनपुर में आज तक कोई बड़ी प्लाईवुड फैक्ट्रियां नहीं है। परिणामस्वरूप, किसानों को अपनी लकड़ी बेचने हरियाणा के जिला यमुनानगर की मंडी में जाना पड़ता है। ऐसे सहारनपुर के अलावा उत्तराखंड के जनपद हरिद्वार, रुड़की और सहारनपुर मंडल के जनपद मुजफ्फरनगर, शामली सहित वेस्ट यूपी के अनेक जिलों से किसान यमुनानगर जाते है। यह दूरी इनके लिए चुनौती बनी है। ऐसे में न केवल समय और धन की बर्बादी होती है, बल्कि जोखिम से भरा एक लंबा सफर तय करना पड़ता है। कई बार रास्ते में दुर्घटनाएं भी हो चुकी हैं, जिनमें किसानों को जानमाल का नुकसान उठाना पड़ा है।
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शासन ने दिखाई पहल, अब उम्मीद जगी
हाल ही में शासन-प्रशासन द्वारा सहारनपुर को प्लाईवुड हब के रूप में विकसित करने की दिशा में पहल शुरू की गई है। 13 अप्रैल को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय वर्कशॉप का आयोजन प्रस्तावित है, जिसमें उद्यमियों, किसानों और निर्यातकों को आमंत्रित किया है। इस वर्कशॉप का उद्देश्य न केवल निवेश को आकर्षित करना है, बल्कि किसानों और उद्यमियों को सहारनपुर में ही प्लाईवुड फैक्ट्रियां लगाने के लिए प्रेरित करना भी है।
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धरातल पर उतरा प्रयास तो पॉपुलर की खेती नया युग, युवाओं को मिलेगा रोजगार
जिले में फैक्ट्रियों की स्थापना से किसानों को यमुनानगर या अन्य जगहों तक लकड़ी ले जाने की आवश्यकता नहीं रहेगी। सीधे स्थानीय फैक्ट्रियों को पॉपुलर बेचने से परिवहन लागत बचेगी और प्रति कुंतल अधिक मूल्य मिल सकेगा। शासन-प्रशासन का यह प्रयास धरातल पर उतरा तो पॉपुलर की खेती नया युग शुरू हो जाएगा। इसके साथ ही युवाओं को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे। इसके साथ ही सरकार को राजस्व भी प्राप्त होगा। फैक्ट्रियों से मिलने वाला जीएसटी, भूमि उपयोग कर, बिजली-जल शुल्क इत्यादि राज्य सरकार की आमदनी को बढ़ाएंगे, जिससे पुनः किसानों के कल्याण, ग्रामीण विकास और बुनियादी सुविधाओं पर अधिक निवेश संभव होगा। इसका निष्कर्ष है कि सहारनपुर में प्लाईवुड फैक्ट्रियों की स्थापना केवल किसानों की आय बढ़ाने का साधन नहीं है, बल्कि यह जिले की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को पूरी तरह से बदलने की क्षमता रखता है।
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समस्याएं
- जिले में कोई बड़ी फैक्ट्री नहीं, जिससे किसानों को लकड़ी दूसरे जिलों में बेचनी पड़ती है।
- यमुनानगर तक लकड़ी ले जाना महंगा है और अधिक समय लगता है।
- ट्रैक्टर-ट्रॉलियों से ले जाते समय कई बार सड़क हादसे हो चुके हैं।
- बाहर की फैक्ट्रियां किसानों को कम दाम देती हैं।
-किसान सीधे बिक्री नहीं कर पाते, मुनाफा बिचौलियों को जाता है।
-स्थानीय स्तर पर उद्योग न होने से युवाओं को बाहर जाना पड़ता है।
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सुझाव
-सहारनपुर में ही प्लाईवुड इकाईयां लगाई जाएं।
- किसानों को सब्सिडी पर ट्रांसपोर्ट या समूह वाहन मुहैया कराए जाएं।
- राज्य सरकार पॉपुलर की लकड़ी के लिए एमएसपी जैसे मूल्य तय करे।
- फैक्ट्रियों के साथ स्थानीय युवाओं को रोजगार में प्राथमिकता दी जाए।
- सरकार द्वारा स्पष्ट नीतियों और शीघ्र अनुमतियों की व्यवस्था हो।
- किसानों को प्रशिक्षण देने के लिए समय-समय पर कार्यक्रम चलाए जाएं।
- सरकारी सहायता से गोदाम या लकड़ी भंडारण केंद्र बनाए जाएं।
भारतीय किसान यूनियन(तोमर) लंबे समय से जनपर में प्लाईवुड फैक्ट्री खोले जाने की मांग कर रहा है। अगर जनपद में फैक्ट्रियों खुलती है तो किसानों और सरकार दोनों के लिए फायदे का सौदा है। -अशोक त्यागी, जिलाध्यक्ष
अगर सहारनपुर को प्लाइवुड हब बनाया जाए, तो यह न केवल किसानों को फायदा देगा बल्कि पूरे जिले को आर्थिक रूप से मजबूत बना देगा। बहुत से सहायक उद्योग भी साथ में खड़े हो सकते हैं। -श्यामवीर त्यागी,किसान
फैक्ट्री से सरकार को भी टैक्स मिलेगा, किसानों को आमदनी और युवाओं को रोजगार। यह हर तरफ से फायदे का सौदा है, बस इसे लागू करने की जरूरत है। राहुल त्यागी, किसान
अगर सहारनपुर में बड़े निवेशकों को प्लाईवुड उद्योग के लिए आमंत्रित किया जाए, तो ना सिर्फ किसानों को बल्कि पूरे जिले को लाभ होगा। इसके लिए प्रशासन को सक्रिय होना पड़ेगा। -चौ विनय कुमार, किसान
अगर सही प्रशिक्षण मिले और सहारनपुर में प्लाईवुड यूनिट्स लगें तो हम खुद उद्यमी बन सकते हैं। हमें सिर्फ मौका चाहिए, मेहनत करने की कमी नहीं है। अरुण राणा, किसान
हमारे गांव की महिलाएं भी अब खेती के साथ-साथ व्यवसाय में आना चाहती हैं। अगर प्लाईवुड फैक्ट्री खुलती है तो महिलाओं के लिए भी काम के मौके बनेंगे। इससे घर की आमदनी बढ़ेगी। -रुबी त्यागी, किसान
अभी भी बहुत से किसानों को यह नहीं पता कि उनकी लकड़ी का असली रेट क्या है। फैक्ट्री पास में होगी तो पारदर्शिता भी आएगी और शोषण भी रुकेगा। -अनुज शर्मा, किसान
सरकारें वर्षों से वादा करती रहीं, लेकिन फैक्ट्री अब तक नहीं लगी है। अब कुछ उम्मीद जगी है। सरकार को युद्धस्तर पर काम करना चाहिए, जिससे किसानों का भला हो और आर्थिक स्थिति बेहतर हो। नरेश, किसान
पॉपुलर की खेती करना तो आसान है, लेकिन बेचने जाना बहुत कठिन होता है। यमुनानगर तक ले जाना पड़ता है और ट्रांसपोर्ट का खर्च बढ़ जाता है। अगर सहारनपुर में फैक्ट्री खुल जाए तो किसानों को राहत मिलेगी और कमाई भी ज्यादा होगी। -सतबीर चौधरी, किसान
हमारे गांव के कई लोग पॉपुलर बेचने यमुनानगर जाते हैं। बिचौलियों को फायदा मिलता है, किसान को नहीं। सरकार अगर फैक्ट्री लगाए तो हमें सीधे बिक्री करने का मौका मिलेगा और बिचौलियों से छुटकारा मिलेगा। -अजीत चौधरी, किसान
लकड़ी तैयार है, लेकिन फैक्ट्री दूर है। कई बार तो ट्रक नहीं मिलते और समय पर माल नहीं बिकता। स्थानीय स्तर पर फैक्ट्री बनेगी तो यह समस्या खुद ही खत्म हो जाएगी। -राहुल त्यागी, जिलाध्यक्ष, अभप्रसं
पॉपुलर का फायदा है तो नुकसान भी है। इससे जमीन की उपजाऊ शक्ति कम हो रही है। पॉपुलर की खेती का समर्थन नहीं करता हूं। छोटे लालच में बड़ा नुकसान कर रहे हैं। सुखविंदर चौधरी, किसान
हमारी जमीन ज्यादा उपजाऊ नहीं थी, लेकिन पॉपुलर लगाकर हमनें अच्छा मुनाफा कमाया। अब सबसे बड़ी दिक्कत है बिक्री की। फैक्ट्री अगर यहीं खुलती है तो खेती का फायदा दोगुना हो जाएगा। -ऋषिपाल सिंह, किसान
युवा बेरोजगारी से जूझ रहे हैं। अगर फैक्ट्रियां लगेंगी तो हम यहीं काम कर सकेंगे। बाहर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी और हमारे गांव में भी विकास आएगा। -सोनू राणा, किसान
पॉपुलर एक बहुत ही लाभदायक फसल है, लेकिन बाजार की दूरी उसका फायदा कम कर देती है। अगर हमें यहीं पर सही मूल्य मिले तो हम ज्यादा पेड़ लगा सकते हैं और उत्पादन भी बढ़ेगा। रुप सिंह, किसान
पॉपुलर की फसल का करीब 1400 रुपये क्विंटल का भाव है। चार साल में फसल तैयार हो जाती है। दूसरी फसल काटने के लिए लेबर नहीं मिलती है। इसके चलते किसानों का पॉपुलर की ओर रुझान बढ़ रहा है। -सुखबीर सिंह, किसान
सहारनपुर मंडल में प्लाईवुड फैक्ट्रियां खुलने से किसान, उद्यमी और सरकार तीनों को ही फायदा मिलेगा। सहारनपुर का कच्चा माल हरियाणा में सस्ते दामों पर बिक रहा है। यहां फैक्ट्रियों खुलने से रोजगार के अवसर बढ़ेगे आमदनी में भी बढ़ोतरी होगी। -राम जी सुनेजा, वरिष्ठ उद्यमी
आईआईए लंबे समस से सहारपुर मंडल में प्लाईवुड फैक्ट्रियों की मांग कर रहा है। यमुनानगर में 400 के करीब प्लाईवुड फैक्ट्रियां हैं। एक फैक्ट्री से करीब 200 लोगों को रोजगार मिलता है। सहारनुपर मंडल में फैक्ट्रियां खुलने से रोजगार, राजस्व में कई गुणा बढ़ोतरी होगी। -अनुप खन्ना, अध्यक्ष आईआईए
किसानों, उद्यमियों और निर्यातकों के साथ वर्कशॉप का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें प्लाईवुड ईकाइयां लगाने के प्रति जागरूक किया जाएगा। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कार्यक्रम होगा, जिसमें सभी को सरकार की योजनाओं की जानकारी दी जाएगी। इसके साथ ही ईकाइयां स्थापित करने से होने वाले फायदों के बारे में बताया जाएगा।--वीके कौशल, उपायुक्त, उद्योग
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