पहले ही प्रयास में प्रत्यक्ष ने यूपीएससी की परीक्षा में पाई सफलता
Sambhal News - प्रत्यक्ष वार्ष्णेय, जो 25 वर्ष की उम्र में यूपीएससी की परीक्षा में 343 रैंक हासिल कर अधिकारी बने, ने अपने दादा के सपने को साकार किया। उन्होंने अपनी मेहनत और सेल्फ स्टडी के माध्यम से यह सफलता पाई।...

अगर एक बार जिद्द पर अड़ जाएं तो, असंभव को भी संभव कर सकते हैं। ऐसा ही कर दिखाया है नगर के चिकित्सक डॉ. प्रवीन वार्ष्णेय के बेटे प्रत्यक्ष वार्ष्णेय ने। प्रत्यक्ष की माता माधवी वार्ष्णेय गृहणी हैं। उन्होंने बचपन से ही ठान लिया कि वह देश के सबसे कम उम्र वर्ग के अधिकारी बनेंगे। इसके लिए चाहे कितनी भी मेहनत करनी पड़े। प्रत्यक्ष वार्ष्णेय ने 25 साल की उम्र में यूपीएससी की परीक्षा को पहले ही प्रयास में पास करके 343 रैंक हासिल की। लगातार 8 से 10 घंटे की पढ़ाई कर उन्होंने अपने माता पिता व दादा समेत नगर व जिले का नाम अधिकारी बन चमका दिया है। पिता ने बताया कि प्रत्यक्ष वार्ष्णेय की प्राथमिक शिक्षा चंद्रपाल आर्य आदर्श इंग्लिश मीडियम स्कूल से की। इसके बाद सिल्वर स्टोन सीनियर सेकेंडी स्कूल से कक्षा आठ पास किया। आईसीएसई बोर्ड के सेक्रेट हॉर्ट स्कूल चन्दौसी से हाईस्कूल की परीक्षा दी। हाईस्कूल में जिला टॉप किया। दिल्ली से इंटर की परीक्षा पास करने के बाद बेटे ने दिल्ली टेक्निकल यूनिवर्सिटी से कंप्यूटर साइंस में बीटेक किया। इसके साथ-साथ वह प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करता रहा था। पिता ने बताया कि बेटे ने कभी बाहर कोचिंग करने पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया, जितना भी हो सका सेल्फ स्टडी से ही यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी की। उन्हें इस बात का बहुत गर्व है कि उनका बेटा 25 वर्ष की आयु में ही अधिकारी बन गया।
दादा का सपना किया पूरा
प्रत्यक्ष वार्ष्णेय अपने दादा रामबाबू गुप्ता को अपना आदर्श मनाते हैं। दादा बेसिक शिक्षा विभाग में अध्यापक के पद से सेवानिवृत हैं। पिता ने बताया कि दादा का बचपन से ही प्रत्यक्ष को अधिकारी बनाने का सपना था। दादा से प्रेरणा लेकर बेटे ने मेहनत की और सफलता हासिल की। इससे पूरे परिवार समेत नगर में खुशी का माहौल है। बेटी की सफलता पर दूर-दूर से लोग शुभकामनाएं दे रहे हैं।
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