अधूरी परियोजनाओं के पूरा होने में धन की बाधा
Santkabir-nagar News - संतकबीरनगर जिले में कई परियोजनाएं धन की कमी के कारण अटकी हुई हैं। इनमें समय माता मंदिर का जीर्णोद्धार, ड्रग वेयरहाउस और क्रिटिकल केयर ब्लॉक शामिल हैं। इन परियोजनाओं का काम शुरू नहीं हो सका है, जिससे...

संतकबीरनगर, हिन्दुस्तान टीम। संतकबीरनगर जिले में कई परियोजनाएं धन के अभाव में अटकी हैं तो कई परियोजनाओं का काम ही शुरू नहीं हो पाया है। वित्तीय वर्ष 2024-25 भी बीत गया, नया वित्तीय वर्ष भी चालू हो गया है। लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है। कई परियोजनाएं तो जिला मुख्यालय की ही हैं। इसमें समय माता मंदिर पोखरे का जीर्णोद्धार व सुंदरीकरण, ड्रग वेयर हाउस, क्रिटिकल केयर ब्लॉक और बस डिपो शामिल हैं।
ये परियोजना पूर्ण हुई होती तो लोगों को तमाम सुविधाएं मिल सकती थीं। इस वित्तीय वर्ष में इन परियोजनाओं के पूर्ण होने की उम्मीद जताई जा रही है। जिला मुख्यालय पर स्थित प्रसिद्ध समय माता मंदिर श्रद्धालुओं के आस्था का केंद्र है। यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। इसके बगल में प्राचीन पोखरा है। नगर पालिका परिषद व प्रशासन ने इस पोखरे के जीर्णोद्धार व सुंदरीकरण के लिए प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजा था। जिसे स्वीकृति मिलने के बाद करीब साढ़े तीन करोड़ रुपये उपलब्ध कराए गए थे। इससे पोखरे के दो तरफ सीढ़ियों को निर्माण कराया गया है। साथ ही यहां आने वाले लोगों के बैठने के लिए बेंच, बीच में फौव्वारा, एक तरफ दुकानें बनाए जाने की योजना है। इसके लिए बजट की कमी पड़ गई है। वर्तमान में इस परियोजना को पूर्ण करने के लिए तीन करोड़ रुपये की और दरकार है, लेकिन बजट न मिलने के कारण यह परियोजना अधूरी पड़ी हुई है। इस कारण यहां पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने की मंशा पर पानी फिर रहा है। नगर पालिका प्रशासन का दावा है कि बजट के लिए शासन को पत्र भेजा गया है।
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क्रिटिकल केयर ब्लॉक का शुरू नहीं हुआ कार्य
जिला अस्पताल में गंभीर रोगियों के उपचार की सुविधा के लिए शासन ने 27 करोड़ रुपये की स्वीकृति प्रदान की है, लेकिन जिला अस्पताल परिसर में जमीन उपलब्ध न होने से इसका निर्माण कार्य शुरू नहीं हो सका है। जिससे गंभीर रूप से बीमार मरीजों को इलाज के लिए महानगरों का रुख करना पड़ता है। क्रिटिकल केयर ब्लॉक की स्वीकृति शासन ने दिसंबर 2023 में की थी। बताया जा रहा है कि जो जमीन चिह्नित की गई थी, वह कम पड़ गई है। यह तैयार होता तो 35 कमरों में आईसीयू, आइसोलेशन केंद्र के अलावा वेंटिलेटर व ऑक्सीजन आदि की सुविधा उपलब्ध होती और लोगों को इलाज के लिए बाहर नहीं जाना पड़ता।
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