ईद की नमाज के लिए जो जगह दी थी, हमें भी दीजिए; करेंगे हनुमान चालीसा का पाठ; बंगाल में नया बवाल
याचिकाकर्ता ने कोलकाता पुलिस से रेड रोड पर इस आयोजन की अनुमति मांगी थी लेकिन वहां से कोई जवाब नहीं मिला तो थक हारकर अदालत की शरण में उन्हें जाना पड़ा।

पश्चिम बंगाल में इन दिनों बवाल पर बवाल हो रहे हैं। कहीं रामनवमी पर शोभा यात्रा को लेकर बवाल और हंगामा तो कहीं नौकरी गंवाले वाले शिक्षकों का हंगामा और उनके समर्थन में वाम दलों का विरोध-प्रदर्शन हो रहा है। इस बीच, हनुमान जयंती मनाने को लेकर भी एक नया विवाद उपजा है, जो पुलिस से होते हुए कलकत्ता हाई कोर्ट तक जा पहुंचा है। हालांकि, हाई कोर्ट ने राजधानी कोलकाता के रेड रोड पर शनिवार यानी 12 अप्रैल को हनुमान जयंती मनाने और हनुमान चालीसा का पाठ करने की इजाजत देने से मना कर दिया है।
याचिकाकर्ता ने कोलकाता पुलिस से रेड रोड पर इस आयोजन की अनुमति मांगी थी लेकिन वहां से कोई जवाब नहीं मिला तो थक हारकर अदालत की शरण में उन्हें जाना पड़ा। याचिका में करीब 3000 प्रतिभागियों के साथ कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति मांगी गई थी। हालांकि, इसी बीच पुलिस अधिकारियों ने कार्यक्रम की अनुमति दे दी, लेकिन लोगों को होने वाली असुविधा को देखते इसे दूसरे स्थान पर आयोजित करने का निर्देश दिया, जिसे याचिकाकर्ता ने ठुकरा दिया।
जिस जगह पर मांगी जा रही इजाजत, वह सेना की संपत्ति
याचिकाकर्ता ने दलील दी कि 31 मार्च को जब एक समुदाय को उसी स्थान पर ईद की नमाज पढ़ने और कार्यक्रम आयोजित करने की इजाजत दी गई थी,तो फिर उसे क्यों नहीं दी जा सकती। याचिकाकर्ता ने कहा कि 12 अप्रैल भगवान हनुमान की जयंती है, इसलिए यह कार्यक्रम आयोजित करने के लिए एक अहम दिन है और उसे वही जगह चाहिए। याचिकाकर्ता ने अदालत में यह भी कहा कि उसी सड़क पर पुलिस की आपत्ति के बिना वार्षिक दुर्गा पूजा मेला आयोजित करने की भी अनुमति दी जाती रही है और आगे भी दी जाएगी, तो हमें क्यों मना किया जा रहा। यह भी कहा गया कि जिस रोड पर कार्यक्रम आयोजित किया जाना है, वह सेना की संपत्ति है और पहले भी वहां कई कार्यक्रमों की अनुमति दी गई थी।
कार्यक्रम सुबह 5 बजे से 11 बजे के बीच होना था
लाइव लॉ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, याचिकाकर्ता की तरफ से यह भी कहा गया कि वहां कार्यक्रम सुबह 5 बजे से 11 बजे के बीच आयोजित किया जाना है। इसलिए लोगों को असुविधा नहीं होगी। इसके अलावा कानून-व्यवस्था की देखरेख के लिए पुलिस की तैनाती रहेगी ही। राज्य सरकार ने याचिकाकर्ता की इन दलीलों का विरोध किया और तर्क दिया कि पहली बार इस तरह के कार्यक्रम को आयोजित करने और किसी खास स्थान पर ही उसके आयोजन के पीछे की वजह और उसके पीछे का विशेष महत्व नहीं बताया गया है।
राज्य ने यह भी कहा कि जब तक उस स्थान का धर्म में कोई आवश्यक महत्व न हो, तब तक किसी भी व्यक्ति को अधिकार के तौर पर सार्वजनिक स्थल पर इस तरह का दावा करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। बाद में दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद जस्टिस तीर्थांकर घोष ने 12 अप्रैल को रेड रोड पर कार्यक्रम आयोजित करने के लिए याचिकाकर्ता के अंतरिम प्रार्थना को अस्वीकार कर दिया। कोर्ट ने यह भी कहा कि किसी सार्वजनिक स्थान पर पहली बार कोई धार्मिक कार्यक्रम आयोजित करने के अधिकार की स्थापना के लिए दोनों पक्ष हलफनामा दायर करें।
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