पहलगाम हमले में मारे गए शुभम की सास ने सुनाया आंखों देखा हाल, 4 आतंकी चला रहे थे गोली
तीन से चार आतंकी बैसरन घाटी में गोली चला रहे थे, बाकियों ने पूरी घाटी को घेर रखा था। डर के मारे कुछ लोग वॉशरूम में छिपे थे। आतंकियों ने उन्हें भी निकालकर गोली मार दी। एक गोली मेरे पति के बगल से निकल गई। बदहवास बेटी को हम लोग किसी तरह घसीटकर लाए।

पति वॉशरूम गए थे और मैं कुछ दूर बैठी थी। बेटी–दामाद पहलगाम में एक टीले पर मैगी खा रहे थे, अचानक गोली चलने की आवाज आई, इस दौरान बेटी चीखी-मम्मी इन लोगों ने शुभम को मार डाला, देखो क्या हो गया। तीन से चार आतंकी बैसरन घाटी में गोली चला रहे थे, बाकियों ने पूरी घाटी को घेर रखा था। डर के मारे कुछ लोग वॉशरूम में छिपे थे, उनको भी निकालकर गोली मार दी। एक गोली मेरे पति के बगल से निकल गई। बदहवास बेटी को हम लोग किसी तरह घसीटकर लाए। पति की मौत पर बेटी चीख-चीखकर कहती रही कि मां मुझे घाटी में फेंक दो। आतंकियों की वहशियाना हरकत का आंखों देखा हाल बताते हुए शुभम की सास सुनीता पांडेय फफकर रो पड़ीं। उनका कहना है कि एशान्या का दुख देखा नहीं जाता।
आतंकी हमले में मरने वाले हाथीपुर के सीमेंट कारोबारी शुभम द्विवेदी के साथ उनकी पत्नी एशान्या, साली सांभवी, ससुर संजय व सास सुनीता बैसरन घाटी गए थे। सुनीता ने बताया कि हर तरफ लाशें पड़ीं थीं। शुभम के खून से लथपथ बेटी चीख रही थी। लोग बदहवास होकर भाग रहे थे, पत्थरों से टकराकर चुटहिल हो रहे थे। घोड़े–खच्चर लोगों को कुचल रहे थे। भागने के चक्कर में वह खुद दो बार गिर पड़ीं, जिससे उनके पैर, पीठ, हाथ में चोटें आ गईं। घटना के बाद लोग गिरते–पड़ते 20 मिनट में नीचे आ गए थे।
दामाद नहीं, बेटा था मेरा…
वह कहती हैं कि शुभम मेरा दामाद नहीं, बल्कि बेटा था, ऐसा दामाद किसी का नहीं होगा। दो महीने में उसने इतना सुख दे दिया था, क्या पता था कि इस सुख के बदले पूरी जिंदगी रोना पड़ेगा। फफकते हुए उन्होंने बताया कि न जाने हंसते-खेलते परिवार को किसकी नजर लग गई। दोनों अपनी जिंदगी में इतने खुश थे, जिसका कोई ठिकाना नहीं था। भगवान ने सारी खुशियां छीन लीं। दामाद हर दूसरे–तीसरे दिन घर आता था। मुझसे खाने की फरमाइशें करता था लेकिन ऊपर वाले को यह सब रास नहीं आया और मेरी बेटी का घर बर्बाद हो गया। उन्होंने कहा कि शादी के बाद कथा की रस्म होनी थी, जो नहीं हो पाई।
कोई मदद को आगे नहीं आया…
सुनीता ने बताया कि नीचे आकर जम्मू–कश्मीर के तीन–चार पुलिसकर्मी मिले, जिनसे मदद मांगी लेकिन उन्होंने कोई मदद नहीं की। उन्होंने कहा कि खच्चर–घोड़े वाले आतंकियों से मिले हुए थे। उन्होंने कहा कि बेटी के ससुर संजय द्विवेदी ने खच्चर वालों से ऊपर जाने के लिए मना किया तो खच्चर वाले नीचे नहीं जाने दे रहे थे, कह रहे थे कि हमें बताना पड़ेगा कि क्यों ऊपर नहीं आए। तब भी हम लोगों का दिमाग काम नहीं किया। उन्होंने कहा कि होटलों से सैलानियों की रेकी की गई।