राम मंदिर में ध्वज दंड की व्यवस्था के लिए टीम आई अयोध्या, युद्धस्तर पर काम जारी
- अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की प्रक्रिया अंतिम दौर में पहुंच रही हैं। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र इस अप्रैल माह में राम मंदिर पर लगे क्रेन टावर को हटा देने की योजना बनाई है।

अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की प्रक्रिया अंतिम दौर में पहुंच रही हैं। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र इस अप्रैल माह में राम मंदिर पर लगे क्रेन टावर को हटा देने की योजना बनाई है। इसके पहले मंदिर से सम्बन्धित कामों को पूरा करने के लिए युद्धस्तर पर काम जारी है। इसी कड़ी में राम मंदिर के शिखर का काम कलश स्थापना तक 20 अप्रैल को पूरा कर लिया जाएगा। यही कारण है कि ध्वज दंड स्थापना के लिए अहमदाबाद गुजरात से कारीगरों की टीम अयोध्या आ गयी है। उधर भवन-निर्माण समिति की तीन दिवसीय बैठक भी यहां रविवार से शुरू होगी।
समिति चेयरमैन नृपेन्द्र मिश्र शनिवार को अयोध्या आ गये है। यहां पहुंच कर उन्होंने सबसे हनुमानगढ़ी व रामलला का दर्शन किया। मिली जानकारी के अनुसार बैठक के दौरान वैसाख कृष्ण तृतीया के पर्व पर 14 अप्रैल को ध्वज दंड पूजन की भी तैयारी है। फिलहाल टीम फाइनल टच में लगी है।
20 तक शिखर निर्माण पूरा हो जाने की उम्मीद
मंदिर निर्माण के प्रभारी गोपाल राव का कहना है कि राम मंदिर के शिखर में आमलक निर्माण के साथ कलश की स्थापना ही शेष है। उन्होंने बताया कि 20 अप्रैल तक यह निर्माण पूरा हो जाने की उम्मीद है। उधर तीर्थ क्षेत्र महासचिव चंपतराय ने बताया कि सभी कलशों की ही तरह ध्वज दंड का सामूहिक पूजन किया जाएगा। इसके बाद ध्वज दंड अलग-अलग मंदिरों में स्थापित कर दिया जाएगा।
तुलसीदास के दर्शन के साथ जानेंगे राम मंदिर का इतिहास
अयोध्या श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ युवाओं को राम मंदिर के प्राचीन व आधुनिक इतिहास से परिचित कराने के लिए देशज भाषाओं में इतिहास लेखन करा रहा है। फिलहाल इतिहास का लेखन अंग्रेजी भाषा में हो चुका है। तीर्थ क्षेत्र ने पहले इस इतिहास को पत्थर पर उत्कीर्ण कराकर विशिष्ट दर्शनार्थियों के प्रवेश के रास्ते में सीढ़ियों के उत्तरी दीवार पर लगाया था। यह राम मंदिर के लोअर प्लिंथ का भाग है लेकिन यहां रुकने की व्यवस्था नहीं होने के कारण प्रायः लोग बिना देखे आगे निकल जा रहे थे। इसके कारण अब इतिहास का अंकन पीतल की आदमकद प्लेटों पर कराया गया है और इन प्लेटों को पीएफसी की दीवारों पर लगाया गया है।
यह वह स्थान है जिसके मध्य में गोस्वामी तुलसीदास महाराज की प्रतिमा मंदिर बनाकर की गयी है। इसी के दक्षिण की पूरी दीवार पर इतिहास अंकित है। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के आमंत्रित सदस्य गोपाल राव बताते हैं कि देश के अधिकांश युवा मंदिर आंदोलन से अपरिचित हैं। उन्हें इतिहास से परिचित कराना जरूरी है अन्यथा वह राजनीतिक प्रोपोगंडा का शिकार होकर गुमराह होते रहेंगे। इसमें बताया गया कि यह वहीं पवित्र स्थान है, जहां भगवान राम का जन्म हुआ।