70 साल पहले पाकिस्तान से आए वाजिद भारत में वीजा पर काट रहे थे जीवन, सरकारी आदेश के बाद बढ़ी मुश्किलें
बंटवारे के कुछ साल बाद परिवार के साथ पाकिस्तान से भारत लौटे वाजिद शाह के ऊपर पाकिस्तानी होने का ठप्पा लग गया। तब से वह बार-बार वीजा का समय बढ़वा रहे हैं और बुढ़ापा आने के बावजूद उनकी जिंदगी लांगटर्म वीजे पर कट रही है।

बंटवारे के कुछ साल बाद परिवार के साथ पाकिस्तान से भारत लौटे वाजिद शाह के ऊपर पाकिस्तानी होने का ठप्पा लग गया। तब से वह बार-बार वीजा का समय बढ़वा रहे हैं और बुढ़ापा आने के बावजूद उनकी जिंदगी लांगटर्म वीजे पर कट रही है। अब बदले हालात के बाद उनकी मुश्किलें बढ़ गयी हैं। यूपी में बरेली के नवाबगंज के सतुईया खुर्द गांव के वाजिद शाह के पिता छोटे शाह अपने परिवार के साथ जनपद पीलीभीत में रहते थे।
देश का बंटवारा होने के बाद छोटे शाह अपनी पत्नी जमीलनबानो के साथ पाकिस्तान चले गए, लेकिन वर्ष 1955 में वह वापस आ गए। उनके साथ एक बेटी कल्लो और बेटा वाजिद शाह भी लौटे लेकिन पाकिस्तानी होने का ठप्पा लेकर। कुछ समय बाद छोटे शाह की मौत हो गयी और उनकी पत्नी जमीलन अपने मायके सतुईया खुर्द गांव में आकर रहने लगी। बचपन में ही उनकी बेटी कल्लो की भी मौत हो गई और फिर कुछ साल बाद मां जमीलन की भी मौत हो गई। मगर वाजिद शाह के ऊपर पाकिस्तानी होने का ऐसा ठप्पा लगा, जो आज तक बरकरार है।
वाजिद का दावा भारत में हुआ जन्म
करीब 70 साल के हो चुके वाजिद शाह ने बताया कि उन्होंने कभी पाकिस्तान नहीं देखा। उनका दावा है कि उनका जन्म भारत में ही हुआ था। वाजिद ने बताया कि उनका आधार कार्ड बना था। मगर कुछ समय पूर्व सरकारी कर्मचारी पता चलते ही आधार लेकर चले गए।
बार-बार बढ़वा रहे हैं वीजा का समय
वाजिद शाह ने बताया कि वह अनपढ़ हैं और मेहनत मजदूरी कर गुजर बसर करते थे। पाकिस्तान का ठप्पा लगा होने के कारण यहां रहने के लिए उनका लांग टर्म वीजा बनने लगा। परिवार का एक भतीजा उन्हें ले जाकर अंगूठा लगवा देता है और समय बढ़ जाता है। उन्होंने तो कभी नागरिकता के लिए भी आवेदन नहीं किया। इसलिए हमेशा वो पाकिस्तान के पासपोर्ट पर वीजा लेकर भारत में रहे। अब सरकारी आदेश है कि वापस जाना होगा।