UP is elated with IMD prediction heavy rains in monsoon preparations to save every drop आईएमडी की भविष्यवाणी से यूपी गदगद, मानसून में झमाझम बारिश, बूंद-बूंद सहेजने की तैयारी, Uttar-pradesh Hindi News - Hindustan
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आईएमडी की भविष्यवाणी से यूपी गदगद, मानसून में झमाझम बारिश, बूंद-बूंद सहेजने की तैयारी

मौसम विभाग ने इस साल मानसूनी मौसम में झमाझमा बारिश की संभावना जताई है। इसे देखते हुुए यूपी सरकार ने अभी से तैयारी शुरू कर दी है। बारिश की एक-एक बूंद को सहेजकर भूजल स्तर को सुधारने पर बड़ा काम होगा।

Yogesh Yadav लखनऊ वार्ताFri, 23 May 2025 04:11 PM
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आईएमडी की भविष्यवाणी से यूपी गदगद, मानसून में झमाझम बारिश, बूंद-बूंद सहेजने की तैयारी

भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने इस साल मानसून औसत से अधिक रहने के आसार जताए हैं। इसे देखते हुये घनी आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में कैच द रेन कार्यक्रम के तहत अमृत वर्षा की बूंद बूंद को सहेज कर भूजल स्तर में सुधार की तैयारी कर ली गयी है। केरल और पश्चिमी बंगाल में हो रही मानसून की सक्रियता से यह भी पूर्वानुमान है कि इस बार यह समय से पहले या समय से आकर पूरे देश को तर करेगा। उल्लेखनीय है कि जुलाई से लेकर सितंबर तक के मानसून के सीजन में कुल बारिश के औसत का 70 से 80 फीसदी प्राप्त होता है।

पंडित दीन दयाल उपाध्याय विश्वविद्ययालय गोरखपुर के पर्यावरण विभाग के अध्यक्ष रहे प्रोफेसर डॉक्टर दिनेश कुमार सिंह के अनुसार, बारिश लिहाज से भारत इंद्र देव से मिलने वाले इस प्रसाद के लिहाज से दुनियां के कई देशों से संपन्न है। यहां चार महीने के दौरान करीब 870 मिलीमीटर बारिश होती है। उत्तर प्रदेश खासकर तराई के एक बड़े इलाके में तो इससे भी अधिक। मसलन अपने देश में पानी की नहीं इसके प्रबंधन की कमी है। हाल ही में सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप पूरी ने भी इस बात को स्वीकार किया।

उनके मुताबिक भारत में जल संकट जल संसाधनों की कमी के नहीं उपलब्ध पानी के कुप्रबंधन के कारण है। डबल इंजन की सरकार (मोदी और योगी) का फोकस इसीलिए बारिश के हर बूंद को सहेजने का है। 2019 अटल भूजल योजना के तहत 'कैच द रेन' का कार्यक्रम इसके लिए ही चलाया गया था।

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फिलहाल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की निजी रुचि के कारण उत्तर प्रदेश जल संरक्षण के मामले में देश के शीर्ष राज्यों में शामिल है। खेत, तालाब, अमृत सरोवर, लुप्त प्राय हो रही नदियों का पुरुद्धार, नदियों के किनारे बहुउद्देशीय तालाब खासकर गंगा नदी के किनारों पर और केन बेतवा लिंक जैसी महत्वाकांक्षी योजनाएं इसका जरिया बन रही हैं।

सरकार ने हाल ही में शहरों में बनने वाले आवासीय इकाइयों के लिए जल संरक्षण अनिवार्य कर दिया है। योगी सरकार शहरी स्थानीय निकायों से यह सुनश्चिति करने के लिए कहती है कि सभी भवन नर्मिाण अनुमतियों में वर्षा जल संचयन संरचनाएं शामिल हों। बता दें कि तृतीय राष्ट्रीय जल पुरस्कार में उत्तर प्रदेश ने देश में पहला स्थान हासिल किया है।

इसी क्रम में खेत तालाब योजना की सफलता को देखते हुए योगी सरकार ने इस योजना के तहत 8500 तालाब के निर्माण का लक्ष्य रखा है। सरकार को उम्मीद है कि इससे अधिकतम समय तक पानी की उपलब्धता के नाते कुल उत्पादन में लगभग 12 फीसद से अधिक की वृद्धि होगी। विशेषकर धान और मक्का के क्षेत्रफल और उपज में। इसी मकसद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर 2023 में अमृत सरोवर योजना शुरू गई थी। योगी सरकार ने इस योजना के तहत हर जिले में 75 तालाबों के निर्माण का लक्ष्य रखा था। फिलहाल इस योजना में उत्तर प्रदेश नंबर एक है।

ग्लोबल वार्मिंग से परेशानी

ग्लोबल वार्मिंग की वजह से मौसम की अप्रत्याशिता बढ़ी है। कम दिन में अधिक बारिश, उसके बाद सूखे का लंबा दौर हाल के कुछ दशकों में आम बात हो गई है। इससे एक साथ बारी बारी से बाढ़ और सूखे दोनों का सामना करना होता है। एक साथ दोनों संकटों के कारण सरकार द्वारा अधिक संसाधन खर्च करने बाद भी फसलों की पैदावार अच्छी न होने से देश की अर्थव्यवस्था प्रभावित होती है।

प्रोफेसर डॉक्टर दिनेश कुमार सिंह के अनुसार, पानी की कमी के कारण जिन आठ देशों के फसल उत्पादन में सर्वाधिक गिरावट (28.8 प्रतिशत) संभव है, उसमें भारत सर्वाधिक है। स्वाभाविक है कि उत्तर प्रदेश इससे सर्वाधिक प्रभावित होगा। बाकी देश जिनके उत्पादन में गिरावट संभव है वे हैं मेक्सिको 25.7, ऑस्ट्रेलिया 15.6 संयुक्त राज्य अमेरिका आठ, रूस 6.2,अर्जेंटीना 2.2,दक्षिण पूर्वी एशियाई देश में 18 प्रतिशत हैं।

बारिश की ये टेंडेंसी भी बदल रही है। उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड में करीब 77 वर्षों के दौरान औसत बारिश में 320 मिलीमीटर की कमी आई है। मसलन सालाना 4.2 मिलीमीटर की कमी। यह पहले के सालाना औसत 1068.4 मिलीमीटर से घटकर 800 से 900 मिलीमीटर तक आ गई है। शायद यही वजह है कि हर संभव तरीके से बुंदेलखंड में जल संरक्षण पर योगी सरकार का सर्वाधिक फोकस भी है।

खेत तालाब योजना की शुरुआत भी यहीं से हुई थी। सिंचाई और जलसंरक्षण की छोटी बड़ी कई परियोजनाओं से बुंदेलखंड को आच्छादित किया जा रहा है। सिंचाई के दौरान अपेक्षाकृत दक्ष विधाओं ड्रिप एवं स्प्रिंकलर के उपयोग के लिए भी यहां के किसानों को लगातार जागरूक किया जा रहा है। केन बेतवा लिंक के पूरा होने पर यह इस लिहाज से मील का पत्थर साबित होगी।

जल संरक्षण मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की निजी रुचि का विषय रहा है। उनका गृह जनपद गोरखपुर तराई के इलाके में आता है। यहां भरपूर बारिश होती है। लिहाजा जल संरक्षण के बारे में विरले ही सोचते हैं। करीब एक दशक या इससे पहले गोरखनाथ मंदिर जिससे जुड़े गोरक्षपीठ के वे पीठाधीश्वर भी हैं वहां मंदिर परिसर में उन्होंने उस समय जल संरक्षण के लिए अत्याधुनिक तकनीक से परिसर में जलजमाव वाली चार जगहों को चन्हिति कर वहां 10 फीट लंबा, 9 फीट चौड़ा और 10 फीट गहरा गढ्डा खुदवाया था। इसमें 10 फीट की गहराई तक बोरिंग कराई गई। गढ्डे के सतह से लेकर ऊपर तक मानक मोटाई में क्रमशः महीन बालू, मोरंग बालू, ईट और पत्थर के टुकड़े भरे गए। टैंक में आने वाला पानी शुद्ध हो इसके लिए पहले इसे एक चैंबर में एकत्र किया गया। चैंबर की जो दीवार मुख्य टैंक की ओर थी उस पर प्लास्टिक की मजबूत जाली लगाई गई। पानी इससे निथरने के बाद 8 इंच मोटी प्लास्टिक की पाइप के जरिए टैंक में जाता है।

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