बदरीनाथ धाम: 3 चाबियों से खुलते हैं कपाट, 20 साल से एक ही परिवार कर रहा सजावट; VIDEO
यह चाबी बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति की होती है। दूसरी चाबी बदरीनाथ मंदिर के हक हकूकधारी बामणी गांव के भंडारी थोक और तीसरी चाबी हक हकूक धारी बामणी गाँव के मेहता थोक के पास होती है।
Chardhma Yatra: उत्तराखंड चारधाम यात्रा का विधिवत शुभारंभ हो चुका है। गंगोत्री-यमुनोत्री, केदारनाथ धाम के बाद 4 मई को बदरीनाथ धाम के कपाट भी दर्शनार्थ खोल दिए गए हैं। बदरीनाथ मंदिर के कपाट खोलने पर गेट पर लगे ताले को तीन चाबियों से खोला जाता है।
बदरीनाथ मंदिर के कपाट खोलने पर द्वार पर लगे ताले को तीन चाबियों से खोला जाता है। एक चाबी से ताला टिहरी राजपरिवार का प्रतिनिधि खोलता है। यह चाबी बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति की होती है।
दूसरी चाबी बदरीनाथ मंदिर के हक हकूकधारी बामणी गांव के भंडारी थोक और तीसरी चाबी हक हकूक धारी बामणी गाँव के मेहता थोक के पास होती है। यूपी के नोएडा, सहारनपुर, लखनऊ, बरेली, मुरादाबाद, रामपुर, कानपुर, समेत दिल्ली-हरियाणा, झारखंड, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान सहित देश के अन्य राज्यों से भारी संख्या में तीर्थ यात्री मौजूद रहे।
20 साल से एक ही परिवार करता है फूलों से सजावट
बदरीनाथ के कपाट खुलने से पहले धाम को 25 क्विंटल फूलों से सजाया गया था। इसी के साथ ही आकर्षक लाइटें भी लगाई गईं थीं। आपको जानकार यह आश्चर्य होगा कि पिछले 20 सालों से एक ही परिवार धाम की फूलों से सजावट करता है। उत्तराखंड के ऋषिकेश में रहने वाला एक गुमनाम परिवार धाम की फूलों से सजावट करता है।
रावल प्रवेश करते हैं सबसे पहले
बदरीनाथ के कपाट खुलने पर सबसे पहले मंदिर के गर्भ गृह में बदरीनाथ के रावल प्रवेश करते हैं। भगवान को दंडवत प्रणाम कर आज्ञा लेकर कर सबसे पहले वह ऊनी वस्त्र कम्बल जो कपाट बंद होने के समय भगवान को पहनाया गया था।
उसे अनुरोध पूर्वक रावल जी उतारते हैं। भगवान के विग्रह से प्राप्त इस घृत कम्बल के एक एक रेशे को प्रसाद के रूप में प्राप्त करना श्रद्धालु अपना सौभाग्य मानते हैं। बदरीनाथ मंदिर के पूर्व धर्माधिकारी पंडित भुवन उनियाल कहते हैं यह आस्था और मान्यता अनादि काल से चली आ रही है।
देश चारों धामों में से बदरीनाथ धाम की यह खासियत
भारत के चार धामों में एक बदरीनाथ धाम की विशेषता के बारे में बताते हुए बदरीनाथ मंदिर के पूर्व धर्माधिकारी पंडित भुवन उनियाल बताते हैं कि बदरीनाथ धाम चारों युगों में प्रख्यात हैं। इसे सतयुग में मुक्ति प्रदा, त्रेता में योगसिद्धिदा, द्वापर में विशाला और कलियुग में बदरिकाश्रम बदरीनाथ धाम नाम से जाना जाता है।
बदरीनाथ के कपाट खुलते ही यहां मानवों द्वारा भगवान नारायण बदरी विशाल का नित्य अभिषेक, पूजन दर्शन और अर्चना शुरू हो जाती है। बदरीनाथ मंदिर के धर्माधिकारी पंडित राधाकृष्ण थपलियाल बताते हैं कि बदरीनाथ के कपाट बंद होने पर शीतकाल में 6 माह तक देवता भगवान बदरी विशाल के दर्शन पूजन अर्चना करते हैं।
उस अवधि में देवर्षि नारद भगवान के मुख्य पुजारी होते हैं। कपाट खुलने पर मानव भगवान के दर्शन पूजन अर्चना करते हैं। दक्षिण भारत के केरल प्रांत के नम्बूदरी ब्राह्मण रावल मुख्य पुजारी होते हैं।
चारधाम यात्रा के लिए ऑनलाइन या ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन अनिवार्य
उत्तराखंड चारधाम यात्रा पर जाने से पहले सरकार की ओर से श्रद्धालुओं के लिए रजिस्ट्रेशन को अनिवार्य किया गया है। तीर्थ यात्री ऑनलाइन या फिर ऑफलाइन मोड से यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं।
उत्तराखंड के हरिद्वार, विकासनगर सहित यात्रा रूट पर ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन के लिए काउंटर खोले गए हैं। उत्तराखंड चारधाम यात्रा पर जाने से पहले तीर्थ यात्रियों के लिए ऑनलाइन या ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन को अनिवार्य किया गया है।
वेबसाइट registrationandtouristcare.uk.gov.in पर रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं। साथ ही मोबाइल ऐप touristcareuttarakhand पर भी पंजीकरण कराया जा सकेगा।किसी भी समस्या के लिए टोल फ्री नंबर 0135-1364 पर श्रद्धालु 24 घंटे संपर्क कर सकते हैं। इसके साथ ही टेलीफोन नंबर 01352559898 और 01352552627 पर भी संपर्क कर सकेंगे।
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