Badrinath Temple Gates Open on May 4 Traditional Rituals and Devotional Events गरुड़ और आदि शंकराचार्य की डोली बदरीनाथ के लिए निकली, Chamoli Hindi News - Hindustan
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गरुड़ और आदि शंकराचार्य की डोली बदरीनाथ के लिए निकली

बद्रीनाथ धाम के कपाट 4 मई को सुबह 6 बजे श्रद्धालुओं के लिए खुलेंगे। इससे पहले, भगवान बदरीनाथ का वाहन गरुड़ और आदि शंकराचार्य की डोली जोशीमठ से रवाना हुई। वैदिक पूजाओं के बाद, भक्तों ने डोलियों का...

Newswrap हिन्दुस्तान, चमोलीFri, 2 May 2025 05:42 PM
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गरुड़ और आदि शंकराचार्य की डोली बदरीनाथ के लिए निकली

श्री बदरीनाथ धाम के कपाट रविवार 4 मई को प्रातः 6 बजे श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खुल रहे हैं। सनातनी परंपरानुसार बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने से पहले शुक्रवार को प्रातः दस बजे भगवान बदरीनाथ का वाहन गरुड़, आदि शंकराचार्य की पवित्र गद्दी और भगवान का तेल कलश गाडू घड़ा बदरीनाथ के प्रधान पुजारी रावल अमरनाथ नंबूदरी की अगुवाई में जोशीमठ नृसिंह बदरी मंदिर से बदरीनाथ धाम के लिए रवाना हो गए हैं। रात्रि पांडुकेश्वर गांव में निवास करने के बाद शनिवार प्रातः यह देव डोली दल बदरीनाथ धाम पहुंचेगा। शनिवार प्रातः साढ़े नौ बजे से नृसिंह बदरी मंदिर में बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने से पहले होने वाली वैदिक पूजाएं और देव दर्शन के कार्यक्रम शुरू हुए।

बीकेटीसी की अगुवाई में जोशीमठ के हक हकूकधारियों की देव पुजाई समिति के प्रतिनिधियों ने रावल और धर्माधिकारी राधाकृष्ण थपलियाल की अगुवाई में गणेश पूजन, पालकी दर्शन, नृसिंह दर्शन, नवदुर्गा दर्शन किया, जिसके बाद महालक्ष्मी पूजन किया गया व बदरीनाथ यात्रा के लिए देव डोलियों की रवानगी की अनुमति मांगी गई। समस्त वैदिक पूजाएं संपादित होने के उपरान्त गरुड़ जी की पालकी और आदि शंकराचार्य की डोली को मठांगन में भक्तों के दर्शनार्थ रखा गया। महिलाओं ने मांगल गीत गाकर एवं पुष्पवर्षा कर डोली का मठांगन में स्वागत किया। मठांगन में देव डोलियों के दर्शनार्थ पहुंचने पर भक्तों ने देव डोलियों की परिक्रमा कर मनौतियां मांगी। जिसके बाद सेना के बैंडों की मधुर स्वर लहरियों के बीच गरुड़ की पालकी और आराध्य शंकराचार्य गद्दी को जोशीमठ मठांगन से रवाना किया गया। लोगों ने तेल कलश गाडू घड़े के भी दर्शन किए। पांडुकेश्वर पहुंचने से पहले रावल अमरनाथ नंबूदरी ने प्रथम प्रयाग विष्णुप्रयाग में भगवान विष्णु की पूजा की और भगवान बदरीनाथ की सुखद यात्रा की मनौतियां मांगी। जिसके बाद देव डोलियां व गाडू घड़ा रात्री विश्राम पड़ाव पांडुकेश्वर के लिए निकले।

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