बोले हल्द्वानी: बारबर मांगें, सामाजिक सुरक्षा और योजनाओं का लाभ
हल्द्वानी में 800 से ज्यादा बारबर आर्थिक समस्याओं का सामना कर रहे हैं। उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ और पंजीकरण की आवश्यकता है। सैलून संचालक सस्ते लोन की मांग कर रहे हैं और चाहते हैं कि सभी बारबर एकजुट...
हल्द्वानी। बारबर हमारी संस्कृति और संस्कारों के अभिन्न अंग हैं। जन्म से लेकर मृत्यु तक इनके बिना हर संस्कार अधूरा है। वहीं हेयर कटिंग और शेविंग के लिए सैलून हर किसी की जरूरत है। इसीलिए हर मोहल्ले में हेयर कटिंग सैलून दिखते हैं। कहीं, लग्जरी सैलून हैं तो कहीं सड़क किनारे कुर्सी लगाकर कटिंग करते बारबर दिख जाते हैं। रोजमर्रा की जिंदगी में इनकी जितनी जरूरत है, उस हिसाब से इन्हें सम्मान और सुविधा नहीं मिल रही। कुल मिलाकर इनकी जिंदगी में तमाम दुश्वारियां हैं। ये सामाजिक के साथ ही सरकारी सुरक्षा भी चाहते हैं। इनकी मांग है कि काम को देखते हुए इन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ तो मिले ही, नगर निगम में इनका पंजीकरण भी हो। सैलून संचालकों की मांग है कि सरकारी योजनाओं के तहत उन्हें सस्ते लोन की सुविधा भी उपलब्ध करवाई जाए।
हल्द्वानी शहर में 800 से ज्यादा बारबर हेयर कटिंग का काम करते हैं। इनका दर्द है कि आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने से इस धंधे में सभी समाज के लोग काम कर रहे है। वे चाहते हैं सभी बारबर मिलजुलकर काम करें। वे चाहते हैं कि उनका पंजीकरण हो और कार्ड जारी कर उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ दिया जाए। साथ ही उन्हें कम ब्याज दर पर विभिन्न बैंकों से लोन दिलाया जाए। दरअसल, हेयर कटिंग सैलून को लेकर कारोबार में काफी बदलाव आया है। कई बड़े ब्रांड के सैलून शहर में खुल गए हैं। जहां लोग सुंदर दिखने के नाम पर भारी भरकम रकम खर्च भी कर रहे हैं। लेकिन इनमें काम करने वाले ज्यादातर लोगों की आर्थिक स्थिति बेहद खराब है। नसीम अहमद सलमानी का कहना है कि लोग लग्जरी सैलून में 1000 रुपये तक खर्च कर रहे हैं। लेकिन हम जैसे छोटे सैलून वालों को 50 रुपये देने में भी ना-नूकुर करते हैं, जबकि मेटेरियल की महंगाई के चलते लागत बढ़ गई है। ग्राहकों के छिटकने के भय से पिछले कई साल से मजदूरी में मामूली बढ़ोतरी ही हो सकी है। आसिफ सलमानी का कहना है कि हम लोगों की हेयर कटिंग, फेस मसाज आदि करके उन्हें सुंदर बनाते हैं। इसके बाद भी हमें समाज से सम्मान नहीं मिलता है। सरकार की योजनाओं में भी हमारे लिए अलग से कुछ खास नहीं है। इस काम से जुड़े सलमानी बिरादरी के लोगों का कहना है कि उनके समाज को आर्थिक, सामाजिक और पेशेवर चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। काम के घंटे काफी ज्यादा होते हैं। ग्राहकों की बदलती उम्मीदें और लगातार दबाव में काम करने के बावजूद, उन्हें उनके काम की सही सराहना नहीं मिलती। इसके साथ ही, बढ़ती महंगाई और सामाजिक संरचनाओं में हो रहे बदलाव भी उनकी कठिनाइयों को और बढ़ा रहे हैं।
प्रशिक्षण की सुविधा दिलाई जाए: सैलून संचालकों का कहना है कि आज के समय में बड़े ब्रांड से मुकाबला करने के लिए हमें भी सरकार की ओर से प्रशिक्षण दिया जाए। प्रशिक्षण बेहतर प्रशिक्षित लोगों द्वारा दिलाया जाए। बाजार के हिसाब से हम अपने व्यवसाय को कैसे अपडेट करें, इसकी पूरी जानकारी कैंप लगाकर दी जाए। आपात या आपदा की स्थिति में हमें भी आवश्यक आवश्यकताओं में शामिल किया जाए।
मेहनत के हिसाब से नहीं मिलता मेहनताना: सैलून संचालकों का कहना है कि उन्हें मेहनत के हिसाब से मेहनताना नहीं मिल रहा है। सामान्य तौर पर बाल कटिंग 50 से 60 रुपये और शेविंग 30 से 50 रुपये में होती है। कुछ चुनिंदा बड़े सैलून को छोड़ दें तो आम सैलून में सेविंग और हेयर कटिंग की दरें 5 साल से नहीं बढ़ी हैं। मंगलवार को साप्ताहिक बंदी होती है। इसके अलावा गुरुवार और शनिवार को हेयर कटिंग कराने वाले कम होते हैं। वहीं कई ऐसे भी लोग होते हैं, जो नामी सैलून में तो सैकड़ों रुपये दे देते हैं लेकिन हम वाजिब दाम भी मांगें तो काफी हुज्जत करते हैं। ऐसे में पूरे महीने परिवार चलाना मुश्किल होता है।
उद्योग विभाग के माध्यम से मिले आर्थिक मदद: सलमानी बिरादरी का कहना है कि अक्सर जब वे बैंकों में लोन लेने जाते हैं तो उन्हें मना कर दिया जाता है। कुछ बैंक यदि दे भी देते हैं तो ब्याज काफी ज्यादा लिया जाता है। इससे हमें काफी परेशानी होती है। ऐसे में यदि जिला उद्योग विभाग के माध्यम से हमें कम ब्याज और आसान किस्तों पर लोन की सुविधा मिल जाए तो बेहतर होगा। साथ ही प्रशासन की ओर से शहर के हर चौराहे, बस अड्डे, रेलवे स्टेशनों आदि के पास सैलून की जगह मुहैया कराई जाए।
सरकारी नौकरी में मिले आरक्षण: सलमानी बिरादरी ने सरकारी नौकरियों में आरक्षण देने की मांग करते हुए कहा है कि उनके समाज के युवाओं को भी समान अवसर मिलना चाहिए ताकि वे दूसरों की दुकानों पर काम करने को मजबूर न हों। आज भी बड़ी संख्या में युवा सिर्फ दुकानदारी या मजदूरी तक ही सीमित रह गए हैं, जबकि उनमें भी प्रतिभा और आगे बढ़ने की इच्छा है। समाज के प्रतिनिधियों ने कहा कि सरकार को चाहिए कि उन्हें ओबीसी अन्य आरक्षित वर्ग में स्पष्ट रूप से शामिल कर सरकारी नौकरियों में आरक्षण का लाभ दिया जाए। साथ ही विभिन्न विभागों में उनके लिए विशेष वैकेंसी निकालकर रोजगार का रास्ता खोला जाए।
सभी लोगों का हो सत्यापन: सलमानी बिरादरी ने कहा कि सभी समाज के लोग हेयर कटिंग का कारोबार कर रहे हैं। शहर में केवल दस प्रतिशत ऐसे संचालक है जिनका स्त्यापन हुआ है। ऐसे में सभी काम करने वालों को अपना सत्यापन करवाना चाहिए। नगर निगम को इसकी चेकिंग भी करनी चाहिए कि सभी ने सत्यापन करवाया है या नहीं।
बताया कि बिना सत्यापन के काम करने और कई लोगों के मनमाने दाम लेने से अक्सर विवाद होता है, इसका पूरा असर उनके रोजगार पर पड़ता है। सलमानी बिरादरी ने प्रशासन से मांग की है कि नाई पेशे से जुड़े व्यवसायों में कार्य कर रहे सभी लोगों का सत्यापन अनिवार्य किया जाए। लंबे समय से यह व्यवसाय समाज के लोगों की रोजी-रोटी का मुख्य साधन रहा है, लेकिन अब बिना पंजीकरण और पहचान के इस क्षेत्र में आ रहे लोगों की वजह से विश्वास और व्यवस्था दोनों प्रभावित हो रहे हैं।
सलमानी बिरादरी के बर्तन आदि जोड़ने के लिए हो डोनेशन: हल्द्वानी। सलमानी बिरादरी ने सामाजिक एकता और सामूहिक आयोजनों को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए बर्तन, टेंट और अन्य उपयोगी सामग्री जोड़ने की मुहिम शुरू की है। इसके लिए समाज के संपन्न लोगों और शुभचिंतकों से डोनेशन (दान) की अपील की गई है। इस पहल का मुख्य लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि समाज के सदस्यों को आयोजन के दौरान होने वाली असुविधाओं से मुक्ति मिल सके। समाज के प्रतिनिधियों ने इस विषय पर विस्तार से चर्चा करते हुए बताया कि वर्तमान में, जब भी कोई सामाजिक कार्यक्रम आयोजित किया जाता है, तो हर बार बर्तन, टेंट और अन्य जरूरी सामानों की व्यवस्था अलग-अलग करनी पड़ती है। इस प्रक्रिया में न केवल अत्यधिक समय लगता है, बल्कि आर्थिक रूप से भी यह काफी महंगा साबित होता है। प्रतिनिधियों का मानना है कि यदि बिरादरी के पास अपनी स्थायी संपत्ति के रूप में यह सभी आवश्यक सामग्री उपलब्ध हो, तो समाज के सभी सदस्यों को समय पर और आसानी से सुविधा मिल सकेगी।
मंगलवार को दुकान खोलने पर की जाए कार्रवाई: सलमानी बिरादरी ने मंगलवार को दुकानें खोलने वाले कुछ कारोबारियों के खिलाफ नाराजगी जाहिर की है। बिरादरी का कहना है कि मंगलवार पारंपरिक रूप से उनका साप्ताहिक अवकाश का दिन रहा है, लेकिन कुछ व्यवसायी इस परंपरा का पालन नहीं कर रहे हैं। आरोप लगाया कि शहर में कुछ लोग अधिक पैसा कमाने के लालच में मंगलवार को भी अपनी दुकानें खोल रहे हैं। उनका मानना है कि व्यवसाय में एकरूपता बनाए रखने के लिए सभी संबंधित कारोबारियों को सामूहिक रूप से एक ही दिन साप्ताहिक अवकाश लेना चाहिए, जो कि पारंपरिक रूप से मंगलवार निर्धारित है। उन्होंने कहा कि यह केवल आर्थिक प्रतिस्पर्धा का मामला नहीं है, बल्कि अपनी सांस्कृतिक और पारंपरिक मूल्यों की रक्षा का भी प्रश्न है। इस मुद्दे को लेकर सलमानी बिरादरी ने प्रशासन से हस्तक्षेप करने और मंगलवार को दुकानें खोलने वाले कारोबारियों के खिलाफ उचित कार्रवाई करने की मांग की है, ताकि पारंपरिक साप्ताहिक अवकाश के नियम का सम्मान सुनिश्चित किया जा सके।
किसी भी समाज में कुछ हो तो, सलमानी बिरादरी का किया जाता है शोषण : सलमानी बिरादरी के सदस्यों ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा है कि किसी भी समाज में यदि कोई गलत गतिविधि होती है, तो उनका शोषण निश्चित है। उन्होंने आरोप लगाया कि ऐसी घटनाओं के बाद उनकी दुकानों को तोड़ दिया जाता है और उन्हें मारपीट कर क्षेत्र से भगा दिया जाता है। इस संदर्भ में, बिरादरी के सदस्यों ने प्रशासन से सुरक्षा प्रदान करने की अपील की है। समाज के लोगों का कहना है कि उनका समुदाय अक्सर ऐसी घटनाओं का आसान शिकार बन जाता है, जबकि उनका उन गलत गतिविधियों से कोई संबंध नहीं होता है। उन्होंने बताया कि बिना किसी जांच या सबूत के, उन्हें सामूहिक रूप से दोषी मान लिया जाता है और हिंसा का शिकार होना पड़ता है। इससे न केवल उनकी आजीविका प्रभावित होती है, बल्कि उनके जान-माल का भी खतरा बना रहता है। सलमानी बिरादरी के प्रतिनिधियों ने स्थानीय प्रशासन और पुलिस से तत्काल हस्तक्षेप करने और उन्हें सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह किया है। उन्होंने मांग की है कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाए जाएं और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।
सलमानी बिरादरी के पांच मुख्य समस्याएं
1. सरकार की तरफ से प्रशिक्षण नहीं दिया जाता।
2. कार्यकारिणी व बैठक नहीं होने से होती है दिक्कत।
3. कारोबारियों के पंजीकरण नहीं होने से होती है दिक्कत।
4. सभी दुकानों में अलग-अलग रेट लिस्ट होने से भी परेशानी।
5. मंगलवार को साप्ताहिक अवकाश होने के बाद भी कुछ लोग खोलते हैं दुकानें।
सलमानी बिरादरी के पांच मुख्य सुझाव
1. सरकारी योजनाओं का लाभ देने के लिए व्यवस्था की जाए।
2. नई कार्यकारिणी का हो गठन और बिरादरी की हो बैठक।
3. कारोबार कर रहे सभी लोगों का हो सत्यापन।
4. नाई, हजाम और सैलून आदि के तय किए जाएं दाम।
5. मंगलवार को दुकान खोलने वालों पर की जाए कार्रवाई।
इनका दर्द
सरकार हर समाज की तरह अलग से बारबर समाज के लिए भी व्यवस्था बनाए। जिसके तहत हमें भी सभी सुविधाओं का लाभ मिल सके। हमारे बेहतर भविष्य के लिए सरकार कदम उठाए।
नसीम अहमद सलमानी
सलमानी समाज को उपेक्षित नजरों से ना देखा जाएं। हम भी समाज के अभिन्न अंग है। हर विधानसभा क्षेत्र में हमें तव्वजों से देखा जाए। साथ ही हम सभी को सामाजिक सुरक्षा भी प्रदान की जाए।
आसिफ सलमानी
सैलून एसोसिएशन की तरफ से एक रेट लिस्ट तय की जाए और प्रशासन इसे सख्ती से पूरे शहर में लागू करवाए। इससे हर जगह हेयर कटिंग, शेविंग, मसाज आदि के दाम एक समान होंगे।
कादिर अहमद सलमानी
सरकार की ओर से सभी कारोबार के लिए कोई न कोई योजना संचालित की जाती है। हम चाहते हैं कि हमारे लिए भी कोई योजना होनी चाहिए। बैंकों में आसान किस्तों पर लोन की सुविधा होनी चाहिए।
रशीद मियां
हमारा साप्ताहिक अवकाश मंगलवार को होता है। लेकिन कई लोग ऐसे भी हैं जो मंगलवार को सैलून खोल देते हैं। ऐसा करना सरासर गलत है। प्रशासन को इन सभी सैलून का चालान काटना चाहिए।
ताहिर हुसैन
कई बार ऐसा होता है कि किसी भी समाज में कुछ घटना होती है तो हम भी उसमें फंस जाते हैं। आखिर में लाग हमारी दुकानें तोड़ते हैं, हमारे साथ मारपीट करते हैं। हमें सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए।
सफी अहमद
सैलून के व्यापार से हर समाज व हर वर्ग का व्यक्ति जुड़ा हुआ है। ऐसे में सभी लोगों को मिलजुलकर आपसी सौहार्द बनाकर रहना चाहिए। जब हम मिलकर रहेंगे तो हमें कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकेगा।
जाहिद हुसैन
सभी सैलूनों का पंजीकरण होना चाहिए। जो भी नए लोग इस व्यवसाय में आते हैं, उनके साथ ही पुराने सैलून वालों का भी पंजीकरण होना चाहिए। साथ ही स्वरोजगार के लिए सैलून वृत्ति दी जाए।
मोहम्मद सलमानी
हमारी दुकानें शहर के लगभग हर क्षेत्र में होती हैं। ऐसे में कई बार किसी क्षेत्र में कुछ घटना हो जाती है तो लोग सीधे हमें उसका दोषी ठहराते हैं। साथ ही हमारी दुकानें बंद करवा दी जाती हैं।
शाकिर सलमानी
कई बार ऐसा होता है कि सड़क किनारे कुर्सी डालकर काम करने वालों को प्रशासन की तरफ से भगा दिया जाता है। ऐसे में हमारे भाइयों को बाजार में एक-दो दुकान खोलने दी जाएं।
मोहम्मद असलम सलमानी
सरकार को हमारे लिए भी कुछ योजनाएं बनानी चाहिए। जिससे हमारा भविष्य बेहतर हो सके। इस कारोबार में अधिकांश कारोबारी आर्थिक रूप से कमजोर हैं, सरकार को उनके बारे में सोचना चाहिए।
वसीम रज़ा सलमानी
नगर निगम को देखना चाहिए कि सभी कारोबारियों ने पंजीकरण कराया है या नहीं। बिना पंजीकरण वाले सैलूनों को बंद कर दिया जाए। इनकी वजह से काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
तौक़ीर अहमद
मंगलवार के दिन अगर कोई भी सैलून खुले तो निगम को उस पर कार्रवाई करनी चाहिए। जब सालों से साप्ताहिक अवकाश मंगलवार को होता है तो सभी कारोबारियों को उसका पालन करना चाहिए।
मो. शाहिद सलमानी
इस व्यापार से हर समाज के लोग जुड़े हुए हैं। सभी को एकता के साथ रहना चाहिए। अगर आपस में ही भेदभाव होने लगे तो लोग हमारा शोषण करते रहेंगे। सभी को मिल जुलकर रहना चहिए।
इदशाद
हम सब मिलकर काम करना चाहते हैं और हम चाहते हैं कि हमारे काम को पहचान मिले। पंजीकरण और सरकारी सहायता से हमारी आर्थिक स्थिति सुधरेगी आर हमें पहचान भी मिलेगी।
मो. फैजान अब्बासी
हमारी मेहनत को देखते हुए हमें भी सरकारी योजनाओं का लाभ मिलना चाहिए। निगम में पंजीकरण होने से शायद हमें कुछ कानूनी सुरक्षा और पहचान मिल सकेगी। हमारी समस्याओं का समाधान होना चाहिए।
अब्दुल मोइद सलमानी
हमारी यही मांग है कि सरकार हमारी स्थिति को समझे। हम दिनभर ईमानदारी से मेहनत करते हैं, लेकिन कई बार आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता है। सस्ते लोन से हमें बहुत सहारा मिलेगा।
शानू सलमानी
हमारा तो पीढ़ियों से यही काम है। जन्म से लेकर मृत्यु तक हम लोगों की सेवा करते हैं। लेकिन आज भी हमें वह सम्मान नहीं मिलता जिसके हम हकदार हैं। सरकार को हमारी सामाजिक सुरक्षा के बारे में सोचना चाहिए।
मो. राशिद सलमानी
मंगलवार को दुकानें खोलना गलत है। इससे बाकी व्यापारियों का काम भी प्रभावित होता है। प्रशासन को ऐसे लोगों पर कार्रवाई करनी चाहिए। कुछ लोगों की वजह से पूरी बिरादरी की बदनामी होती है।
नईम सलमानी
यह बहुत जरूरी है कि हम सभी सैलून संचालक एकजुट हों। आर्थिक तंगी हम सबकी समस्या है और मिलकर ही हम इसका समाधान निकाल सकते हैं। सरकार को हमारी स्थिति समझनी चाहिए।
मोहम्मद नसीम सलमानी
बोले जिम्मेदार
सभी कर्मचारियों का सत्यापन कराया जाता है। यदि कहीं नहीं हो पाया है तो इसके लिए संबंधित अधिकारियों को कहा जाएगा। सरकारी योजनाओं के लिए जाति सहित अन्य प्रमाण पत्र बनवाने के लिए निश्चित व्यवस्था है। जो लोग उसकी पात्रता में आते हैं वह तहसील से प्रमाण पत्र बनवा सकते हैं।
एपी वाजपेई, सिटी मजिस्ट्रेट, हल्द्वानी।
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