उत्तराखंड के प्राइवेट स्कूलों की मनमानी रोकने को ये सुझाव, फीस, कॉपी-किताबों का मामला भी शामिल
- मुख्यमंत्री के नाम से प्रेषित यह प्रारूप जिलाधिकारी को सौंपा और इसे उत्तराखंड में लागू करने की मांग की।

उत्तराखंड के प्राइवेट स्कूलों की मनमानी रोकने को सुझाव तैयार किया गया है। इसमें फीस, कॉपी, किताबों के रेट आदि को भी शामिल किया गया है। संयुक्त नागरिक संगठन ने विभिन्न सामाजिक संस्थाओं के साथ मिलकर उत्तराखंड स्ववित्त पोषित स्वतंत्र विद्यालय (शुल्क विनयमन) अधिनियम 2025 का प्रारूप तैयार किया है।
मंगलवार को संगठन के प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री के नाम से प्रेषित यह प्रारूप जिलाधिकारी को सौंपा और इसे उत्तराखंड में लागू करने की मांग की। बताया कि प्रारूप तैयार करने के लिए सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों और दूनवासियों की राय को शामिल करते हुए हस्ताक्षर अभियान चलाया था।
संगठन की ओर से निजी स्कूलों की मनमानी की समस्याएं जिलाधिकारी के सामने भी रखी गई। प्रारूप सौंपने वालों में सुशील त्यागी, पदम सिंह थापा, नरेशचंद्र कुलाश्री, जीएस जस्सल, प्रदीप कुकरेती, एलआर कोठियाल, पंकज उनियाल, मुकेश नारायण शर्मा, चौधरी ओमवीर सिंह, बीपी ममगांई, शक्ति प्रसाद डिमरी आदि मौजूद रहे।
यह दिए सुझाव
- उत्तराखंड स्व-वित्तपोषित स्वतंत्र विद्यालय (शुल्क विनियमन) अधिनियम-2025 तत्काल लागू किया जाय।
- राज्य स्तर पर उच्चस्तरीय अधिकारसंपन्न स्वतंत्र ‘स्कूल नियामक आयोग’ बनाया जाए।
- जिलों में जिला मजिस्ट्रेट की अध्यक्षता में अधिकार संपन्न ‘जिला शुल्क नियामक समिति’ बनाई जाए।
- जिला शुल्क नियामक समिति के अनुमोदन के बगैर स्कूल फीस, ड्रेस में कोई बदलाव न करें।
- स्कूल-पब्लिशर्स और रिटेलर्स से संबंधित गतिविधियां को नियंत्रित करने के प्रावधान किए जाएं।
- प्राइवेट स्कूलों में प्रवेश शुल्क में तीन वर्षों में अधिकतम 10% प्रतिशत वृद्धि सुनिश्चित की जाए।
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