बोले रुद्रपुर: जितनी जल्द शिकायत, रिकवरी की उतनी बढ़ेगी संभावना
ऊधमसिंह नगर में साइबर ठगी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। लोग लालच में आकर अपनी जमा पूंजी खो रहे हैं, लेकिन बदनामी के डर से शिकायत करने में हिचकिचा रहे हैं। साइबर क्राइम पुलिस का कहना है कि जल्दी शिकायत...
कई तरह के लालच में आकर लोग अक्सर साइबर ठगी का शिकार हो जाते हैं और अपनी जमा पूंजी लुटा बैठते हैं। इसके बाद ज्यादातर लोग बदनामी के डर व अन्य कारणों से साइबर सेल व पुलिस में शिकायत करने से हिचकिचाते हैं। कई लोग अपने साथ हुई घटना के बारे में अपने परिजनों तक से जिक्र नहीं करते, जबकि ज्यादातर लोग बहुत देर से शिकायत करते हैं। साइबर क्राइम पुलिस के अधिकारियों का कहना है कि जितनी जल्दी साइबर ठगी की शिकायत की जाएगी, उतनी जल्दी रुपये के वापस होने की संभावना बढ़ जाती है। कहा कि जागरूकता व सर्तकता से ही साइबर ठगी से मुकाबला किया जा सकता है।
जिस तरह ऑनलाइन की दुनिया बढ़ रही है, उसी तर्ज पर साइबर अपराध के मामले भी बढ़ रहे हैं। कोरोना काल के बाद ऊधमसिंह नगर में भी साइबर अपराधों की संख्या में काफी तेजी से बढ़ोतरी हुई है। पिछले कुछ वर्षों में आई डिजिटल क्रांति से लोगों के जीवन में बहुत सारे काम आसान हो गए हैं। डिजिटल क्रांति से घर बैठे पढ़ाई, नौकरी, पैसों के लेनदेन से लेकर कई अन्य जरूरी काम बेहद आसान हो रहे हैं। वहीं इसके उलट साइबर क्राइम भी बढ़ा है। ऊधमसिंह नगर में साइबर ठगी की घटनाएं बहुत तेजी के साथ बढ़ रही हैं। लगभग हर दिन जिले में किसी ना किसी व्यक्ति से डिजिटल तरीके से अपराधी ठगी कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि मोबाइल के बिना हमारा जीवन जैसे अधूरा हो गया है। सूचना, कारोबार, मनोरंजन आदि सभी में मोबाइल का इस्तेमाल होने से लोगों को इसकी लत सी लग गई है, लेकिन इसने हमें कुछ मुसीबतों में भी डाल दिया है। मोबाइल के सही उपयोग से ही साइबर क्राइम से बचा सकता है। साइबर क्राइम में ओटीपी, डेटा हैकिंग, इकोनॉमिक फ्रॉड, शेयर ट्रेडिंग कंपनी में मुनाफे, सेक्सटॉर्शन जैसे अपराधों में वृद्धि हो रही है। इसी तरह साइबर ठगी का एक नया तरीका डिजिटल अरेस्ट है, जिसमें अत्यधिक लोग फंस रहे हैं। साइबर क्राइम पुलिस के अधिकारियों का कहना है कि डिजिटल अरेस्ट जैसी कोई चीज नहीं होती है। कहा कि बिना कानूनी नोटिस व उचित प्रक्रिया का पालन किए कोई भी गिरफ्तारी वैध नहीं होती है, इसलिए किसी भी ऑनलाइन धमकी से डरना नहीं चाहिए। इसकी रिपोर्ट साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर करनी चाहिए। कहा कि सोशल मीडिया पर व्यक्तिगत जानकारियां सार्वजनिक करने से साइबर अपराधियों को मौका मिल सकता है, इसलिए सोशल मीडिया में संवेदनशील जानकारी साझा करने से बचना चाहिए। कभी भी अपनी जन्मतिथि, पता, फोन नंबर व बैंक खाते की जानकारी सोशल मीडिया पर नहीं देनी चाहिए। इनका इस्तेमाल करके साइबर ठग आपकी पहचान चुरा सकते हैं। इधर, साइबर क्राइम के मामले बढ़ने के बावजूद विभाग में कर्मचारियों की संख्या में बढ़ोतरी नहीं की जा रही है। लगातार बढ़ रहे साइबर अपराध के मामले : ऊधमसिंह नगर में लगातार साइबर अपराध की घटनाएं बढ़ रही हैं। लोग आए दिन साइबर ठगों के झांसे में आकर अपनी जमा पूंजी गंवा रहे हैं। कुमाऊं परिक्षेत्र के साइबर क्राइम थाने के अधिकारियों ने बताया कि राज्य में दो स्थानों देहरादून व रुद्रपर में साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन हैं, जहां 20 लाख रुपये से अधिक की साइबर ठगी की शिकायत दर्ज की जाती हैं। बताया कि रुद्रपुर साइबर क्राइम स्टेशन में वर्ष-2023 में जहां 20 लाख रुपये से अधिक की ठगी के 8 मामले दर्ज हुए थे, जबकि वर्ष-2024 में ऐसे मामलों की संख्या बढ़कर 34 हो गई थी। इस वर्ष मार्च महीने तक ऐसे 12 मामलों में शिकायत दर्ज की गई है। कहा कि दर्ज शिकायतों की तुलना में 50 प्रतिशत मामले सुलझा लिए गए हैं। बताया कि 20 लाख रुपये से कम की ठगी के मामलों को संबंधित जिले के साइबर सेल को ट्रांसफर कर दिया जाता है। कहा कि 5-10 हजार रुपये जैसी छोटी-छोटी ठगी के मामले अनगिनत हैं। वर्ष 2024 में राज्यभर में साइबर क्राइम से जुड़ी करीब 24 हजार शिकायतें प्राप्त हुई थीं, जिसमें करीब 150 करोड़ रुपये की ठगी हुई थी। बताया कि बीते कुछ समय से ऊधमसिंह नगर भी साइबर अपराधियों का गढ़ बनने लगा है। लोगों ने कहा कि साइबर क्राइम विभाग की ओर से जागरूकता अभियान चलाने चाहिए, जिससे लोग साइबर क्राइम के प्रति जागरूक हो सकें। डिजिटल अरेस्ट साइबर ठगी का नया तरीका : बीते कुछ दिनों से डिजिटल अरेस्ट के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है, लेकिन साइबर क्राइम पुलिस अधिकारियों का कहना है कि डिजिटल अरेस्ट जैसी कोई चीज नहीं होती है। ऐसे फोन आने पर लोगों को इससे डरने की बजाए हिम्मत से काम लेना चाहिए। डिजिटल अरेस्ट साइबर ठगी का एक नया तरीका है, जिसमें साइबर अपराधी खुद को पुलिस अधिकारी, साइबर सेल एजेंट या सरकारी जांच एजेंसी का सदस्य बताकर फोन करते हैं। वह दावा करते हैं कि अश्लील वीडियो शेयर करने, मनी लॉन्ड्रिंग, ड्रग्स आदि से जुड़े मामले में पीड़ित के नाम से गंभीर मामला दर्ज है। इस बीच वह व्हाट्सएप पर वीडियो कॉल करके नकली पुलिस आईडी कार्ड, वारंट या कोर्ट ऑर्डर दिखाते हैं। वह वीडियो कॉल पर ही पूछताछ के लिए डिजिटल अरेस्ट कर देते हैं। इसके बाद पीड़ित को डरा-धमकाकर जुर्माना या जमानत राशि का भुगतान करने का दबाव बनाते हैं। कहा कि अगर कोई डिजिटल अरेस्ट के नाम पर डराने, धमकाने, गुमराह आदि करने की कोशिश करता है, तो वह साइबर ठग है। ऐसी स्थिति में तुरंत संबंधित साइबर सेल या पुलिस को सूचना देनी चाहिए। कहा कि भारतीय कानून में किसी भी व्यक्ति की गिरफ्तारी के लिए ठोस कानूनी आधार होना जरूरी है। बिना उचित जांच व कानूनी प्रक्रिया के गिरफ्तारी संभव नहीं है। कोई भी पुलिस अधिकारी या सरकारी एजेंसी सिर्फ ऑनलाइन नोटिस, ईमेल या मैसेज के जरिए डिजिटल अरेस्ट नहीं कर सकती है। लोग देर में करते हैं शिकायत, रकम वसूली बड़ी चुनौती : लालच में आकर लोग साइबर ठगी का शिकार हो जाते हैं, लेकिन बाद में अलग-अलग कारणों से घटना का जिक्र किसी से करने से कतराते हैं। कई बार लोग अपने परिजनों को भी अपने साथ हुई ठगी के मामले का जिक्र नहीं करते हैं। साइबर क्राइम पुलिस अधिकारियों ने बताया कि ज्यादातर मामलों में कारोबारियों व बड़े पदों पर कार्यरत लोगों के साथ साइबर ठगी होती है, लेकिन बदनामी आदि के कारण से वह शिकायत करने में हिचकते हैं। बताया कि ऐसे ज्यादातर मामलों में लोग अपना नाम उजागर नहीं करना चाहते हैं, इसलिए उनकी पहली शर्त यही होती है कि वह एफआईआर तभी कराएंगे, तब उनका नाम गुप्त और अखबार आदि में नहीं दिया जाएगा। कहा कि साइबर ठगी के शिकार हुए लोगों को बढ़-चढ़कर सामने आना चाहिए, जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग साइबर ठगी के बारे में जान पाएं। अधिकतर मामलों में लोग काफी देर से शिकायत करते हैं, जिसकी वजह से रकम वसूली बड़ी चुनौती बन जाती है। कहा कि जितनी जल्दी सूचना मिलती है, साइबर ठगों से रुपये रिकवरी की संभावनाएं उतनी ज्यादा होती हैं। साइबर क्राइम थाने में 24 घंटे के भीतर की गई शिकायत पर ठगी गई रकम का 80 प्रतिशत तक वापस मिलना संभव है, क्योंकि शिकायत मिलते ही संबंधित बैंक खाता फ्रीज कर दिया जाता है, जिससे ठग रकम निकाल नहीं पाते हैं। कहा कि इस वर्ष अब तक लोगों का 50-60 लाख रुपये वापस करवाया जा चुका है। जागरूकता और सतर्कता की कमी : ज्यादातर लोग जागरूकता और सतर्कता की कमी के कारण साइबर ठगी के शिकार हो जाते हैं। साइबर क्राइम पुलिस अधिकारियों ने कहा कि लोगों को साइबर ठगी के प्रति अत्यधिक जागरूक व सतर्क रहने की जरूरत है। बताया कि ओटीपी (वन टाइम पासवर्ड) और बैंक से संबंधित जानकारी आदि किसी से साझा नहीं करनी चाहिए। अनजान लिंक व वेबसाइट पर क्लिक करने से बचना चाहिए। इसी तरह ईमेल, एसएमएस व सोशल मीडिया पर आए लिंक पर क्लिक करने से पहले उसकी विश्वसनीयता जांच लेनी चाहिए। फोन पर कोई व्यक्ति खुद को बैंक, कस्टम व पुलिस अफसर बताकर डराने की कोशिश करे तो तुरंत फोन काटकर इसकी सूचना पुलिस को देनी चाहिए। सोशल मीडिया पर व्यक्तिगत, बैंक आदि जानकारियां साझा नहीं करनी चाहिए। सार्वजनिक वाई-फाई का इस्तेमाल करते समय विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। बैंक से जुड़े व लेनदेन के कार्य सार्वजनिक स्थान पर नहीं करने चाहिए। केवल आधिकारिक स्टोर से ही एप्स डाउनलोड करने चाहिए। फोन व कंप्यूटर में एंटी वायरस व समय-समय पर उसे अपडेट करते रहना चाहिए। बैंक स्टेटमेंट व एसएमएस अलर्ट की नियमित जांच करनी चाहिए। साइबर क्राइम होने पर 24 घंटे के भीतर हेल्पलाइन नंबर-1930 या वेबसाइट पर शिकायत करनी चाहिए। स्टाफ की कमी से जूझ रहा विभाग : एक ओर लगातार साइबर क्राइम के मामले बढ़ रहे हैं, दूसरी ओर साइबर क्राइम पुलिस में स्टाफ की बेहद कमी है। कुमाऊं परिक्षेत्र के साइबर क्राइम थाने में कुमाऊं के सभी 6 जिलों के 20 लाख रुपये से ऊपर की साइबर ठगी के मामले दर्ज होते हैं। ऐसे मामलों की संख्या साल-दर-साल लगातार बढ़ रही है, लेकिन विभाग में नए पदों का सृजन व नई भर्तियां नहीं होने से पुराने मामलों की संख्या बढ़ती जा रही है। अधिकारियों ने बताया कि कुमाऊं परिक्षेत्र के साइबर क्राइम थाने की शुरुआत वर्ष-2021 में की गई थी, तब साइबर अपराध के मामले बहुत कम थे, लेकिन कोविड के बाद ऐसे मामलों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। वर्तमान में कुमाऊं परिक्षेत्र के साइबर क्राइम थाने में 2 इंस्पेक्टर, 2 एसआई, 2 एडिशनल एसआई, 4 हेड कांस्टेबल, 7 सिपाहियों की तैनाती है। अधिकारियों ने बताया कि अधिकतर मामलों में साइबर ठग अन्य राज्यों से जुड़े होते हैं, इसलिए टीम के जांच में जाने से कार्यालय के कार्य प्रभावित होते हैं। इसके अलावा कार्यालय में भी पर्याप्त जगह नहीं होने से स्टाफ को कार्य करने में दिक्कत होती है। शिकायतें 1-जिले में साइबर अपराध के मामले लगातार साल-दर-साल बढ़ रहे हैं। यह साइबर अपराधियों का गढ़ भी बनता जा रहा है। इस पर रोक लगानी जरूरी है। 2-बीते कुछ समय से अत्यधिक लोग डिजिटल अरेस्ट का शिकार हो रहे हैं और अपनी जमा पूंजी गंवा रहे हैं। कई लोग इसमें अपने लाखों रुपये तक गंवा बैठते हैं। 3-बदनामी व अन्य कारणों से साइबर ठगी के शिकार लोग देर से शिकायत करते हैं, जिससे उनकी रकम वापसी की संभावना कम हो जाती है। समय से शिकायत करें। 4-लोगों में जागरूकता और सतर्कता की कमी के कारण अक्सर साइबर ठगी के शिकार हो जाते हैं। अब तक काफी लोग इसमें अपने रुपये गंवा चुके हैं। 5-साइबर क्राइम के मामले बढ़ने के बाद भी स्टाफ की बेहद कमी है, जिससे मामलों को सुलझाने की रफ्तार बेहद कम है। एक-एक अधिकारी पर दर्जनों मामलों की जिम्मेदारी है। सुझाव 1-जिले में साइबर अपराध के मामलों को रोकने के लिए साइबर क्राइम विभाग को लोगों को जागरूक करना चाहिए। साथ ही अपराधियों पर नकेल कसी जानी चाहिए। 2-डिजिटल अरेस्ट जैसी कोई चीज नहीं होती है। डिजिटल अरेस्ट के नाम पर डराने, धमकाने वाला साइबर ठग है। इनसे सतर्क रहने की जरूरत है। 3-साइबर ठगी के शिकार लोगों को बढ़-चढ़कर आगे आना चाहिए, जिससे उनकी रकम मिलने की संभावना बढ़ेगी। साथ ही अन्य लोग भी जागरूक होंगे। 4-साइबर ठगी के प्रति लोगों को जागरूक और सतर्क रहना चाहिए। सोशल मीडिया आदि का इस्तेमाल करते समय बेहद सावधानी बरतनी चाहिए। 5-साइबर क्राइम के बढ़ते मामलों को देखते हुए विभाग में स्टाफ की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए, जिससे मामलों को जल्द सुलझाने में मदद मिलेगी। साझा किया दर्द 1-साइबर अपराध के प्रति अभी लोगों में जागरूकता की कमी है। जब लोग साइबर अपराध के प्रति जागरूक होंगे, तब ऐसी घटनाओं में कमी आ पाएगी। जागरूकता के लिए अभियान चलाया जाना चाहिए। -मौजी साइबर अपराध के मामलों में अक्सर लोग डर जाते हैं और अपनी धनराशि खो बैठते हैं। जब भी ऐसे फोन आएं, लोगों को संयम और धैर्य से काम लेकर पुलिस को सूचित करना चाहिए। -मोहन कुमार साइबर अपराधों के प्रति लोग सजग नहीं हैं। वह अपनी व्यक्तिगत जानकारी, फोटो आदि सोशल मीडिया पर डाल देते हैं, जिसकी वजह से ही वह साइबर ठगी का शिकार बनते हैं। -सोमपाल सागर जिस तेजी से साइबर अपराध बढ़ रहे हैं, उस हिसाब से विभाग में कर्मचारियों की संख्या बहुत कम है। कर्मचारियों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए, ताकि मामलों को समय से निपटाया जा सके। - देवेंद्र शाही, अध्यक्ष, मेट्रोपॉलिस सोसाइटी साइबर ठगी के शिकार लोगों को आगे आकर पुलिस से समय से शिकायत करनी चाहिए, जिससे अन्य लोगों को भी सबक मिले। इससे साइबर अपराध में कमी आएगी। -प्रेम आर्या जिले में साइबर अपराध के मामले बढ़ते जा रहे हैं। इन पर अंकुश लगाया जाना चाहिए। लोगों को जागरूक करने के लिए ज्यादा से ज्यादा कार्यक्रम किए जाने चाहिए। -निशांत शाही साइबर क्राइम को रोकने के लिए लोगों का सतर्क रहना बेहद जरूरी है। साइबर ठगी के फोन आने पर लोगों को डरना व घबराना नहीं चाहिए। लोगों के घबराने से ही ठगी होती है। -मोहित सिंह साइबर अपराध के प्रति लोगों को जागरूक किया जाना चाहिए। लोगों को भी सतर्क रहने की जरूरत है। जिलेभर में बढ़ रहे साइबर अपराध और अपराधियों पर रोक लगनी चाहिए। - सौरभ बेहड़, पार्षद, आवास विकास थाने में स्टाफ की कमी के कारण छोटे मामलों को नजरअंदाज कर दिया जाता है। लोगों ने बड़ी मेहनत से रुपये जुटाए होते हैं, इसलिए सभी मामलों को वरीयता दी जानी चाहिए। -मुकेश चौहान कोरोना के बाद जिस तरह से साइबर अपराध के मामले बढ़े हैं, उससे लोगों को हर समय सतर्क रहना चाहिए। खासतौर से मोबाइल का प्रयोग करते समय। -अजीत सचदेवा हर तरह का क्राइम बढ़ रहा है। पुलिस को इसे रोकना चाहिए। लोग बड़ी मेहनत से पाई-पाई जमा करते हैं। उनकी रकम कोई एकदम से ठग ले, तो दुख होता है। -गुलशन मक्कड़ साइबर क्राइम के मामले बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं। लोग प्रतिदिन साइबर ठगी के शिकार हो रहे हैं। विभाग में कर्मचारियों की संख्या बढ़ाकर व लोगों को जागरूक करके ही इस पर रोक लगाई जा सकती है। -संजय जुनेजा, अध्यक्ष, प्रांतीय व्यापार मंडल बोले प्रभारी निरीक्षक साइबर अपराध के प्रति लोगों का जागरूक होना बहुत जरूरी है। इंटरनेट का प्रयोग करते समय सावधानी बहुत जरूरी है। लोगों को अपना मोबाइल नंबर, पता, बैंक से संबंधित जानकारी सोशल मीडिया पर साझा नहीं करना चाहिए। अनजान लिंक को नहीं खोलना चाहिए। डिजिटेल अरेस्ट जैसी कोई चीज नहीं होती है। - अरुण कुमार, प्रभारी निरीक्षक, साइबर क्राइम पुलिस, कुमाऊं परिक्षेत्र बोले सीओ विभाग की ओर से स्कूल, कॉलेज, कार्यालयों व ऑनलाइन माध्यम से साइबर अपराध के प्रति लोगों को जागरूक किया जाता है। पुलिस मुख्यालय की ओर से धीरे-धीरे स्टाफ में बढ़ोतरी की जा रही है। - अंकुश मिश्रा, सीओ, साइबर पुलिस स्टेशन, देहरादून
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