जीवनगढ़ में पंद्रह बीघा गेहूं की फसल जलमग्न
- सिचाईं विभाग ने ढकरानी नहर की बजाए, जीवनगढ़ नहर में में छोड़ा पानी में में छोड़ा पानी - कुछ दिनों में कटाई की तैयारी कर रहे थे किसान, किसानों ने की

सिंचाई विभाग की लापरवाही से जीवनगढ़ कुरैशी मोहल्ला में पंद्रह बीघे में खड़ी गेहूं की फसल जममग्न हो गई है। किसानों का कहना है कि गेहूं की फसल पककर तैयारी थी, नहर में पानी छोड़े जाने से फसल को खराब हो गई है। किसानों ने आरोप लगाया कि सिंचाई विभाग ने ढकरानी नहर में पानी छोड़ना था जबकि जीवनगढ़ नहर में छोड़ दिया। इससे उनकी फसल जलमग्न हो गई है। किसानों ने सरकार से मुआवजे की मांग की है। किसान इमरान, अब्दुल, जाड़प, तासिम, छोटा ने बताया कि उनकी जीवनगढ़ में 15 बीघा भूमि पर गेहूं की फसल पककर तैयार हो गई थी। कुछ दिनों में फसल की कटाई शुरू होनी थी, लेकिन सिंचाई विभाग की गलती से उनकी पूरी फसल बर्बाद हो गई है। बताया कि इन दिनों मेहूंवाला-अंबाड़ी-बरोटीवाला संपर्क मार्ग पर दो पुलिया का निर्माण किया जा रहा है। पुलिया निर्माण के लिए नहर में पानी बंद किया गया है। ढकरानी के किसानों ने सिंचाई विभाग से नहर में पानी छोड़ने की मांग की थी, लेकिन सिंचाई विभाग ने मंगलवार रात को ढकरानी नहर के बजाय जीवगढ़ नहर में पानी छोड़ दिया। नहर में पहले से पानी बंद होने के कारण शटर नहीं गिराए गए थे। अचानक पानी छोड़े जाने से खेतों में पानी घुस गया, जिससे गेहूं की पूरी फसल बर्बाद हो गई है। बताया कि 15 बीघा में फैले खेत पानी भरने से तालाब हो गए हैं। गेहूं के दाने पानी में डूबने से खराब हो गए। पीड़ित किसानों ने कहा कि उनकी सालभर की मेहनत को सिंचाई विभाग ने पानी में डुबोकर बर्बाद कर दिया है, जिससे उनके सामने अब परिवार के भरण पोषण का संकट पैदा हो गया है। पीड़ित किसानों ने सिंचाई विभाग से उचित मुआवजा दिए जाने की मांग की है। उधर, सिंचाई विभाग के अवर अभियंता प्रीतम सिंह तोमर ने कहा कि खेतों में पानी जाने के कारणों का पता लगाया जा रहा है। पूरी रिपोर्ट तैयार कर उच्चाधिकारियों को सौंपी जाएगी।
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