मादक पदार्थ की तस्करी में लाइन होटल संचालक दोषी करार
31 मई को सुनाई जाएगी सजा, भारी मात्रा में बरामद हुआ था मादक पदार्थ स स स स स स स स स स स स स स स सस स स स स स स स स स स

बारुण थाना क्षेत्र में एनएच-19 पर जोगिया के समीप खालसा लाइन होटल से मादक पदार्थ बरामद होने के मामले में होटल संचालक बलजीत सिंह को दोषी करार दिया गया है। गुरुवार को औरंगाबाद व्यवहार न्यायालय में जिला जज-1 इसरार अहमद ने बारुण थाना कांड संख्या-117/22 में सुनवाई की। मुख्य अभियुक्त पंजाब राज्य के गुरदासपुर जिला के डेरा बाबा नानक थाना क्षेत्र के पवार झांगी गांव निवासी बच्चन सिंह के पुत्र बलजीत सिंह को दोषी करार दिया गया है। इस संबंध में एनडीपीएस के स्पेशल पीपी परवेज अख्तर ने बताया कि 25 मार्च 2022 को बारुण थाना को सूचना मिली थी कि जोगिया के समीप एनएच-19 पर संचालित खालसा लाइन होटल के संचालक बलजीत सिंह के द्वारा मादक पदार्थों की बिक्री की जा रही है।
सूचना पर पुलिस टीम ने होटल में छापेमारी की थी। तलाशी के क्रम में होटल में 29 किलो डोडा, पोस्ता, सूखी टिकिया और कैप्सूल बरामद किया गया था। बलजीत सिंह को होटल से गिरफ्तार कर लिया गया था जिसके बाद से वह जेल में बंद है। अभियोजन की ओर से आठ गवाहों की गवाही कराई गई थी। बलजीत सिंह को एनडीपीएस की धारा 15बी, 17बी, 18सी और 25 में दोषी करार दिया गया है। बताया कि अभियोजन की ओर से आठ लोगों की गवाही कराई गई थी। बचाव पक्ष की ओर से वरीय अधिवक्ता सत्येंद्र कुमार तिवारी ने पक्ष रखा। सजा के बिंदु पर 31 मई को सुनवाई होगी। स्पेशल पीपी ने बताया कि अभियुक्त बलजीत सिंह की जमानत हाई कोर्ट के अलावा सुप्रीम कोर्ट से भी खारिज हो गई थी। उसने हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जमानत के लिए याचिका दाखिल की थी लेकिन अदालत ने उसे खारिज कर दिया था। गिरफ्तारी के बाद से ही वह लगातार जेल में बंद है। तीन दशक पुराने वाद में पांच साल कारावास डकैती के मामले में औरंगाबाद व्यवहार न्यायालय के जिला जज अष्टम मनीष जायसवाल ने एक अभियुक्त को पांच साल कैद की सजा सुनाई। ओबरा थाना कांड संख्या-132/95 में सजा के बिन्दु पर सुनवाई करते हुए भादंवि धारा 393 में अभियुक्त गयाजी जिला के भिखनपुर चंदौती निवासी अमित कुमार सिंह को पांच साल की सजा और पांच हजार रुपए जुर्माना लगाया है। अधिवक्ता सतीश कुमार स्नेही ने बताया कि अभियुक्त को 16 मई को डकैती के प्रयास के आरोप में दोषी करार दिया गया था। उसके बाद बंधपत्र विखंडित कर जेल भेज दिया गया था। अभियोजन की ओर से एपीपी प्रदीप कुमार सिंह थे।
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