15 घंटे तक काम व कम वेतन से हो रहे बीमार, बीमा-इंसेंटिव का मिले लाभ
तिया शहर में होम डिलीवरी करने वाले सैकड़ों लोग कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं। उन्हें ट्रैफिक, स्थायी आवास की कमी, और बिना सुरक्षा बीमा के काम करना पड़ रहा है। लंबे काम के घंटे और ग्राहकों के...
तिया शहर में कम सुविधाओं के बीच होम डिलीवरी का काम करने वाले सैकड़ों लोग शारीरिक और मानसिक परेशानी झेलने को विवश हैं। ट्रैफिक की समस्या, समय पर ऑर्डर नहीं पहुंचने की परेशानी, स्थायी आवास की कमी, जलजमाव वाले रास्ते के उपयोग की मजबूरी, काम छूटने का खतरा, सामाजिक सुरक्षा की कमी, रियल टाइम ट्रैकिंग से परेशानी तथा कई बार लगातार काम करने से होने वाली बीमारियों की समस्याएं झेलने को विवश हैं। शहर में सैकड़ों लोग होम डिलीवरी के क्षेत्र में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इनमें अधिकांश युवा हैं जो असुविधाओं के बीच काम करने को मजबूर हैं। आजकल ऑनलाइन शॉपिंग के माहौल में होम डिलीवरी का काम करने वालों को रोजगार तो आसानी से मिल जाता है लेकिन यहीं से उनकी परेशानी शुरू हो जाती है।
आजकल खानपान के मामले में अब लोगों का टेस्ट बदला है। पहले की तुलना में अब लोग बाहर का खाना घर पर मंगवाने को ज्यादा तरजीह दे रहे हैं। ऑनलाइन शॉपिंग के कारण भी होम डिलीवरी का काम करने वालों की जिम्मेदारी बढ़ गयी है। समय पर आर्डर अगर नहीं पहुंचा तो इन लोगों के वेतन से राशि काट ली जाती है। मंगायी गयी वस्तुओं की गुणवत्ता सही नहीं होने पर ग्राहकों का काेपभाजन बनना पड़ता है। गुड्डू कुमार, गौतम यादव, किरण कुमार, मंटू कुमार आदि ने बताया कि हमलोगों को हमेशा काम के लिए तैयार रहना पड़ता है। क्योंकि कब कहां से आर्डर आ जाए इसकी कोई गारंटी नहीं है। ऐसे में शारीरिक और मानसिक रूप से हमलोगों को हमेशा तैयार रहना पड़ता है। हमलोगों के लिए अवकाश के अवसर बेहद कम हैं। ब्रांडेड कंपनियों के लिए अपनी सेवाएं देने वालों को अगर कुछ सुविधाएं मिल भी रही हैं तो गैर ब्रांडेड प्रतिष्ठानों में काम करने वाले ऐसे लोगों का भविष्य अंधकारमय दिखाई पड़ता है। जान को जोखिम में डालकर घर-घर तक ऑर्डर की सप्लाई करने वाले ऐसे लोगों के पास सरकारी अथवा गैर सरकारी नि:शुल्क बीमा की कोई सुविधा नहीं है। सड़क पर लगातार चलने से दुर्घटना का खतरा बना रहता है। आर्डर को पहुंचाने की तेजी में कई बार ये लोग दुघर्टनाग्रस्त भी हो जाते हैं। ऐसे में प्रशासन की ओर से नि:शुल्क बीमा करवाने की योजना होनी चाहिए। शंभू साह ने बताया कि अभी तक उनके पास स्थायी आवास की सुविधा नहीं है। किराए के मकान में रहने के कारण उनकी कमाई का बड़ा हिस्सा किराए में चला जाता है। घर से दूर शहर में रहने के कारण किराये के मकान में रहना इनकी मजबूरी है। नूर मोहम्मद, शंभू दास, देवेंद्र यादव, सुजीत पटेल, नीतीश कुमार, ब्रजेश साह आदि ने बताया कि जिस तरह से वे लोग काम करते हैं उस अनुरूप में इनको वेतन नहीं मिलता है। बच्चों का निजी विद्यालयों में नामांकन कराने के समय भी अच्छी खासी राशि की मांग की जाती है। जिसकी पूर्ति करना बहुत मुश्किल होता है। छोटे-मोटे काम के लिए भी इन्हें कर्ज लेने की विवशता बनी रहती है। बीमार पड़ने के कारण काम नहीं करने की स्थिति में इनके वेतन से राशि काट ली जाती है।
प्रस्तुति-मनोज कुमार राव
होम डिलीवरी करने में कई बार हो जाती है झड़प
इनलोगों का कहना है कि प्रशासन को इस मामले में हमलोगों की मदद करनी चाहिए। सरकार की योजनाओं के तहत अनुदान व ऋण की राशि गरीबों को उपलब्ध करायी जा रही है। ऐसे में होम डिलीवरी का काम करने वालों के लिए भी ऐसी कोई योजना तैयार होनी चाहिए। कई बार ऑर्डर की डिलीवरी करते समय ग्राहकों से बकझक की स्थिति हो जाती है । ऐसे में हमें या हमारे जैसे अन्य सदस्यों को सामाजिक सुरक्षा की बहुत आवश्यकता होती है। हालांकि कुछ लोग हमारा दर्द समझते हुए हमें अतिरिक्त टिप जरूर दे देते हैं लेकिन ऐसा बहुत कम होता है। सबसे अधिक परेशानी लंबी कार्य अवधि के कारण होती है। कई बार हमलोगों को 15 घंटे की भी ड्यूटी देनी पड़ती है। इससे शारीरिक रूप से थक जाते हैं। बीमार होने पर हमारे वेतन से पैसा भी काट लिया जाता है। ग्राहकों के दुर्व्यवहार के कारण कई बार अपमानित होकर भी हमलोगों को अपनी सेवाएं देनी पड़ती है। सामाजिक सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं मिलती। आजकल रियल टाइम ट्रैकिंग की सुविधा ग्राहकों को दी जाती है लेकिन इससे सबसे अधिक परेशानी होम डिलीवरी ब्वाॅय को होती है। क्योंकि समय से ग्राहक तक आर्डर नहीं पहुंचाने पर इनलोगों को आर्थिक जुर्माना भी भरना पड़ता है। इससे इन लोगों की गाढ़ी कमाई पलक झपकते खत्म हो जाती है। इनलोगों की शिकायत है कि हमारी समस्या सुनने वाला कोई नहीं है।
उपलब्ध कराई जाय आवास की सुविधा
अगर हमारे समाज के बच्चों को भी निजी विद्यालयों में शिक्षा ग्रहण करने की सुविधा मिल जाएगी तो हमारे बच्चे भी पढ़ लिखकर अपने पैरों पर खड़ा हो सकेंगे। वैसे लोग जिनके पास स्थायी आवास की सुविधा नहीं है उनका एक सर्वे कराना चाहिए और अविलंब इस मामले में प्रशासन को नियमानुसार इंदिरा आवास अथवा प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत स्थायी निवास की सुविधा प्रदान करनी चाहिए। हमारे समाज की महिलाओं की शिक्षा और रोजगार के लिए भी सरकार को हमारी चिंता करते हुए योजना बनानी चाहिए। महिलाएं अगर पढ़ लिख जाएंगी तो इससे हमारा समुचित विकास हो पाएगा। महिलाओं को उद्यम के लिए प्रशिक्षण देकर स्वरोजगार के लिए लोन मुहैया कराया जाना चाहिए।
श्रम अधिनियम में हर किसी के लिए काम करने व काम लेने का समय निर्धारित हैं। श्रम अधिक लेने पर उसके मुताबिक मेहनताना के साथ साथ इंसेंटिव भी मिलता हैं। कंपनी में काम करने के घंटे तय होते हैं। वही सभी कंपनी में सुविधा व रियायत में कुछ अंतर रहता है। वही अगर श्रम लेकर श्रम के मुताबिक पेमेंट नहीं मिलने की शिकायत मिलने पर विभागीय कार्रवाई की जाएगी।
-किशुन देव साह, श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी
जिले के हर समाज के लोगों की सुरक्षा हमारी जिम्मेदारी है। होम डिलीवरी का काम करने वाले वैसे लोग जिनको देर रात अपनी सेवाएं देनी पड़ती है अथवा ऑनलाइन शॉपिंग की वस्तुओं को घर-घर पहुंचना पड़ता है उनकी सुरक्षा के लिए भी बेतिया शहर की मुख्य चौक चौराहों पर पुलिस गश्त की टीम तैनात की गई है। 112 नंबर भी शिकायत मिलने पर फौरन पहुंचती है।
-विवेक दीप, एसडीपीओ
सुझाव
1. काम करने के घंटे का निर्धारण होना चाहिए और ओवर टाइम करने पर अलग से मेहनताना भी मिलना चाहिए।
2. सामाजिक सुरक्षा के मामले में होम डिलीवरी करने वाले कर्मियों के लिए प्रशासन को विशेष नियम बनाना चाहिए।
3. जिनके पास स्थायी निवास की सुविधा नहीं है उनको आवास योजना का लाभ मिलना चाहिए।
4. होम डिलीवरी करने वालों को स्वास्थ्य बीमा का लाभ मिलना चाहिए ताकि बीमार पड़ने पर अतिरिक्त खर्च से बच सकें।
5. हमलोगों के बच्चों का आरटीई के तहत निजी स्कूलों में नामांकन की सुविधा मिलनी चाहिए।
शिकायतें
1. कई बार 15 घंटे से भी अधिक समय की डयूटी देनी पड़ती है इससे मानसिक व शारीरिक रूप से बीमार पड़ जाते हैं।
2. काम के दौरान किसी प्रकार की सामाजिक सुरक्षा की योजना नहीं होने से हर पल संशय की स्थिति बनी रहती है।
3. सड़क जाम की स्थिति में कई बार समय पर ग्राहक तक ऑर्डर नहीं पहुंचने पर बकझक व मारपीट भी होती है।
4. कंपनियों द्वारा रियल टाइम ट्रैकिंग से ग्राहकों को अधिक सुविधाएं दी जा रही है। इससे उन्हें परेशानी हो रही है।
5. काम के दौरान नि:शुल्क बीमा की योजना नहीं मिलने के कारण हमेशा भय के माहौल में काम करने की मजबूरी है।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।