risk of bird flu increased in this zoo of up confirmed in 8 wild animals now foreign bird died यूपी के इस चिड़ियाघर में बर्ड फ्लू का खतरा बढ़ा, 8 वन्य जीवों में पुष्टि; अब विदेशी पक्षी काकाटेल की मौत, Uttar-pradesh Hindi News - Hindustan
Hindi NewsUP Newsrisk of bird flu increased in this zoo of up confirmed in 8 wild animals now foreign bird died

यूपी के इस चिड़ियाघर में बर्ड फ्लू का खतरा बढ़ा, 8 वन्य जीवों में पुष्टि; अब विदेशी पक्षी काकाटेल की मौत

बर्ड फ्लू का खतरा चिड़ियाघर के आसमान पर मंडरा रहा है। चिड़ियाघर प्रशासन सकते में है। वन्य जीवों की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ गई है। चिड़ियाघर के उपनिदेशक एवं मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. योगेश प्रताप सिंह ने बताया कि शुक्रवार को दो चरणों में भोपाल से सैम्पल की रिपोर्ट मिली है।

Ajay Singh वरिष्ठ संवाददाता, गोरखपुरSat, 24 May 2025 06:32 AM
share Share
Follow Us on
यूपी के इस चिड़ियाघर में बर्ड फ्लू का खतरा बढ़ा, 8 वन्य जीवों में पुष्टि; अब विदेशी पक्षी काकाटेल की मौत

गोरखपुर चिड़ियाघर में बर्ड फ्लू का खतरा बढ़ने लगा है। शुक्रवार को आठ वन्य जीवों में बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई। पॉजिटिव रिपोर्ट मिलने से कुछ घंटे पहले विदेशी पक्षी काकाटेल की भी मौत हो गई। सुबह आई जांच रिपोर्ट में तीन कौओं में बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई जबकि शाम को काकाटेल के अलावा बाघिन मैलानी, हिमालय गिद्ध और तेंदुआ के दो शावकों के नमूने पॉजिटिव मिले हैं। कौए चिड़ियाघर परिसर में मृत मिले थे। यह जांच भोपाल स्थित राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान (एनआईएचएसएडी) में हुई है। रिपोर्ट जारी होने के बाद से हड़कंप मचा है।

सबसे ज्यादा चिंताजनक यह है कि बर्ड फ्लू का खतरा चिड़ियाघर के आसमान पर मंडरा रहा है। इससे चिड़ियाघर प्रशासन सकते में है। वन्य जीवों की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ गई है। चिड़ियाघर के उपनिदेशक एवं मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. योगेश प्रताप सिंह ने बताया कि शुक्रवार को दो चरणों में भोपाल से सैम्पल की रिपोर्ट मिली है।

ये भी पढ़ें:UP: बर्ड फ्लू से बाघिन की मौत के बाद हड़कंप, गोरखपुर-लखनऊ-कानपुर चिड़ियाघर बंद

पहले चरण में चार मृत मिले कौओं के नमूने जांच के लिए भेजे गए थे। उनमें से तीन में बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई है। दोपहर में विदेशी पक्षी काकाटेल पक्षी की मौत हो गई। देर शाम को दूसरे चरण की रिपोर्ट में मृत काकाटेल का नमूना पॉजिटव मिला। इसके अलावा बाघिन, तेंदुआ के दो शावक और दुर्लभ प्रजाति का हिमालयन गिद्ध भी संक्रमित मिला है। इनकी सेहत पर नजर रखी जा रही है। बाघिन और हिमालयन गिद्ध की हालत कुछ चिंताजनक है।

5 वन्यजीवों की हो चुकी मौत

चिड़ियाघर में डेढ़ माह के अंदर पांच वन्यजीवों की मौत हो चुकी है। 30 मार्च को पीलीभीत से रेस्क्यू कर लाए गए बाघ केसरी की मौत सबसे पहले हुई थी। पांच मई को मादा भेड़िया भैरवी, सात को बाघिन शक्ति और आठ मई को तेंदुआ मोना की मौत हुई थी। बाघिन शक्ति की मौत की वजह बर्ड फ्लू सामने आई है। यहां से कानपुर भेजे गए शेर पटौदी ने भी वहां दम तोड़ दिया।

बर्ड फ्लू के खौफ में पोल्ट्री उद्योग, बिक्री में 25% की गिरावट

चिड़ियाघर परिसर में मृत मिले कौओं में बर्ड फ्लू की पुष्टि के बाद पोल्ट्री उद्योग सहमा हुआ है। पिछले एक पखवाड़े से बर्ड फ्लू के खौफ के बीच मुर्गों की बिक्री में 25 % तक गिरावट दर्ज की गई है। पोल्ट्री फॉर्म संचालक वैक्सीन के साथ सैनिटाइजेशन पर पूरा जोर लगा रहे हैं। संचालक ग्राहकों को समझा रहे हैं कि मुर्गों के 179 सैंपल में बर्ड फ्लू नहीं मिला है। ऐसे में मुर्गा खाना पूरी तरह सुरक्षित है।

कौओं में बर्ड फ्लू की पुष्टि के बाद असुरन, मेडिकल कॉलेज रोड, जेल बाईपास, शास्त्री चौक से लेकर सभी प्रमुख मार्केट में मुर्गों की बिक्री पर असर दिखा। जेल बाईपास पर दुकानदार खुर्शीद ने बताया कि आम दिनों में 200 किलोग्राम मुर्गा लेते हैं, लेकिन शुक्रवार को 120 किलो मुर्गा ही लिया है। बर्ड फ्लू के खौफ के बीच मांग और आपूर्ति में अंतर भी दिख रहा है। शुक्रवार को शहर के विभिन्न मार्केट में मुर्गा 200 से लेकर 220 रुपये किलो तक बिका।

वहीं काकरेल मुर्गा 300 से 330 रुपये किलो तक बिका। मेडिकल रोड पर मुर्गे की बिक्री करने वाले शमशाद का कहना है कि आम दिनों में 100 से 120 किलो तक मुर्गों की बिक्री होती थी। बर्ड फ्लू के शोर के बीच बिक्री में 25 फीसदी तक की गिरावट है। कारोबारी जित्तन जायसवाल बताते हैं कि नये चूजे कम डाले जा रहा है। चूजा तैयार होने पर 35 से 40 दिन का समय लगता है। ऐसे में मांग की तुलना में आपूर्ति प्रभावित होने के बाद भी कीमतों में कमी नहीं है।

ये भी पढ़ें:गोरखपुर चिड़ियाघर के कौओं में मिला बर्ड फ्लू, आसमान से पूरे शहर पर फैला खतरा

वैक्सीनेशन पर जोर

गोरखपुर जिले में 294 छोटे-बड़े पोल्ट्री फॉर्म संचालित हो रहे हैं। बर्ड फ्लू के खौफ के बीच पशुपालन विभाग के निर्देश पर संचालकों द्वारा सैनिटाइजेशन का काम तेजी से चल रहा है। चूजों से लेकर मुर्गों के तैयार होने के दौरान वैक्सीन भी लगाया जा रहा है। दवा कंपनी से जुड़े प्रतिनिधि जितेन्द्र मिश्रा का कहना है, बर्ड फ्लू की वैक्सीन अभी नहीं है। लेकिन जो वैक्सीन इस समय विभिन्न बर्ड को लगाई जा रही है, उससे बीमारियों और मृत्यु दर में काफी कमी आई है। पोल्ट्री फार्म संचालक विनोद सिंह का कहना है कि पोल्ट्री फॉर्म संचालक वैक्सीन और सैनिटाइजेशन को लेकर संजीदा है। प्रति मुर्गा 10 रुपये तक खर्च कर वैक्सीन और सैनिटाइजेशन पर है।

ढंके जा रहे बाड़े, पानी से भी संक्रमण का खतरा

चिड़ियाघर में बर्ड फ्लू की एंट्री की वजह कौवे हैं। शुक्रवार को भोपाल से रिपोर्ट आने के बाद अब संक्रमण के प्रसार की तस्वीर साफ होने लगी है। शुक्रवार को आठ नमूनों की रिपोर्ट पॉजिटिव मिली है। इसमें कौवे और काकाटेल पक्षी की मौत हो चुकी है। उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव है। इसके अलावा संक्रमित बाघिन, तेंदुए के शावक और हिमालयन गिद्ध की सेहत पर पर चिड़ियाघर के वाचर नजर रखें हैं।

चिड़ियाघर में कौवे का एंट्री सभी बाड़ों में है। ऐसे में ज्यादातर वन्यजीव संक्रमण की जद में आ गए हैं। शुक्रवार को बाघिन मैलानी में संक्रमण की पुष्टि हुई। वह बीमार है। उधर, हिमालयन गिद्ध का जोड़ा भी बीमार नजर आ रहा हैं। इन्हें गिद्धों को सबसे संवेदनशील वन्यजीव माना जाता है।

मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. योगेश प्रताप सिंह ने बताया कि वन्यजीवों में बर्ड फ्लू की तस्दीक होने के बाद उनके खुराक में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने वाली दवाएं शामिल कर दी गई है। दरअसल बर्ड फ्लू का कोई सटीक इलाज नहीं है। उसे रोग प्रतिरोधक क्षमता के जरिए ही हराया जा सकता है। इसको देखते हुए वन्यजीवों के भोजन में विटामिन-सी समेत रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले इम्यूनो मॉडिलेटर दवाएं दी जा रही है। मांसाहारी जीवों को मीट में दवाएं दी जा रही हैं। वहीं पक्षियों और शाकाहारी जीवों को पीने के पानी में दवाएं मिलाकर दी जा रही हैं।

ये भी पढ़ें:सब्जीवाले की नाक से गले तक भरी सिल्ट, पोस्टमार्टम में दम घुटने से मौत की पुष्टि

आपात बैठक में बाड़ों को ढकने का लिया फैसला: कई जानवरों और पक्षियों में बर्ड फ्लू की पुष्टि के बाद से चिड़ियाघर प्रशासन वन्यजीवों के सुरक्षा को लेकर परेशान है। चिड़ियाघर में मौजूद वन्यजीवों को संक्रमण से बचने के लिए अब नए सिरे से कवायद की जा रही है। शुक्रवार को निदेशक विकास यादव की अगुआई में चिड़ियाघर के प्रशासनिक अधिकारियों की आपात बैठक हुई। बैठक में तय किया गया कि वन्यजीवों के बाड़ों को ढक दिया जाए। जिससे कि कौवे वहां तक पहुंच न सकें। रामगढ़ताल से सटे 121 एकड़ में फैले चिड़ियाघर में शेर, बाघ, तेंदुआ के बाड़े खुले में है। इसके अलावा हिरण, बारहसिंघा, चीतल के भी बाड़े हैं। इन बाड़ों को ढकने आवश्यक जाल एवं चद्दर का इंतजाम किया जा रहा है।

पीने के पानी की भी की गई सुरक्षा

बाड़ों में वन्यजीव के पीने के पानी का भी इंतजाम होता है। इसके लिए बनाए गए छोटे कुंड में से कभी-कभी कौवे भी पानी पीते हैं। वहीं, कौवे बाड़े में ही अपनी बीट भी गिरा देते हैं। ऐसे में पानी और बीट से संक्रमण के प्रसार का खतरा है। इसको देखते हुए पीने के पानी को जल से ढकवाया जा रहा है। जिससे कि कौवे वहां तक न पहुंच सके।

कौवे को परिसर से उड़ाने में जुटे कर्मचारी: शुक्रवार को भी कौआ चिड़ियाघर के ऊपर मंडराते दिखे। वे जगह-जगह बाड़ों और पेड़ों की डालियों पर बैठ नजर आए। चिड़ियाघर के 60 से अधिक कर्मचारियों की ड्यूटी अब कौवे को परिसर से उड़ाने में लगा दी गई है। इसके लिए पेड़ की झाड़ियां, टहनियों की मदद ली जा रही है।

बरेली भेजे गए 383 पक्षियों के नमूनों की रिपोर्ट का इंतजार

पशुपालन विभाग द्वारा इंडियन वेटरनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट (आइवीआरआइ) बरेली भेजे गए नमूनों में 179 पक्षियों की रिपोर्ट बीते सोमवार को आ गई थी। सीवीओ धर्मेंद्र पांडेय मुताबिक, सभी की रिपोर्ट निगेटिव आई है। गोरखपुर मंडल के जिलों में स्थित पोल्ट्री फॉर्म से अब तक 562 नमूना बरेली भेजा जा चुका है। चिकित्सकों को 383 पक्षियों के रिपोर्ट का इंतजार है। प्राणी उद्यान गोरखपुर में सात मई बाघिन शक्ति की मौत के बाद बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई थी। इसके बाद सतर्कता बरतते हुए पशु विभाग की रैपिड रिसपांस टीम ने जिले के 20 ब्लाकों में संचालित पोल्ट्री फॉर्म पर जाकर नमूना संग्रहित कर रही है। सीवीओ धर्मेंद्र पांडेय ने बताया कि गोरखपुर के 248 पोल्ट्री फॉर्म से 387 पक्षियों का नमूना बरेली भेजा गया था। इसमें 179 की रिपोर्ट निगेटिव आई है। वहीं देवरिया, कुशीनगर, महराजगंज से 175 नमूने भेजे गए है। इसकी रिपोर्ट अभी आनी है। इसके अलावा किसी भी पोल्ट्री फॉर्म पर चूजों या पक्षियों के मरने की खबर नहीं है।

क्रॉल में जाली लगवाने की तैयारी

सबसे ज्यादा खतरा चिड़ियाघर में मौजूद पक्षियों और बिल्ली के प्रजाति के वन्य जीवों को लेकर है। काकाटेल की मौत से चिड़ियाघर प्रशासन ने शुक्रवार को ही पक्षियों और गिद्धों के बाड़ों को ढकवा दिया। इन दोनों में बर्ड फ्लू का संक्रमण सबसे तेजी से फैलता है। चिड़ियाघर में काकाटेल के अलावा दर्जनभर विदेशी नस्ल के भी पक्षी हैं। उन्हें भी संक्रमण का खतरा है। क्रॉल में जाली लगवाने की तैयारी है ताकि, कौवे और पक्षी यदि बीट करें तो वह नीचे न पहुंचे। शुक्रवार को भी बाड़ों का सैनिटाइजेशन किया गया।

महानगरवासी भी खतरे की जद में

शासन व जिला प्रशासन के लिए भी यह रिपोर्ट मुसीबत का सबब बन गई है। महानगर के आसमान में हजारों की संख्या में कौवे मंडराते रहते हैं। वह छत पर फैलाए गए खुले खाद्य पदार्थ पर बैठते हैं, दान चुगते हैं, बागों में फल खाते हैं। वे दूसरे पक्षियों के झुंड में भी शामिल हो जाते हैं। उनमें संक्रमण का प्रसार कितना है, इसकी जानकारी किसी को नहीं। ऐसे में महानगर में रहने वाले लोग भी खतरे की जद में है।

ये भी पढ़ें:बारिश के बीच यूपी के इस जिले में कई मकानों में आई दरार, एक पर चला बुलडोजर

जिला प्रशासन को दी गई रिपोर्ट की सूचना

कौवों में बर्ड फ्लू के संक्रमण की मौजूदगी ने चिड़ियाघर प्रशासन के साथ जिला प्रशासन के सामने नई चुनौती खड़ी कर दी है। चिड़ियाघर प्रशासन ने शुक्रवार को भोपाल से मिली रिपोर्ट की सूचना जिला प्रशासन को दे दी। दरअसल कौवे कबूतर और चील के झुंड के साथ रहते हैं। संकट यह है कि कौवों से यह बीमारी दूसरे समूह के पक्षियों में न फैल जाए। इसका अंदेशा पशु रोग विशेषज्ञ भी लगा रहे हैं।

खतरे की जद में अन्य वन्यजीव भी

कौओं में बर्ड फ्लू (एविएन इन्फ्लूएंजा एच-5 एन-1) मिलने के बाद दूसरे वन्य जीव भी खतरे की जद में आ गए हैं। भोपाल स्थित एनआईएचएसएडी ने शुक्रवार को दो चरणों में रिपोर्ट भेजी। पहले चरण में कौओं की रिपोर्ट चिड़ियाघर प्रशासन को मिली। दूसरे चरण में बाघिन, काकाटेल, तेंदुआ और हिमालयन गिद्ध की रिपोर्ट मिली है। चिड़ियाघर प्रशासन अब मान रहा है कि ज्यादातर बाड़ों में मौजूद वन्यजीवों में संक्रमण फैल गया है। दरअसल, पक्षियों को छोड़ दें तो ज्यादातर बाड़े खुले हुए हैं। उनमें वन्यजीवों के आसपास कौआ मंडराते रहते हैं। कौओं की एंट्री रोकने का कोई भी इंतजाम अभी चिड़ियाघर प्रशासन के पास नहीं है‌, इसने उनकी चिंता को और बढ़ा दिया है। कौओं में बर्ड फ्लू का प्रसार कितना है, इसका भी कोई ठोस आंकड़ा विभाग के पास नहीं है। ऐसे में कुछ वन्यजीवों के बाड़े को टेंट व चादर से ढक दिया गया है। जिससे कौए वहां न बैठ सकें।

लेटेस्ट Hindi News, बॉलीवुड न्यूज , बिजनेस न्यूज , क्रिकेट न्यूज पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करे| पाएं Lucknow news , Prayagraj News , Varanasi News , Gorakhpur News , Kanpur News , Aligarh News से जुड़ी ताजा खबरें हिंदी में |