बोले जमुई: छोटे दुकानदारों को भी मिले लोन, रास्ते का हो चौड़ीकरण
पूजन सामग्री विक्रेताओं को सीजनल ग्राहकी, पूंजी की कमी, उच्च ब्याज दरों पर ऋण, और बढ़ती प्रतिस्पर्धा जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। जमुई जिले में 5000 से अधिक विक्रेता हैं, जो त्योहारों के...

पूजन सामग्री विक्रेताओं की परेशानी हिंदू रीति रिवाज में हर दिन कुछ ना कुछ त्योहार के अलावा पूजा और पाठ चलता रहता है। ऐसे में पूजा सामग्री के व्यवसाय से जुड़े दुकानदार धार्मिक आयोजनों और त्योहारों के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये व्यापारी विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों के लिए आवश्यक सामग्री जैसे- अगरबत्ती, दीया, कपूर, नारियल, फूल, प्रसाद, चुनरी, मूर्तियां और अन्य पूजन सामग्रियों की बिक्त्री करते हैं। हालांकि, इस व्यवसाय में अनेक समस्याएं हैं जो इनके जीवन को कठिन बना देती हैं। इन समस्याओं में मुख्य रूप से सीजनल ग्राहकी, पूंजी की कमी, उच्च ब्याज दर पर ऋण लेना, बाजार में बढ़ती प्रतिस्पर्धा, दुकानों की स्थान संबंधी दिक्कतें, विधि-व्यवस्था की जरूरत और मालवाहक वाहनों की अनुपलब्धता शामिल हैं।
साथ ही बाजार आने जाने वाले रस्ते भी संकरी होने के कारण जाम लग जाती है, जिससे ग्राहक उस रस्ते आने जाने से बचते है। जिसका असर बिक्री पर पड़ता है। उन सभी की मांग है कि इन सभी समस्याओं से यहां के जनप्रतिनिधि एवं प्रशासन निजात दिलाने में सहयोग करें। जमुई जिलेभर में करीब 5000 से अधिक पूजन सामग्री विक्त्रेताओं की दुकान है। जिसमें से 1500 से अधिक सिर्फ जमुई के शहर में दुकान चल रही है। पूजा सामग्री की दुकानें मुख्य रूप से धार्मिक अवसरों और त्योहारों पर निर्भर होती हैं। सालभर में कुछ विशेष अवसर होते हैं, जब इन दुकानों की बिक्त्री चरम पर होती है। जैसे— दुर्गा पूजा, नवरात्रि, दीपावली, छठ पूजा, शिवरात्रि, गणेश उत्सव और कृष्ण जन्माष्टमी। इन अवसरों पर ग्राहकी बहुत अधिक होती है और दुकानदारों को अधिक मात्रा में माल स्टॉक करना पड़ता है। लेकिन साल के अन्य महीनों में ग्राहकी में भारी गिरावट आती है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति डगमगा जाती है। इस कारण से दुकानदारों के लिए एक स्थिर आय बनाए रखना मुश्किल हो जाता है। जब तक कोई स्थायी समाधान नहीं मिलता, तब तक इन्हें अपने सीमित संसाधनों के साथ ही संघर्ष करना पड़ता है। छोटे-छोटे सामानों की खरीदारी की चुनौती : पूजा सामग्री की दुकानों में बहुत सारे छोटे-छोटे सामानों की आवश्यकता होती है। अगरबत्ती, कपूर, रोली, मौली, दीपक, फल-फूल, नारियल, हवन सामग्री, मूर्तियां, घी, लाल कपड़ा, घंटी, शंख, कलश आदि कई प्रकार की चीजें एक ही दुकान पर रखनी पड़ती हैं। प्रत्येक सामान को अलग-अलग जगह से मंगाना पड़ता है, जिससे स्टॉक मैनेज करना बहुत मुश्किल हो जाता है। चूँकि ये दुकानें स्थानीय बाजार में होती हैं और सीमित जगह में संचालित होती हैं, इसलिए पर्याप्त मात्रा में माल स्टोर करना भी संभव नहीं होता। ऐसे में मांग और आपूर्ति के बीच संतुलन बनाए रखना इन दुकानदारों के लिए एक बड़ी चुनौती बन जाती है। लोन की अनुपलब्धता और वित्तीय संकट : दुर्गा पूजा से लेकर छठ पूजा तक के समय में इन दुकानदारों को अधिक मात्रा में पूंजी की जरूरत पड़ती है, ताकि वे ग्राहकों की बढ़ती मांग को पूरा कर सकें। हालांकि, इन छोटे व्यापारियों को बैंक से लोन मिलना बेहद मुश्किल होता है। यदि इन्हें प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत लोन उपलब्ध हो जाए, तो वे आसानी से अधिक मात्रा में माल खरीद सकते हैं और अपना व्यवसाय बढ़ा सकते हैं। इन व्यापारियों की सबसे बड़ी समस्या यह है कि उन्हें स्थानीय साहूकारों और गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों से उच्च ब्याज दरों पर ऋण लेना पड़ता है। ये ब्याज दरें इतनी अधिक होती हैं कि उनका लाभ का बड़ा हिस्सा ब्याज चुकाने में चला जाता है। यदि सरकार इन व्यवसायियों को आसान शर्तों पर ऋण उपलब्ध कराए तो ये न केवल अपना व्यापार सुचारू रूप से चला सकते हैं, बल्कि अपने परिवार की आर्थिक स्थिति भी सुधार सकते हैं। मालवाहक वाहनों की कमी और मजदूरों की समस्या : एक अन्य महत्वपूर्ण समस्या मालवाहक वाहनों की अनुपलब्धता है। पूजा सामग्री के दुकानदारों को अपना माल बाजार से लाना और वापस ले जाना होता है, लेकिन कई बार ट्रांसपोर्ट की सुविधा नहीं होने के कारण इन्हें खुद ही भारी सामान उठाना पड़ता है। इसके अलावा त्योहारों के समय मजदूरों की भारी कमी हो जाती है, जिससे दुकानदारों को खुद ही सामान उठाने और स्टोर करने में कठिनाई होती है। ऑनलाइन खरीदारी से विक्त्रेताओं की आमदनी घटी : बड़े किराना दुकानदार अब पूजा सामग्री भी बेचने लगे हैं, जिससे छोटे दुकानदारों की परेशानी बढ़ गई है। किराना स्टोर ग्राहकों को होम डिलीवरी की सुविधा भी प्रदान कर रहे हैं, जिससे लोग राशन के साथ—साथ पूजा सामग्री भी वहीं से मंगवा रहे हैं। इस बदलाव से छोटे दुकानदारों की बिक्त्री प्रभावित हुई है। पहले जहां ग्राहक इन दुकानों पर विशेष रूप से आते थे, अब वे ऑनलाइन और बड़े स्टोर्स से ही पूजा सामग्री खरीदने लगे हैं। ई—कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स पर भी पूजा सामग्री उपलब्ध होने लगी है, जिससे स्थानीय दुकानदारों की कमाई घट रही है। शिकायत 1. छोटे दुकानदारों को बैंक से लोन नहीं मिल पाता, जिससे उन्हें महंगे ब्याज दर पर कर्ज लेना पड़ता है। 2. बाजारों में पूजा सामग्री की दुकानें संकरी जगहों पर होती हैं, जिससे त्योहारों में भीड़ बढ़ने पर व्यापार प्रभावित होता है। 3. दुकानदारों को अपने सामान की ढुलाई के लिए कोई सुविधा नहीं मिलती, जिससे उन्हें खुद ही सामान लाना-ले जाना पड़ता है। 4. त्योहारों के समय मजदूर आसानी से उपलब्ध नहीं होते, जिससे दुकानदारों को खुद भारी सामान उठाना पड़ता है। 5. दुकानदारों की सुरक्षा एवं भीड़ की नियंत्रण के लिए नहीं मिलती कोई सुविधा। सुझाव 1. सरकार को छोटे दुकानदारों के लिए मुद्रा लोन जैसी योजनाओं को अधिक सुलभ बनाना चाहिए। 2. प्रशासन को पूजा सामग्री की दुकानों के लिए उचित स्थान और स्टॉल की सुविधा देनी चाहिए। 3. व्यापारियों को सामान लाने-ले जाने के लिए सस्ती परिवहन सुविधा प्रदान की जानी चाहिए। 4. त्योहारों के समय मजदूरों की कमी दूर करने के लिए श्रमिक पंजीकरण और आपूर्ति की व्यवस्था की जानी चाहिए। 5. स्थानीय प्रशासन को दुकानदारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और भीड़ नियंत्रण के लिए विशेष व्यवस्था करनी चाहिए। बोले जिम्मेदार जिले के कई व्यावसायिकों ने सरकार द्वारा दी जा रही मुद्रा लोन का लाभ उठा चुके हैं। सभी व्यवसाय के लिए केंद्र एवं राज्य सरकारों द्वारा मुख्यमंत्री उद्यमी योजना, महिला उद्यमी योजना एवं अन्य योजनाओं में 35% सब्सिडी तक की छूट के साथ लोन दी जा रही है। इच्छुक व्यापारी इसके लिए ऑनलाइन आवेदन करके इसका लाभ ले सकते हैं। मितेश कुमार शांडिल्य, पदाधिकारी , उद्योग विभाग, जमुई। हमारी भी सुने 1 छोटे दुकानदारों के पास सीमित जगह होती है, जिससे वे अधिक सामान स्टोर नहीं कर पाते और ग्राहकों को पर्याप्त सुविधा नहीं दे पाते। अनिल केशरी 2 त्योहारों के दौरान बाजारों में अत्यधिक भीड़ हो जाती है, जिससे ग्राहकों को संभालना कठिन हो जाता है। जगह की कमी और पर्याप्त स्टाफ नहीं होने के कारण दुकानें अव्यवस्थित हो जाती हैं। सुमित केशरी 3 बदलते बाजार, बढ़ती प्रतिस्पर्धा और ग्राहकों की बदलती प्राथमिकताओं के कारण हम छोटे व्यापारियों का व्यवसाय अब पहले जैसा स्थिर नहीं रहा। हमें कई बार घाटे का सामना करना पड़ता है। अरविंद कुमार 4 त्योहारों के दौरान बाजारों में अत्यधिक भीड़ होने के कारण यातायात बाधित होता है और ग्राहक खरीदारी करने में असुविधा महसूस करते हैं। बब्लु सिंह 5 बड़े रिटेल स्टोर थोक में खरीदारी करने के कारण कंपनियों से अधिक छूट प्राप्त करते हैं, जिससे वे उत्पाद सस्ते दामों पर बेच सकते हैं। चंदन कुमार 6 त्योहारों के दौरान पूजा सामग्री की मांग बढ़ जाती है, लेकिन यदि इसकी कीमत अधिक होती है, तो ग्राहक इसे खरीदने से हिचकिचाते हैं। चुन्नु कुमार 7 मुद्रा लोन योजना छोटे व्यापारियों के लिए बनाई गई है, लेकिन इसकी प्र्त्रिरया जटिल होने के कारण बहुत से दुकानदार इसका लाभ नहीं उठा पाते। गोविंद कुमार 8 त्योहारों और अन्य व्यस्त समय में बाजारों में अव्यवस्था बढ़ जाती है। ट्रैफिक, अवैध पार्किंग, चोरी और झगड़ों की घटनाएं दुकानदारों और ग्राहकों दोनों के लिए परेशानी का कारण बनती हैं। संजीत कुमार 9 छोटे दुकानदारों को कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है। अधिक प्रतिस्पर्धा के कारण उन्हें अपने उत्पादों पर ज्यादा छूट देनी पड़ती है, जिससे मुनाफा कम हो जाता है। नरेश कुमार 10 त्योहारी सीजन में मज़दूरों की मांग बढ़ जाती है, जिससे छोटे दुकानदारों को मजदूरों की कमी का सामना करना पड़ता है। कई बार दुकानदारों को खुद ही भारी सामान उठाना पड़ता है। राजन कुमार 11 त्योहारी सीजन में मांग बढ़ने से ट्रांसपोर्ट की समस्या बढ़ जाती है। अधिक ट्रैफिक, सड़क पर भीड़ और परिवहन लागत बढ़ने से सामान लाने-ले जाने में कठिनाई होती है। बाली कुमार 12 छोटे व्यापारियों के लिए पूंजी की कमी एक बड़ी चुनौती है। यदि सरकार बिना अधिक जटिल प्र्त्रिरयाओं के आसान और कम ब्याज दरों पर लोन उपलब्ध कराए, तो हम अपना व्यापार बढ़ा सकते हैं। सुजित मालाकार 13 बैंक या अन्य वित्तीय संस्थाएं छोटे व्यापारियों को आसानी से ऋण नहीं देतीं, जिससे उन्हें ऊंची ब्याज दरों पर लोन लेने के लिए मजबूर होना पड़ता है। रिषव कुमार 14 बैंक आमतौर पर छोटे व्यवसायियों को लोन देने से बचते हैं, क्योंकि उन्हें इनके व्यवसाय की स्थिरता और पुनर्भुगतान की क्षमता पर संदेह रहता है। अदित्य राज 15 छोटे दुकानदारों को अपनी दुकान के लिए आवश्यक वस्तुएं विभिन्न थोक विक्त्रेताओं और बाजारों से मंगवानी पड़ती हैं, जिससे उनका समय और पैसा अधिक खर्च होता है। पियुष सैनी 16 ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म जैसे अमेजन, फ्लिपकार्ट और बिग बास्केट ग्राहकों को घर बैठे सुविधाजनक खरीदारी का विकल्प देते हैं। इससे छोटे दुकानदारों की बिक्री प्रभावित हो रही है। मुन्ना कुमार
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