Concern Over Malnutrition in AES Affected Children at Mayaganj Hospital कुपोषित बच्चों पर दोबारा अटैक कर रहा एईएस, Bhagalpur Hindi News - Hindustan
Hindi NewsBihar NewsBhagalpur NewsConcern Over Malnutrition in AES Affected Children at Mayaganj Hospital

कुपोषित बच्चों पर दोबारा अटैक कर रहा एईएस

कुपोषित बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्र भेजने के निर्देश हर माह एईएस से पीड़ित पांच-छह

Newswrap हिन्दुस्तान, भागलपुरWed, 16 April 2025 05:09 AM
share Share
Follow Us on
कुपोषित बच्चों पर दोबारा अटैक कर रहा एईएस

भागलपुर, वरीय संवाददाता मायागंज अस्पताल में इलाज को आ रहे एईएस (एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम) से ग्रसित बच्चे अगर कुपोषित मिल रहे हैं तो वे डिस्चार्ज होने के बाद दोबारा इसकी चपेट में आ जा रहे हैं। यहां तक कि ऐसे बच्चों में हाइपोग्लाइसीमिया यानी शुगर की कमी भी देखी जा रही है। इसको लेकर न केवल डॉक्टर, बल्कि स्वास्थ्य महकमा भी चिंतित है। विभाग अब एईएस के शिकार बच्चे को कुपोषित पाये जाने की दशा में उन्हें पोषण पुनर्वास केंद्र भेजकर इलाज कराने का निर्णय लिया है।

मायागंज अस्पताल के शिशु रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ. अंकुर प्रियदर्शी बताते हैं कि हर माह अकेले मायागंज अस्पताल के शिशु रोग विभाग में ही पांच से छह बच्चे एईएस का शिकार होकर अस्पताल में भर्ती होने के लिए आ रहे हैं। इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग से लेकर जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (मायागंज अस्पताल) प्रशासन ने निर्णय लिया है कि अगर पांच साल तक का एईएस का शिकार बच्चा कुपोषित मिल रहा है तो तत्काल उसे इलाज के लिए पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती कराकर उसका इलाज कराया जाएगा।

चमकी, बेहोशी व बुखार इंसेफेलाइटिस नहीं

डॉ. अंकुर प्रियदर्शी बताते हैं कि बुखार, चमकी और बेहोशी की शिकायत के साथ अगर कोई बच्चा इलाज के लिए भर्ती होता है तो उसे हम एईएस का मरीज का मानकर उसका इलाज करते हैं, लेकिन लक्षण मिलने का मतलब ये नहीं है कि उसे इंसेफेलाइटिस ही हुआ है। इन लक्षण वाले बीमार बच्चों को मलेरिया, मेनेन्जाइटिस, टीबी मेनेन्जाइटिस भी हो सकता है। वहीं दूसरी बात ये है कि चमकी बुखार, बेहोशी के लक्षण के आधार पर मरीज को एईएस तो मान लिया जाता है। लेकिन बच्चे को जलजनित इंसेफेलाइटिस है या फिर जापानी इंसेफेलाइटिस, इसकी जांच की व्यवस्था जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल क्या पूरे पूर्वी बिहार, कोसी-सीमांचल के जिलों में नहीं है। इसकी जांच की व्यवस्था सूबे में केवल दो जिले (पटना व मुजफ्फरपुर) में ही है। ऐसे में जापानी इंसेफेलाइटिस व जापानी इंसेफेलाइटिस के संदिग्ध मरीजों को श्रीकृष्णा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल मुजफ्फरपुर व पीएमसीएच भेजा जाता है।

जेड स्कोर 3 एसडी से कम वाले बच्चे होंगे भर्ती

मायागंज अस्पताल के अधीक्षक डॉ. हेमशंकर शर्मा ने बताया कि शिशु रोग विभाग को पत्र लिखकर निर्देश दिया गया है कि एईएस वार्ड से डिस्चार्ज होने के दौरान पांच साल तक का बच्चा अतिगंभीर रूप से कुपोषित (लंबाई, ऊंचाई व वजन का जेड स्कोर 3 एसडी यानी स्टैंडर्ड डेविएशन से कम) होने पर ही उसे पोषण पुनर्वास केंद्र भेजा जाए। बच्चा अगर कुपोषण से मुक्त होगा तो वह न केवल हाइपोग्लाइसीमिया से बचेगा, बल्कि उस पर एईएस दोबारा अटैक नहीं करेगा।

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।