बोले भागलपुर: अमेरिकी टैरिफ से सिल्क की बढ़ेगी कीमत तो घटेगी मांग
भागलपुर की पहचान सिल्क नगरी के रूप में है, लेकिन अमेरिका द्वारा भारतीय सिल्क पर टैरिफ लगाने से बुनकरों को बड़ा नुकसान हो रहा है। इससे सिल्क कपड़ों के निर्यात में कमी आने की आशंका है। बुनकरों की आर्थिक...
देश-विदेश में भागलपुर की पहचान सिल्क नगरी के रूप में होती है। इस कारोबार से हजारों लोग जुड़े हुए हैं। अमेरिका में भारतीय सामान पर टैरिफ लगने से सिल्क कारोबार को बड़ा झटका लगा है। अमेरिका के जवाबी शुल्क का असर सिल्क कपड़ों के निर्यात पर पड़ेगा। भागलपुर से सिल्क का निर्यात अमेरिका सहित विश्व के प्रमुख देशों में होता है। अमेरिका के टैरिफ लगाने से भागलपुर के बुनकर मायूस हैं। उनका मानना है कि कठिन दौर से गुजर रहे सिल्क कारोबार को अमेरिका द्वारा टैरिफ लगाने से बहुत नुकसान होगा। सिल्क कारोबार को बचाने के लिए केन्द्र सरकार तत्काल हस्तक्षेप करे और बुनकरों के लिए पैकेज की घोषणा करे। देश-विदेश में भागलपुर की पहचान सिल्क नगरी के रूप में है। यहां के तैयार सिल्क के कपड़े देश के विभिन्न राज्यों के अलावा विदेशों में भी जाता है। अमेरिका के जवाबी शुल्क का असर सिल्क कपड़ों के निर्यात पर पड़ेगा। भागलपुर से सिल्क का निर्यात अमेरिका सहित विश्व के प्रमुख देशों में होता है। अमेरिका द्वारा टैरिफ लगाने से भागलपुर के बुनकर मायूस हैं। उनका मानना है कि कठिन दौर से गुजर रहे सिल्क कारोबार को अमेरिका द्वारा टैरिफ लगाने से बहुत नुकसान होगा। इसकी भरपाई के लिए केन्द्र सरकार तत्काल हस्ताक्षेप करे। नहीं तो भागलपुरी सिल्क का कारोबार सिमटकर रह जाएगा।
भागलपुर जिले में एक लाख से अधिक आबादी सिल्क कारोबार से जुड़ी हुई है। नाथनगर, चम्पानगर, तांती बाजार, मसकन, सरदारपुर, हसनाबाद, कसबा, नरगा, गढ़ कचहरी, उत्तर टोला, कबीरपुर, शाहजंगी, हल्दीबाड़ी, सजौर, फुलवरिया, नवटोलिया, चौकीटोला, दरियापुर, राधानगर, पुरैनी, मुस्तफापुर, मिरनचक, खंजरपुर, लोदीपुर, मोजाहहिदपुर, हुसैनाबाद आदि क्षेत्र की बड़ी आबादी इस कारोबार से जुड़ी हुई है। भागलपुरी सिल्क अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस, इटली सहित अन्य देशों में बड़े पैमाने पर निर्यात होता है। टैरिफ लागू होने से इस पर बुरा असर पड़ने वाला है। अमेरिका द्वारा टैरिफ लगाने की घोषणा से सिल्क कारोबारियों में नाराजगी है। बुनकरों का मानना है कि भागलपुर में पूर्व से ही सिल्क कारोबार सिमटता जा रहा है। युवा पीढ़ी इस कारोबार में नहीं आना चाहते। बुनकरों का पलायन हो रहा है। सिल्क कारोबार को बचाने के लिए केन्द्र सरकार को हस्तक्षेप करना चाहिए। ताकि टैरिफ का असर सिल्क कारोबार पर नहीं पड़े।
बिहार बुनकर कल्याण समिति पटना के पूर्व सदस्य अलीम अंसारी ने बताया कि अमेरिका द्वारा टैरिफ बढ़ाये जाने पर देश के कपड़ा उद्योग पर काफी असर पड़ेगा। कपड़ा उद्योग अभी मंदी के दौर से गुजर रहा है। ऐसी परिस्थिति में अमेरिका द्वारा टैरिफ लगाने से कपड़े के दामों में बढ़ोतरी होगी। भागलपुर के बुनकर जो निर्यातक सामान बना रहे हैं, उनको भी इससे नुकसान होगा। आने वाले समय में निर्यातक कपड़े के ऑर्डर में कमी आएगी। भागलपुर के बुनकर बहुत ही कठन दौर से गुजर रहे हैं। देश में भी बिक्री होने वाले कपड़े का ऑर्डर भागलपुर में नहीं मिल रहा है। इससे बुनकरों के रोजगार पर बुरा असर पड़ रहा है। भारत सरकार और राज्य सरकार भागलपुर के बुनकरों को तत्काल दो लाख रुपये बिना ब्याज का ऋण दिलाने की व्यवस्था करे। ताकि बुनकर अपने हुनर से रेशमी नगरी के इतिहास को बचा सके।
नाथनगर के सिल्क कारोबारी ओबैदुल्ला अंसारी ने बताया कि बुनकरों की आर्थिक स्थिति धीरे-धीरे कमजोर होती जा रही है। धागा का रेट लगातार बढ़ रहा है। सिल्क कपड़ों की बिक्री के लिए बाजार नहीं मिल रहा है। धीरे-धीरे लूम कम होते जा रहे हैं। किसी तरह बुनकरों की रोजी-रोटी चल रही है। टैरिफ से सिल्क कारोबार को बहुत नुकसान होगा। धागा और महंगा होगा। तैयार कपड़ा महंगा होने के चलते मांग पहले की तुलना में कम होगी। भारत का तैयार कपड़ा दूसरे देशों में नहीं जा पाएगा। केन्द्र सरकार बुनकरों के लिए पहल करे। बुनकरों को विशेष पैकेज देकर राहत पहुंचाये। सिल्क कारोबारी रिजवान अंसारी ने बताया कि भागलपुरी सिल्क महंगा होने से दूसरा देश चीन और बंग्लादेश से सिल्क का कपड़ा खरीदेगा। काम मंदा होने पर बेरोजगारी बढ़ेगी। जो धागा अभी 100 रुपये में मिल रहा है। उसकी कीमत बढ़कर 150 रुपये हो जाएगी। भागलपुरी सिल्क को चीन से स्पर्धा करनी पड़ती है। तकनीक के मामले में चीन आगे है। इसके चलते वहां के कपड़ों की कीमत कम होती है। टैरिफ बढ़ने से और संकट आने वाला है। सरकार तत्काल इसमें पहल करे। कारोबारी एमडी रिजवान अंसारी ने कहा कि टैरिफ बढ़ने से सिल्क कारोबार बुरी तरह प्रभावित होगा। यहां के कारोबार को बड़ा झटका लगेगा। सरकार ऐसी व्यवस्था करे, जिससे टैरिफ का भार यहां के बुनकरों पर नहीं पड़े। कारोबारी राकेश कुमार लाल ने कहा कि टैरिफ के चलते यार्न का रेट बढ़ेगा। तैयार कपड़ा महंगा होगा और दूसरे देशों में भागलपुरी सिल्क की मांग कम होगी। इसका असर जिले के बड़ी आबादी पर पड़ेगा। बाजार में टिके रहने के लिए कम रेट पर कपड़ा बेचने की मजबूरी होगी। इससे बुनकरों को आर्थिक नुकसान होगा। कारोबारी संजय कुमार यादव ने बताया कि भागलपुर में सिल्क कपड़ा की एक मंडी होनी चाहिए। ताकि कारोबारी निर्धारित रेट पर तैयार कपड़ा बेच सकें। टैरिफ से बचाव के लिए केन्द्र सरकार जल्द से जल्द कोई घोषणा करे। धागा का रेट लगातार बढ़ता जा रहा है। इसके बड़े कारोबारी धागा की जमाखोरी कर अधिक दाम पर बेच रहे हैं। इस पर रोक लगाने की जरूरत है। तारिक अख्तर ने बताया कि सरकार की गलत नीति के चलते बेरोजगारी बढ़ती जा रही है। सिल्क कारोबार छोड़ लोग पलायन कर रहे हैं। टैरिफ का बुरा असर कारोबार पर पड़ेगा। सिल्क का उत्पादन क्षमता कम होगी। इससे विक्रय क्षमता भी प्रभावित होगी। कोई भी देश अधिक मूल्य पर कपड़ा खरीदने को तैयार नहीं होगा। केन्द्र सरकार इसमें हस्तक्षेप करे। टैरिफ में सरकार सब्सिडी दे। भागलपुर में सरकार सिल्क की मंडी और यार्न मिल उपलब्ध कराये। सिल्क कारोबारी शिवगतुल्ला ने बताया कि टैरिफ बढ़ने से सिल्क का कारोबार प्रभावित होगा। सूत का रेट 2014 के बाद से लगातार बढ़ रहा है। बांग्लादेश माल कम जाने का असर भी कारोबार पर पड़ रहा है। पाकिस्तान का बॉर्डर अगर कारोबार के लिए खुले तो बुनकरों के दिन बहुरेंगे। बुनकरों को बचाने के लिए सरकार पहल करे। ग्यास आलम ने कहा कि टैरिफ का नुकसान पूरे देश को होगा। सरकार बैंकों से बुनकरों को कम ब्याज पर ऋण दिलाने की व्यवस्था करे।
बुनकरों को बिना ब्याज का दो लाख रुपये ऋण मिले
भागलपुर। बिहार बुनकर कल्याण समिति पटना के पूर्व सदस्य अलीम अंसारी ने बताया कि अमेरिका द्वारा टैरिफ लगाने का बुरा असर भागलपुर के सिल्क कारोबार पर पड़ेगा। सिल्क कारोबार अभी मंदी के दौर से गुजर रहा है। ऐसी परिस्थिति में अमेरिका द्वारा टैरिफ लगाने से सिल्क कपड़े के दामों में बढ़ोतरी होगी। भागलपुर के बुनकर जो निर्यातक सामान बना रहे हैं। आने वाले समय में निर्यातक कपड़े के ऑर्डर में कमी आएगी। भागलपुर के बुनकरों की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। टैरिफ लागू होने से विदेशों में भागलपुर सिल्क की मांग कम होगी और इसका असर यहां के कारोबार पर पड़ेगा। भारत सरकार और राज्य सरकार को इसमें पहल करनी चाहिए। सरकार भागलपुर के बुनकरों को तत्काल दो लाख रुपये बिना ब्याज का ऋण दिलाने की व्यवस्था करे।
केन्द्र सरकार तत्काल हस्तक्षेप करे
भागलपुर। नाथनगर के सिल्क कारोबारी ओबैदुल्ला अंसारी ने बताया कि सरकार द्वारा सहयोग नहीं करने से बुनकरों की स्थिति खराब होती जा रही है। नई पीढ़ी इस कारोबार में नहीं आ रहा है। पुराने कारीगर को खोजने में मुश्किल हो रही है। टैरिफ लगने से कारोबार को बड़ा झटका लगेगा। विदेशों में भागलपुर सिल्क की मांग कम हो जाएगी। भागलपुर की जगह चीन का सिल्क अधिक बिकने लगेगा। केन्द्र सरकार को इसमें पहल करनी चाहिए। बिना ब्याज का बुनकरों को ऋण दिलाने की व्यवस्था सरकार करे। तभी सिल्क उद्योग फिर से उठ सकता है। सरकार की गलत नीतियों के चलते 2014 के बाद से कारोबर प्रभावित हो रहा है। धागा का रेट लगातार बढ़ रहा है। सिल्क कपड़ों की बिक्री के लिए बाजार की जरूरत है। केन्द्र सरकार बुनकरों के लिए पहल करे। बुनकरों को विशेष पैकेज देकर राहत पहुंचाये।
टैरिफ से धागा और महंगा होगा
भागलपुर। सिल्क कारोबारी मो. रिजवान अंसारी ने बताया कि टैरिफ से सिल्क का तैयार माल और महंगा हो जाएगा। चीन का सिल्क भागलपुर की तुलना में सस्ता बाजार को मिलने लगेगा। इसका असर यहां के कारोबार पर पड़ेगा। विदेशों में भागलपुरी सिल्क की जगह चीन में तैयार सिल्क की मांग होने लगेगी। चीन में आधुनिक मशीनों के चलते सिल्क का कपड़ा तैयार करने में कम पैसा खर्च होता है। इससे बेरोजगारी और बढ़ेगी। आपराधिक घटनाओं में वृद्धि होगी। सिल्क कारोबार को बचाने के लिए सरकार को आगे आना चाहिए। केन्द्र सरकार टैरिफ से बचाव के लिए तत्काल विशेष पैकेज की घोषणा करे। टैरिफ से धागा की कीमत में काफी वृद्धि होगी। इसका असर कपड़े के रेट पर पड़ेगा।
सिल्क कपड़े के लिए मंडी की व्यवस्था हो
भागलपुर। सिल्क कारोबारी राकेश कुमार लाल ने बताया कि भागलपुर के बुनकरों को बाजार नहीं मिलने से नुकसान हो रहा है। सिल्क कपड़ों के लिए भागलपुर में एक मंडी की व्यवस्था होनी चाहिए। ताकि बुनकर उचित कीमत पर सिल्क कपड़े की बिक्री कर सके। बाजार नहीं मिलने से बुनकरों को आर्थिक नुकसान हो रहा है। कम रेट में दूसरी जगहों पर कपड़ा बेचना पड़ता है। जीएसटी के चलते भी सिल्क कारोबार प्रभावित हो रहा है। केन्द्र सरकार टैरिफ से बचाने की व्यवस्था करे। बैंकों से कम ब्याज पर बुनकरों को ऋण उपलब्ध कराया जाए। यार्न की जमाखोरी पर भी रोक लगाने की जरूरत है। जमाखोरी कर धागा महंगे दाम पर बेचने से बुनकरों को परेशानी हो रही है। बुनकरों को सस्ते दर पर धागा की व्यवस्था होनी चाहिए।
इनकी भी सुनिए
अमेरिका द्वारा टैरिफ लगाने से भागलपुर के बुनकर और सिल्क कारोबारियों को बड़ा नुकसान होगा। पहले से ही बुनकरों की हालत खस्ता हाल है। अमेरिका द्वारा टैरिफ लगाने से परेशानी और बढ़ेगी। सरकार इस पर रोक लगाये।
-मो. रिजवान अंसारी, बुनकर
यार्न की कीमत पहले से महंगी होती जा रही है। जिसका नुकसान सिल्क कारोबारियों को उठाना पड़ रहा है। अमेरिका द्वारा टैरिफ लगाए जाने से धागा और महंगा होगा। तैयार माल को कम कीमत पर बेचना पड़ेगा। नहीं तो विदेशों से मांग नहीं होगी।
-मो. शमीम अंसारी, बुनकर
सिल्क के व्यापार को बेहतर करने के लिए सरकार भागलपुर में स्थायी मंडी की व्यवस्था करे। ताकि सिल्क कारोबारियों को कपड़ा का उचित कीमत मिल सके। अमेरिकी टैरिफ लागू होने से सिल्क का कारोबार प्रभावित होगा। बुनकरों को आर्थिक नुकसान होगा।
-संजय कुमार यादव, सिल्क कारोबारी
बुनकरों का रोजगार खत्म होता जा रहा है। अमेरिका द्वारा टैरिफ लगाने से व्यवसाय और प्रभावित होगा। काम नहीं मिलने पर बुनकरों का पलायन होगा। सिल्क सिटी की पहचान बनाये रखने के लिए बुनकरों को विशेष पैकेज देने की जरूरत है।
-मो. उसामा, बुनकर
टैरिफ से सिल्क व्यवसाय बुरी तरह से प्रभावित होगा। कारोबार पहले से ही मंदा चल रहा है। भारत सरकार तत्काल टैरिफ मामले में हस्तक्षेप करे। ताकि बुनकरों को महंगा धागा नहीं खरीदना पड़े। धागा महंगा होने का असर तैयार कपड़ों पर भी पड़ेगा।
-शिवदतुल्ला, बुनकर
देश-विदेश जाने वाले सिल्क उत्पाद पर टैरिफ लगने से नुकसान होगा। सरकार सिल्क कारोबारियों को भागलपुर में मंडी उपलब्ध कराये। भागलपुर में यार्न मिल होने से धागा भी सस्ता मिलने लगेगा। इससे बुनकर आर्थिक रूप से मजबूत होंगे।
-मो. जहांगीर, बुनकर
सभी सिल्क कारोबारियों को अमेरिका द्वारा टैरिफ लागू करने से नुकसान होना तय है। इसका प्रभाव केवल सिल्क व्यवसाय पर ही नहीं, बल्कि घरेलू उपयोग के सामान की खरीद बिक्री पर भी प्रभाव पड़ेगा। पिछले कई वर्षों से भागलपुर में सिल्क का कारोबार प्रभावित हो रहा है।
-ग्यास आलम, बुनकर
भागलपुर के नाथनगर और चंपानगर में सिल्क का व्यवसाय कम होता जा रहा है। बुनकरों का पलायन हो रहा है। विदेशों में सिल्क कपड़े की मांग कम होते जा रही है। टैरिफ लागू होने से विदेशों में भागलपुर की जगह चीन में तैयार सिल्क की मांग अधिक होने लगेगी।
-मो. अखलाख
भारतीय सिल्क उत्पादों पर अमेरिकी टैरिफ लागू होने से इससे जुड़े सभी व्यापारियों और बुनकरों पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। कई बुनकरों का कारोबार बंद हो सकता है, जिससे बेरोजगारी बढ़ेगी और अपराधिक घटनाओं में वृद्धि हो सकती है।
-मो. जहांगीर हासिम
बुनकरों और सिल्क व्यवसाय की बेहतरी के लिए केंद्र ओर राज्य सरकार को विशेष राहत देने की जरूरत है। बैंक से बिना ब्याज के लोन मुहैया कराया जाय। तभी सिल्क का व्यवसाय और रोजगार आगे बढ़ सकता है। भारत सरकार को पहल करनी चाहिए।
-मो. एनामुल अंसारी
सिल्क कारोबार प्रभावित होने के पीछे कच्चा धागा की कालाबाजारी बड़ा कारण है। बड़े कारोबारी कच्चा धागा डंप कर देते हैं। जिसके चलते माल तैयार करने के लिए अधिक कीमत पर धागा खरीदना पड़ता है। टैरिफ से कारोबार और प्रभावित होगा।
-मो. फर्रा शाकिर, बुनकर
आर्थिक स्थिति खराब होने के चलते लोग सिल्क के कारोबार को छोड़कर पलायन कर रहे हैं। टैरिफ लगने से उत्पादन क्षमता और कम हो जाएगा, जिससे बिक्री की क्षमता भी प्रभावित होगी । सरकार इसमें हस्तक्षेप करे और सिल्क उत्पादन में तकनीकी तौर पर मदद करे।
-मो. तारिक, सिल्क कारोबारी
शिकायतें
1. 2014 के बाद से धागे की कीमतों में लगातार वृद्धि, व्यवसार पर असर कपड़ों की मांग कम हो रही
2. टैरिफ से बुनकरों को धागा और महंगा मिलने लगेगा
3. तैयार कपड़ा महंगा होने से विदेशों में सिल्क कपड़े की मांग कम होगी
4. पूर्व से ही सिल्क कारोबारी जीएसटी से परेशान
5. कठिन दौर से गुजर रहे सिल्क कारोबार को और नुकसान होगा
सुझाव
1. भारत सरकार जरूरी कदम उठाकर अमेरिका टैरिफ से होने वाले नुकसान पर नियंत्रण करे।
2. सिल्क व्यवसाय को बढ़ाने के लिए केन्द्र सरकार बुनकरों के नुकसान की भरपाई करे।
3. सरकार बुनकरों को बैंकों से ब्याज मुक्त ऋण मुहैया कराने कि व्यवस्था करे
4. बुनकरों के भागलपुर से पलायन पर रोक लगाने के लिए सस्ते दर पर कच्चा माल उपलब्ध कराये
5. सिल्क कपड़े के लिए भागलपुर में सरकार मंडी और यार्न मिल की व्यवस्था करे
बोले जिम्मेदार
भागलपुरी सिल्क का अधिकतर एक्सपोर्ट मिडिल-ईस्ट में है। भागलपुर दंगा से पहले यहां से सिल्क का एक्सपोर्ट अमेरिका में था। बहुत ज्यादा असर तो नहीं होना चाहिए। लेकिन कंप्लीट ग्लोबल मार्केट लिंक्ड है, इसलिए ऐसा भी नहीं कहा जा सकता है कि कोई असर नहीं होगा। इसके लिए बुनकरों की बुनकरी चार्ज सरकार द्वारा फिक्स किया जाना चाहिए। इस दिशा में जिला उद्योग केंद्र के महाप्रबंधक कार्यालय द्वारा प्रयास किया जा रहा है।
खुशबू कुमारी, महाप्रबंधक, जिला उद्योग केंद्र
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